बेटे ने मेरी देखभाल करने व खर्च देने की बात स्वीकारी थी. लेकिन अब वह मुकर रहा है. बहुत कहने के बाद एक हजार रुपया हाथ में देता है. जबकि उसे पचास हजार रुपये महीना वेतन मिलता है.
बहू भी प्रताड़ित करती है. मैं न्याय की आस में महिला थाना आयी हूं. मेरी मदद कीजिए. वृद्धा के तीन बेटे हैं. बड़ा बेटा अपने परिवार के साथ बाहर रहता है. छोटा बेटा सीआइएसएफ में नौकरी करता है. मंझला बेटा सुरेश गुप्ता जिला परिषद में बड़ा बाबू है. उसका कहना है मां की देखभाल तो हम करते ही हैं. छोटे भाई के कारण विवाद होता है.