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फर्जीवाड़ा: गलत तरीके से प्राप्त तैंतीस डिमांड ड्राफ्ट के सहारे निकाले थे 30.49 लाख रुपये, दो पूर्व बैंक अधिकारी समेत पांच दोषी

धनबाद: प्राइवेट लोगों से षडयंत्र कर फर्जी तरीके से प्राप्त तैंतीस डिमांड ड्राफ्ट पर तीस लाख उनचास हजार रुपये की निकासी के मामले में बुधवार को सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश ग्यारह सचींद्र कुमार पांडेय की अदालत ने बैंक के दो पूर्व अधिकारी समेत पांच लोगों को कसूरवार ठहराया. ये हैं सोमेन चट्टोपाध्याय (पूर्व असिस्टेंट चीफ […]

धनबाद: प्राइवेट लोगों से षडयंत्र कर फर्जी तरीके से प्राप्त तैंतीस डिमांड ड्राफ्ट पर तीस लाख उनचास हजार रुपये की निकासी के मामले में बुधवार को सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश ग्यारह सचींद्र कुमार पांडेय की अदालत ने बैंक के दो पूर्व अधिकारी समेत पांच लोगों को कसूरवार ठहराया. ये हैं सोमेन चट्टोपाध्याय (पूर्व असिस्टेंट चीफ ऑफिसर डिलेवरी सेक्शन यूको बैंक कोलकाता) प्रणब कुमार साहा (पूर्व असिस्टेंट मैनेजर इलाहाबाद बैंक हीरापुर धनबाद) और अरुण कुमार विश्वास, स्नेहाशीष चटर्जी व गौतम चटर्जी (प्राइवेट व्यक्ति). इन्हें भादवि की धारा 120 (बी), 420, 467, 468 में दोषी पाकर न्यायिक हिरासत में जेल भेजा गया. सजा सुनाने की तारीख 9 जून 17 मुकर्रर की गयी. सीबीआइ के लोक अभियोजक लवकुश कुमार भी अदालत में मौजूद थे.
क्या है मामला : वर्ष 1994 में यूको बैंक धनबाद ब्रांच के सीनियर मैनेजर ने आरोप लगाया था कि यूको बैंक लुकसान ब्रांच जलपाइगुड़ी से फर्जी ढंग से 30.49 लाख रुपये का डिमांड ड्राफ्ट जारी किया गया है. इस संबंध में धनबाद थाना में कांड संख्या 437/94 दर्ज कराया गया था. बाद में 11 अगस्त 94 को सीबीआइ ने मामले की जांच यूको बैंक धनबाद के चीफ मैनेजर (ओ) एस गनाशेखरन की लिखित शिकायत पर शुरू की. पता चला कि अमित कुमार सरकार (प्राइवेट व्यक्ति) ने अन्य के साथ मिलीभगत कर इलाहाबाद बैंक हीरापुर से तीस लाख उनचास हजार रुपये के डिमांड ड्राफ्ट को कैश करा लिया. डीडी यूको बैंक लुकसान ब्रांच जलपाइगुड़ी द्वारा जारी बताया गया. पता चला कि उक्त बैंक ने डीडी जारी नहीं किया था. 25 जून 94 को अमित कुमार सरकार ने अपना चालू खाता नंबर 834 यूको बैंक धनबाद में खुलवाया, इसमें इंट्रोड्यूजर के रूप में मुरारी लाल अग्रवाल का फर्जी हस्ताक्षर था़ पता चला कि अमित सरकार का वास्तविक नाम गौतम चटर्जी है. 30 जून 94 को लुकसान यूको बैंक से जारी डिमांड ड्राफ्ट अमित सरकार के नाम से देय था. सीबीआइ इंस्पेक्टर सह अनुसंधानकर्ता डीएस यादव ने 16 अगस्त 94 को आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया. 2 सितंबर 02 को अदालत ने आरोपितों के विरुद्ध आरोप गठित कर केस का विचारण शुरू किया.
दुष्कर्मी को सात वर्ष की कैद: अपर जिला व सत्र न्यायाधीश पंचम महेंद्र प्रसाद की अदालत ने बुधवार को दुष्कर्म के मामले में निरसा निवासी जेल में बंद अजय भंडारी को धारा 376 में दोषी पाकर सात वर्ष की कैद व दस हजार रुपये जुर्माना की सजा सुनायी. कोर्ट ने 29 मई 17 को आरोपी को दोषी करार दिया. अभियोजन पक्ष से अपर लोक अभियोजक अनिल कुमार झा ने बहस की. आरोपी ने 26 अप्रैल 2002 से सात वर्षों तक एक युवती को शादी का प्रलोभन दे दुष्कर्म किया और बाद में शादी से इनकार कर दिया.
संजीव ने फिर बैठक में शामिल होने देने के लिए दी अर्जी
