धनबाद : तकनीकी संस्थान अपने यहां वैसे पाठ्यक्रम चलायें जो स्टूडेंट्स व इंडस्ट्री के हित में हो. उद्योग हित में तकनीकी संस्थानों के साथ सामंजस्य स्थापित करना बेहद जरूरी है. ये बातें कोल इंडिया के निदेशक कार्मिक आर मोहन दास ने कही. वह मंगलवार को गोल्डेन जुबली हॉल में आइएसएम के मैकेनिकल मशीनरी विभाग की ओर से आयोजित इंडस्ट्री इंस्टीट्यूशन इंटरएक्शन पर आयोजित परिचर्चा में बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे.
श्री मोहन दास ने हाल ही में कोल इंडिया की ओर से हुए कैंपस में संस्थान की सहभागिता पर चर्चा करते हुए कहा कि इसमें और बेहतर करने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि मौजूदा दौर में औद्योगिक विकास के लिहाज से भी यह जरूरी है कि वह अपने समक्ष आने वाली चुनौतियों पर खरा उतरने के लिए आइएसएम सहित ऐसे अन्य संस्थानों के साथ इंटरएक्शन के साथ आगे बढ़ें.
निदेशक ने आइएसएम की भूमिका पर प्रकाश डाला : मौके पर संस्थान के निदेशक डीसी पाणिग्रही ने माइनिंग के क्षेत्र में देश की सबसे बड़ी कोयला उत्पादन कंपनी कोल इंडिया की जरूरतों को पूरा करने में आइएसएम की भूमिका पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम को प्रो. आरआर दास ने भी संबोधित किया. कार्यक्रम को लेकर पूरा हॉल स्टूडेंट्स व फैकल्टी से भरा हुआ था.
औद्योगिक संबंधों में हुआ है काफी सुधार
औद्योगिक संबंध सुधारने की दिशा में कोल इंडिया के प्रयास पर आइएसएम के मैनेजमेंट स्टडी विभाग में आयोजित कार्यक्रम में कोल इंडिया डीपी आर मोेहन दास ने बताया कि मौजूदा दौर में अभी भी देश की ऊर्जा आवश्यकता को पूरा करने में सबसे अधिक निर्भरता कोयला पर ही है. ऐसे में इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए जरूरी है कि मजदूरों सहित आमजन के साथ कंपनी का संबंध बेहतर हो. कंपनी मजदूरों के साथ सौहार्दपूर्ण वातावरण में संचालित हो. हालांकि 70-80 के दशक की तुलना में आज औद्योगिक संबंधों में काफी सुधार हुआ है. उन्होंने बेहतर औद्योगिक संबंध के लिए प्रबंधन की विश्वसनीयता को भी महत्वपूर्ण बताया.
इनकी थी मौजूदगी : मौके पर निदेशक डीसी पाणिग्रही ने भी संबोधित किया. विभागाध्यक्ष डॉ. प्रमोद पाठक ने कहा कि मौजूदा दौर के बदलते परिवेश में औद्योगिक हित में मानव संसाधन की आवश्यकता बढ़ रही है. औद्योगिक हित में इस चुनौती से निबटने के लिए आइएसएम हर संभव प्रयास में जुटा है