बताया जाता है कि गिरिजा महतो निचितपुर में कार्यरत थे. 17.6.2012 को इलाज के दौरान सेंट्रल अस्पताल में उनकी मौत हो गयी थी. इसके बाद पत्नी ललिता नौकरी के लिए कार्यालयों का चक्कर काटने लगी. इसी में ढाई वर्ष बीत गये, लेकिन कागज एक टेबल से दूसरे टेबल तक नहीं पहुंचा. सोमवार (नौ फरवरी) को निचितपुर कार्यालय जाने के क्रम में ही ललिता दुर्घटना की शिकार हो गयी. आनन-फानन में सेंट्रल अस्पताल पहुंचाया गया.
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प्रबंधन की गलती भुगत रही ललिता
धनबाद. बीसीसीएस प्रबंधन निचितपुर की लेट लतीफी की सजा बीसीसीएल कर्मी स्व गिरिजा महतो के परिवार वाले भुगत रहे हैं. सोमवार को पत्नी ललिता देवी को दुर्घटना में घायल होने पर उसे सेंट्रल अस्पताल में भरती कराया गया, अब अस्पताल प्रबंधन परिजनों से फीस की मांग कर रहा है, लेकिन परिवार वाले के पास पैसे […]
धनबाद. बीसीसीएस प्रबंधन निचितपुर की लेट लतीफी की सजा बीसीसीएल कर्मी स्व गिरिजा महतो के परिवार वाले भुगत रहे हैं. सोमवार को पत्नी ललिता देवी को दुर्घटना में घायल होने पर उसे सेंट्रल अस्पताल में भरती कराया गया, अब अस्पताल प्रबंधन परिजनों से फीस की मांग कर रहा है, लेकिन परिवार वाले के पास पैसे नहीं. लिहाजा बीसीसीएल के वरीय अधिकारियों से पीड़ितों ने गुहार लगायी है.
बेटियों ने लगायी गुहार
स्व गिरिजा महतो की चार बेटी व दो बेटे हैं. मां के साथ बेटी जुली व डॉली पहुंची. दोनों ने सीएमएस डॉ जीएस पांडेय से मुलाकात की. हालांकि अस्पताल प्रबंधन ने सिस्टम का हवाला दिया. बेटियों ने बताया मां को नौकरी देने में प्रबंधन ने देरी की, अब जान भी बचाने कोई नहीं आ रहा है. दोनों ने बीसीसीएल के वरीय पदाधिकारियों से न्याय की गुहार लगायी है.
हम सेवा की पूरी कोशिश कर रहे हैं. हालांकि नियमों से हम लोग बंधे है, सिस्टम से बाहर जाकर हम लोग काम नहीं कर सकते हैं.
डॉ जीएस पांडेय, सीएमएस, सेंट्रल अस्पताल.
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