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दलालों के आगे फेल तत्काल के नियम

धनबाद: टिकट दलाल के आगे रेलवे के तत्काल कोटा के नियम टूट जाते हैं. यहां न तो यात्रियों के प्रमाण पत्र देखे जाते हैं और न ही सीसीटीवी कैमरा में कैद चेहरे को पहचान कर उसे पकड़ा जाता है. दलाल अपनी मरजी के गंतव्य का टिकट ले लेते हैं, जबकि आम यात्रियों को कतार में […]

धनबाद: टिकट दलाल के आगे रेलवे के तत्काल कोटा के नियम टूट जाते हैं. यहां न तो यात्रियों के प्रमाण पत्र देखे जाते हैं और न ही सीसीटीवी कैमरा में कैद चेहरे को पहचान कर उसे पकड़ा जाता है. दलाल अपनी मरजी के गंतव्य का टिकट ले लेते हैं, जबकि आम यात्रियों को कतार में पहले, दूसरे व तीसरे स्थान पर जगह तक नहीं मिलती. सोमवार को धनबाद आरक्षण कार्यालय का नजारा यही था.
कई दलाल हुए फरार : सुबह 10 बजे तत्काल आरक्षण काउंटर खुलते ही आधा दर्जन से ज्यादा दलाल काउंटरों पर खड़े हो गये. प्रेस फोटोग्राफर के फोटो लेते ही कुछ दलाल तो लाइन छोड़ कर भाग खड़े हुए, जबकि कुछ अपनी पंक्ति में खड़े रह चेहरा घुमा लिया. जीआरपी का एक जवान बिना वरदी व डंडा के वहां तैनात था. मौका पाते ही वह भी चलता बना. लाइन में खड़े कुछ टिकट दलाल पहले भी दलाली में जेल जा चुके हैं.
सेटिंग से होता है धंधा
धनबाद के आरक्षण काउंटर में टिकट दलाल की अच्छी सेटिंग है. तत्काल काउंटर सुबह दस बजे खुलता है और खुलते ही पहले, दूसरे व तीसरे स्थान पर दलाल खड़े होकर टिकट लेते हैं. यदि कोई यात्री पहले खड़ा हो जाये तो दलाल उसे हटा देत हैं और काउंटर पर बैठे क्लर्क भी उसका सहयोग करते हैं. वहां खड़े आरपीएफ व जीआरपी जवान भी काउंटर से दूर हो जाते हैं. इसके बाद दलाल आसानी से टिकट कटवा कर चले जाते हैं.
क्या है नियम
तत्काल आरक्षण के समय यात्री का पहचान पत्र (वोटर कार्ड, पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस व अन्य) होना जरूरी है. पहचान पत्र की फोटो प्रति रिजर्वेशन फॉर्म के साथ टिकट क्लर्क को देना अनिवार्य है. काउंटर क्लर्क फोटो पहचान कर ही उसे तत्काल टिकट जारी करेंगे, यदि ऐसा नहीं हुआ तो क्लर्क टिकट नहीं जारी करेंगे. धनबाद आरक्षण काउंटर में ऐसा कुछ नहीं होता है. पहचान पत्र को ले कई बार संबंधित क्लर्क के साथ आम यात्रियों का विवाद भी हो जाता है, लेकिन दलाल व क्लर्क के बीच कोई विवाद नहीं होता.
ऐसा होती है सेटिंग
हर हाल में यात्र जिनकी मजबूरी होती है वैसे यात्री टिकट दलाल से संपर्क करते हैं. उन्हें अतिरिक्त मूल्य पर टिकट खरीदना होता है. सौदा तय होने के बाद दलाल संबंधित यात्री के किसी भी पहचान पत्र की फोटो प्रति ले लेता है. उससे दो-तीन रिजर्वेशन फॉर्म भरवा लेता है. तत्काल आरक्षण का समय 10 बजे होता है, जबकि दलाल आधा घंटा पहले ही आरक्षण काउंटर पर पहुंच जाता है. इस दौरान वहां कई दलाल मौजूद होते हैं. आरक्षण काउंटर में जैसे ही तत्काल टिकट लेने वालों को पंक्ति में लगने का एलान होता है वैसे ही सभी दलाल एक-दूसरे के पीछे खड़े हो जाते हैं. इस तरह सभी काउंटर के पहले, दूसरे व तीसरे नंबर पर दलाल काबिज हो जाते हैं.
काउंटर पर नहीं होती तहकीकात
आरक्षण काउंटर पर बैठे क्लर्क के लिए रेलवे बोर्ड का सख्त निर्देश है कि तत्काल टिकट लेने वाले यात्री अपना पहचान पत्र दिखा कर ही टिकट ले सकते हैं. प्रावधान के अनुसार दूसरे व्यक्ति के पहचान पत्र पर किसी को टिकट नहीं मिल सकता. इसके बाद भी क्लर्क बिना पूछताछ के दलाल को टिकट दे देते हैं. इस पूरे प्रकरण में आरक्षण काउंटर के कर्मचारी, आरपीएफ व जीआरपी सभी की मिलीभगत देखी जाती है.
टिकट दलाली रोकने के लिए रेलवे लगातार प्रयास कर रही है. रेल अधिकारियों द्वारा लगातार आरक्षण काउंटर पर जांच की जाती है और दलाल पकड़े जाने पर उन्हें आरपीएफ के हवाले कर दिया जाता है. यदि अभी भी टिकट में दलाली चल रही है तो कार्रवाई की जायेगी.
संजय कुमार प्रसाद, पीआरओ, धनबाद रेल मंडल

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