धनबाद नगर निगम के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों की हत्या मामले में जेल में बंद भाजपा के झरिया विधायक व जेबीसीसीआइ के सदस्य संजीव सिंह की ओर से दायर पिटीशन पर सुनवाई बुधवार को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी राजीव रंजन की अदालत में हुई. अदालत में बचाव पक्ष के अधिवक्ता देवीशरण सिन्हा व जावेद ने बहस की. अदालत ने आदेश की तिथि एक जून 17 निर्धारित कर दी. संजीव सिंह की ओर से दायर पिटीशन में इस बात का जिक्र किया गया है कि 6 जून को दिल्ली में होनेवाली जेबीसीसीआइ की बैठक में (एचएमएस) के सदस्य संजीव सिंह को शामिल होने का आदेश दिया जाये. विदित हो कि अदालत ने 8 मई व 9 मई की जेबीसीसीआइ की हुई बैठक में संजीव सिंह को शामिल होने का आदेश नहीं दिया था. अदालत ने पिटीशन को खारिज कर दिया था. संजीव सिंह 11 अप्रैल 17 से होटवार जेल रांची में बंद है.
आर्म्स एक्ट में प्रशांत की जमानत अर्जी खारिज
पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों की हत्या से जुड़े आर्म्स एक्ट के दूसरे मामले में जेल में बंद प्रशांत सिंह की ओर से दायर नियमित जमानत अर्जी पर सुनवाई बुधवार को अपर जिला व सत्र न्यायाधीश एसके पांडेय की अदालत में हुई. अदालत में बचाव पक्ष के अधिवक्ता देवी शरण सिन्हा ने जोरदार ढंग से अपना पक्ष रखा. वहीं अपर लोक अभियोजक ओम प्रकाश तिवारी ने जमानत का जोरदार विरोध किया. अदालत ने उभय पक्षों की दलील सुनने के बाद जमानत अर्जी खारिज कर दी. विदित हो कि पुलिस ने 30 मार्च 17 को प्रशांत सिंह को गिरफ्तार किया, तबीयत खराब हो जाने के कारण उसे शहर के एक अस्पताल में भरती कराया गया. पुलिस ने छह अप्रैल 17 को उसे जेल भेज दिया. इस मामले में पुलिस ने अशोक महतो के घर से हथियार बरामद किया था.
को-ऑपरेटिव बैंक चेयरमैन व मैनेजर को 8.98 लाख भुगतान का आदेश
जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष नित्यानंद सिंह, सदस्यद्वय पुष्पा सिंह व नरेश प्रसाद सिंह की तीन सदस्यीय पीठ ने बुधवार को एक आदेश पारित कर परिवादीद्वय पलानी बलियापुर निवासी जितेंद्र कुमार चौधरी व रीता देवी के पक्ष में फैसला सुनाया. फोरम ने विपक्षीद्वय चंदन महतो चेयरमैन व मनोज महतो मैनेजर प्राइमरी को-ऑपरेटिव बैंक जोड़ापोखर भागा ब्रांच को आदेश दिया कि वे बैंक/पैक्स के नियमानुसार तीस दिनों के भीतर पूरी राशि 8.98 लाख का भुगतान परिवादीद्वय को कर दें. साथ ही भुगतान पासबुक में दर्ज होगा. भुगतान समय सीमा के अंदर नहीं करने पर विपक्षीगण बारह फीसदी वार्षिक ब्याज की दर से भुगतान करने के लिए उतरदायी होंगे. वाद खर्च एवं मानसिक यातना के लिए विपक्षीद्वय द्वारा परिवादी द्वय को पांच हजार रुपये का भी भुगतान करना होगा.
क्या है मामला : परिवादी द्वय ने विपक्षी संख्या-2 के कहने पर 8.98 लाख रुपये अपने स्वयं के नाम पर तथा संयुक्त नाम पर फिक्स्ड डिपोजिट किया जो दस की संख्या में है. यह वर्ष 2013, 2014 व 2015 में किया गया. परिवादी द्वय की पुत्री की शादी तय हो गयी. उन्होंने 14 जनवरी 16 को राशि निकालने के लिए आवेदन किया परंतु विपक्षीद्वय ने राशि देने में असमर्थता जतायी कि बैंक में पैसा नहीं है. परिवादीद्वय ने विपक्षियों को 6 जून 16 को वकालतन नोटिस दिया. लेकिन विपक्षियों ने उसका कोई उत्तर नहीं दिया. बाध्य होकर परिवादियों ने 5 जुलाई 16 को उपभोक्ता फोरम में वाद दायर कर न्याय की गुहार लगायी.

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