तीनों का कहना था कि पैसे देने पर ही लॉज से जाने दिया जायेगा. लॉज मालिक समेत तीनों ने मिलकर शशिकांत से दिल्ली में रहने वाले उसके भाई व गांव में चाचा को फोन करवाया. फोन पर रकम लेकर आने को कहा गया. चाचा और भाई ने धनबाद के अधिकारियों को फोन किया तो रात को पुलिस लॉज गयी और उनलोगों को पकड़ लायी. लॉज संचालक सीतश का कहना है कि वास्तव में शशिकांत के पिता के पास उनलोगों का पैसा बकाया है. बंधक बनाने व धमकी देकर फोन करवाने की बात गलत है. वे लोग शशिकांत से कह रहे थे कि पिताजी के पास पैसे बकाया है, अब कौन भुगतान करेगा.
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रांगाटांड़ में युवक को बनाया बंधक, कांग्रेस नेता व लॉज संचालक गिरफ्तार
धनबाद: धनबाद पुलिस ने बुधवार की रात 10 बजे के लगभग रांगाटांड़ स्थित स्वास्तिक लॉज में छापामारी कर शशिकांत शर्मा नामक युवक को मुक्त कराया. उसे बंधक बनाने के आरोप में लॉज संचालक सतीश कुमार दांगी व कांग्रेस नेता मनोज यादव को गिरफ्तार कर लिया गया है. बारामुड़ी निवासी शत्रुघ्न गोप की तलाश में उसके […]
धनबाद: धनबाद पुलिस ने बुधवार की रात 10 बजे के लगभग रांगाटांड़ स्थित स्वास्तिक लॉज में छापामारी कर शशिकांत शर्मा नामक युवक को मुक्त कराया. उसे बंधक बनाने के आरोप में लॉज संचालक सतीश कुमार दांगी व कांग्रेस नेता मनोज यादव को गिरफ्तार कर लिया गया है. बारामुड़ी निवासी शत्रुघ्न गोप की तलाश में उसके घर छापामारी की गयी, लेकिन वह नहीं मिला. शशिकांत का पिता सूचित सिंह धोखाधड़ी के आरोप में धनबाद जेल में बंद है. बेटा जमानत कराने आया हुआ है. इसी दौरान उसे बंधक बना रकम की मांग की जा रही थी. छापामारी टीम का नेतृत्व एएसआइ बलिराम रावत कर रहे थे.
शशिकांत नालंदा जिला के दीपनगर थाना क्षेत्र के इनरापुर नादिरगंज निवासी सूचित प्रसाद उर्फ सूचित सिंह का बेटा है. जमीन कारोबार के नाम पर धोखाधड़ी के मामले में सूचित व उसके सहयोगी रामभजु सिंह को धनबाद पुलिस ने रविवार की रात नालंदा से गिरफ्तार किया था. कोर्ट में पेशी के बाद सोमवार को दोनों को धनबाद जेल भेज दिया गया.
आया था पिता की जमानत कराने कि बना लिया गया बंधक, पुलिस ने कराया मुक्त
शशिकांत बुधवार को पिता की जमानत कराने के इरादे से धनबाद पहुंचा और स्वास्तिक लॉज में ठहरा. लॉज में अपनी आइडी जमा की. दिन में जेल जाकर अपने पिता से मुलाकात की. शशिकांत का आरोप है कि लॉज संचालक सतीश ने आधार कार्ड की मूल प्रति रखा ली. लॉज से शाम को निकलने नहीं दिया. लॉज मालिक समेत उसके दो साथी कह रहे थे कि तुम्हारे पिता ने पैसे बकाया रखे हैं. कभी 30 हजार तो कभी 50 हजाार और फिर तीनों मिलकर ढाई से तीन लाख रुपये बकाया होने का दावा करने लगे.
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