धनबाद : डॉक्टरों के एक तबके व निजी जांच घरों की सांठगांठ के कारण गरीब मरीजों की जेब खाली हो रही है. जांच घर चिकित्सकों को 30 से 50 प्रतिशत तक कमीशन दे रहा है. इस कारण चिकित्सक मरीजों को खास जांच घर में ही जाने को कहते हैं. यदि मरीज गलती से दूसरी जगह से जांच करवा लेता है, तो चिकित्सक जांच रिपोर्ट को सही मानने से इनकार कर देते हैं. हालांकि सभी चिकित्सक ऐसे नहीं हैं. ज्ञात हो कि धनबाद में लगभग 100 निजी जांच घर रजिस्टर्ड हैं.
क्या है एमसीआइ का निर्देश
मेडिकल काउंसिंल ऑफ इंडिया (एमसीआइ) ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि किसी भी परिस्थिति में चिकित्सक किसी खास जांच घर में मरीज को जांच कराने के लिए दबाव नहीं दे सकता है, न ही किसी प्रकार से मजबूर कर सकता है. मरीज अपनी मरजी के अनुसार किसी भी जांच घर जा सकता है. आदेश नहीं मानने पर व दोषी सिद्ध होने पर चिकित्सक का रजिस्ट्रेशन भी रद्द किया जा सकता है.
अधिक कमाने की होड़
एक रिटायर चिकित्सक बताते हैं कि दवा कंपनियों की तरह जांच घर भी टारगेट के अाधार पर चल रहे हैं. किस चिकित्सक ने एक माह में कितना केस दिया, बदले में उन्हें क्या कमीशन मिला, इसके लिए चिकित्सकों में प्रतियोगिता रहती है. शहर के एक बड़े जांच घर चिकित्सकों को 20 से 30 प्रतिशत कमीशन देता था. हाल ही में एक दूसरे बड़े जांच घर ने 40 प्रतिशत कमीशन देना शुरू कर दिया. अब कल तक जो चिकित्सक पहले वाले जांच घर भेजते थे, अब दूसरी जगह भेजने लगे हैं.
केस स्टडी-1
…और फेंक दी रिपोर्ट
बरटांड़ स्थित एक डॉक्टर ने अपने चहेते जांच घर से जांच कराने को कहा. मरीज ने वहां न जाकर दूसरी जगह से जांच करवा ली. रिपोर्ट जब चिकित्सक को दिखायी गयी, तो उसने देखना तो दूर रिपोर्ट ही फेंक दी.
केस स्टडी-2
दोबारा करायी जांच
बैंक मोड़ के एक डॉक्टर ने उनके बताये जांच घर में न जाने पर मरीज को वही जांच दोबारा कराने को कहा. मरीज को आर्थिक नुकसान हुआ. दूसरी जांच कराने के बाद ही चिकित्सक ने दवा लिखी. दोनों ही जांच में रिपोर्ट एक थी.