बस अंगुलियों पर गिनाने को है सुविधाएं
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प्रभात खबर आपके द्वार. माणिकडीह के ग्रामीणों ने समस्याओं से कराया रूबरू, कहा
बस अंगुलियों पर गिनाने को है सुविधाएं व्यवस्था ताे गांवों में कमोवेश रहता ही है मगर इसका सही से क्रियान्वयन नहीं होने के कारण लोगों को कोई लाभ नहीं मिल पाता है. मसलन स्कूल तो है पर सही से नहीं होता संचालन. वहीं अस्पताल भी लचर व्यवस्था का है शिकार. रानीश्वर : प्रभात खबर आपके […]
व्यवस्था ताे गांवों में कमोवेश रहता ही है मगर इसका सही से क्रियान्वयन नहीं होने के कारण लोगों को कोई लाभ नहीं मिल पाता है. मसलन स्कूल तो है पर सही से नहीं होता संचालन. वहीं अस्पताल भी लचर व्यवस्था का है शिकार.
रानीश्वर : प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम मंगलवार को रानीश्वर के बांसकुली पंचायत के माणिकडीह गांव में चलाया गया. प्रभात खबर के बैनर तले ग्रामीण एकजुट हुए और गांव की समस्याएं टीम से साझा की़ ग्रामीणों ने बताया कि यहां बड़ी संख्या में लोग विभिन्न सरकारी सुविधाओं व कल्याणकारी योजनाओं का लाभ पाने से ग्रामीण वंचित हो रहे हैं. गांव तथा आसपास में भी कहीं पर पशु चिकित्सालय नहीं है,
इससे पशुपालकों को प्राइवेट डॉक्टर से इलाज कराना पड़ता है़ गांव में एक प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र है़ जहां दो-दो एएनएम है, फिर भी स्वास्थ्य उपकेंद्र नियमित नहीं खुलता है़ इसके लिए प्रखंडस्तर और जिलास्तर के पदाधिकारी भी कोई कार्रवाई नहीं करते हैं. गांव में अब केवल नाम मात्र का स्वास्थ्य उपकेंद्र रह गया है़ स्वास्थ्य उपकेंद्र में कभी डाॅक्टर नहीं आते हैं. लिहाजा गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए बाहर ले जाना पड़ता है़ ग्रामीणों ने बताया कि यहां का स्वास्थ्य उपकेंद्र प्रतिदिन सुबह 8:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक खुला रहता है. ऐसे में अगर शाम या रात के वक्त कोई आपात स्थिति हुई,
तो दुमका या सिउड़ी ले जाना पड़ता है. गांव में विषयवार शिक्षकों की कमी से शिक्षा व्यवस्था भी चरमरा गयी है. यहां के प्राथमिक विद्यालय में नामांकित बच्चे एक शिक्षक के भरोसे पढ़ रहे है़ं शिक्षक गांव से 50 किलोमीटर दूर दुमका में रहते हैं, जिस वजह से वे नियमित स्कूल नहीं पहुंचते हैं और स्कूल आते भी हैं तो देर से और जल्दी चले जाते हैं. स्कूल के आसपास चारों ओर गंदगी है़ इसकी साफ-सफाई पर भी ध्यान नहीं दी जाती है़
न स्कूल और न ही अस्पताल हो रहा सही से संचालित
पेयजल की भी है समस्या
गांव के तालाब, कुआं आदि सूख चुके हैं और गांव के कई चापानल भी खराब हो गये हैं. जिससे पेयजल की गंभीर समस्या उत्पन्न हो गये हैं. चापानल का पाइप सड़ जाने के कारण खराब चापानलों की मरम्मत कराने के कुछ दिनों बाद फिर से चापानल खराब हो जाता है़ गांव की जलसहिया को राशि उपलब्ध नहीं कराये जाने से उनके स्तर से भी खराब चापानलों की मरम्मत नहीं की जाती है़
‘प्राथमिक विद्यालय के नियमित संचालन नहीं होने से बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो रहा है. शिक्षक एमडीएम की सभी सामग्री अपने कब्जे में रखते हैं. जिससे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तथा मेनू आधारित भोजन भी नहीं मिलता है़ ‘
– प्रवीर हेम्ब्रम
‘गांव में एक प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र है, लेकिन ग्रामीणों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है़ यहां पदस्थापित स्वास्थ्य कर्मी आंगनबाड़ी में टीकाकरण के दिन ही कभी कभी केंद्र पहुंचते हैं, शेष दिनों में कर्मी घर बैठे कार्य करते हैं.
– मो समसुल अंसारी
‘माणिकडीह गांव में पानी की किल्लत है़ गांव के प्रधान टोला में एक भी चापानल नहीं है और प्रधानटोला के लोग कुआ का पानी पीते हैं. गांव के कुल सात टोलों में पेयजल की व्यवस्था नहीं की गई, तो आने वाले समय में परेशानी बढ़ेगी.’
– गुलजार अंसारी
‘गांव के अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मी नियमित नहीं पहुंचते हैं. वैसे दोषी स्वास्थ्य कर्मी तथा पदाधिकारी पर कार्रवाई होनी चाहिए़ नहीं तो अस्पताल को ही बंद कर देना चाहिए़ पशु अस्पताल के नहीं रहने से पशु पालकों को परेशानी हो रही है.’
– इम्तियाज अंसारी
‘माणिकडीह में सिंचाई का कोई साधन नहीं है़ जिससे किसानों को भगवान पर निर्भर रह कर खेती करनी पड़ती है़ गांव में बड़ा तालाब का निर्माण कराये जाने पर सिंचाई की व्यवस्था हो सकती है़’
– महेश प्रसाद मरांडी
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