पूजा बंगाली रीति-रिवाज से होती है. चंदनकियारी के सुभाष मुखर्जी द्वारा पूजन कार्य संपन्न कराया जाता है. स्थानीय कलाकार अशोक विश्वकर्मा द्वारा पंडाल सजाया जाता है. मेदिनीपुर बांकुड़ा के ढाकी षष्टी से पूजा पंडाल में ढाक बजाने लगते हैं. विसर्जन के पहले तक ढाक ध्वनि से पूजा पंडाल गूंजता रहता है. इस साल दशमी के दिन सुंदरकांड का पाठ होगा. उसके बाद मां को विदाई दी जायेगी. सुहागिन महिलाएं सिंदूर खेला और कर मां को विदा करती हैं. कोयला नगर तालाब में प्रतिमा विसर्जित की जाती है.
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मुरली नगर में होती है पारंपरिक तरीके से पूजा
धनबाद. श्री श्री दुर्गापूजा समिति मुरली नगर में 27 सालों से पूजा आयोजित की जा रही है. यहां की पूजा सादगी और पारंपरिक ढंग से होती है. हर साल कोई भक्त मूर्ति तो कोई पंडाल का खर्च उठा लेता है. षष्टी को मां का पट खुलता है. पट खुलने के बाद मुहल्ले के बच्चों द्वारा […]
धनबाद. श्री श्री दुर्गापूजा समिति मुरली नगर में 27 सालों से पूजा आयोजित की जा रही है. यहां की पूजा सादगी और पारंपरिक ढंग से होती है. हर साल कोई भक्त मूर्ति तो कोई पंडाल का खर्च उठा लेता है. षष्टी को मां का पट खुलता है. पट खुलने के बाद मुहल्ले के बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम किया जाता है. नौवीं को महाप्रसाद का भोग भक्तों के बीच वितरित किया जाता है.
पूजा बंगाली रीति-रिवाज से होती है. चंदनकियारी के सुभाष मुखर्जी द्वारा पूजन कार्य संपन्न कराया जाता है. स्थानीय कलाकार अशोक विश्वकर्मा द्वारा पंडाल सजाया जाता है. मेदिनीपुर बांकुड़ा के ढाकी षष्टी से पूजा पंडाल में ढाक बजाने लगते हैं. विसर्जन के पहले तक ढाक ध्वनि से पूजा पंडाल गूंजता रहता है. इस साल दशमी के दिन सुंदरकांड का पाठ होगा. उसके बाद मां को विदाई दी जायेगी. सुहागिन महिलाएं सिंदूर खेला और कर मां को विदा करती हैं. कोयला नगर तालाब में प्रतिमा विसर्जित की जाती है.
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