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कोल इंडिया : 10वें वेतन समझौते में फंसेगा पेच!
धनबाद: कोल इंडिया और सिंगरेनी कोल कंपनी के करीब पौने चार लाख कोयला मजदूरों का 10वां वेतन समझौता जेबीसीसीआइ में होगा या फिर केंद्र सरकार के औद्यौगिक ट्रिब्यूनल में. यह सवाल इसलिए खड़ा हो गया है कि छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट के एक आदेश के आलोक में केंद्र सरकार के श्रम मंत्रालय ने जबलपुर के इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल […]
धनबाद: कोल इंडिया और सिंगरेनी कोल कंपनी के करीब पौने चार लाख कोयला मजदूरों का 10वां वेतन समझौता जेबीसीसीआइ में होगा या फिर केंद्र सरकार के औद्यौगिक ट्रिब्यूनल में. यह सवाल इसलिए खड़ा हो गया है कि छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट के एक आदेश के आलोक में केंद्र सरकार के श्रम मंत्रालय ने जबलपुर के इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल के प्रेसिडिंग अफसर को इस संबंध में एक पत्र लिखा है. 24 नबंबर को जारी इस पत्र की प्रतिलिपि कोल इंडिया चेयरमैन और याचिका दायर करने वाले कोरबा निवासी व एसईसीएल कर्मी डीपी सराफ को भी दी गयी है.
क्या है मामला : डीपी सराफ ने जेबीसीसीआइ गठन को चुनौती देते हुए छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट में अप्रैल माह में एक याचिका संख्या डब्लूपी (एल) 97 / 2016 दायर की थी. सुनवाई के बाद 15 सितंबर को कोर्ट ने श्रम मंत्रालय को 90 दिनों के अंदर मामले को सलटाने का आदेश दिया. अपनी याचिका में सराफ ने कहा था कि जेबीसीसीआइ वैधानिक नहीं है और कोयला मजदूरों का वेतन समझौता ट्रिब्यूनल में होना चाहिए.
वर्तमान स्थिति: कोल इंडिया प्रबंधन ने बगैर इंटक प्रतिनिधि के 10 वीं जेबीसीसीआइ का गठन 18 नवंबर को करते हुए अधिसूचना जारी कर दी. 22 नवंबर को कोल इंडिया ने नवगठित जेबीसीसीआइ की पहली बैठक 6-7 दिसंबर को जयपुर में तय करते हुए पत्र जारी कर दिया है.
वैधानिक है जेबीसीसीआइ : राय
अखिल भारतीय खदान मजदूर संघ के अध्यक्ष एवं जेबीसीसीआइ सदस्य ब्रजेंद्र कुमार राय ने कहा की जेबीसीसीआइ पूरी तरह से वैधानिक है. पहले सेंट्रल वेज बोर्ड होता था बाद में संसद की अनुमति से जेबीसीसीआइ का गठन होने लगा. जब वेतन समझौते का समय आता है, तब कुछ लोग इस तरह का बखेड़ा खड़ा करने का प्रयास करते हैं. जेबीसीसीआअ की बैठक भी होगी और वेतन समझौता भी.
‘वेतन समझौता की प्रक्रिया दो नहीं चल सकती’
श्रम मंत्रालय के आदेश के बाद सराफ ने कोल इंडिया चेयरमैन को पत्र लिख कर जेबीसीसीआइ की बैठक स्थगित करने की मांग की है. उनका कहना है वेतन समझौता की प्रक्रिया दो जगह जेबीसीसीआइ और ट्रिब्यूनल में नहीं चल सकती. मजदूरों का वेतन समझौता औद्यौगिक अधिनियम के तहत आता है. दावा किया कि वेतन समझौता इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल में ही होगा.
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