धनबाद : रैगिंग एक गंभीर अपराध है. यह न सिर्फ अमानवीय बल्कि असामाजिक कृत्य की श्रेणी में भी आता है. इसे रोकने के लिए छात्रों के साथ–साथ शिक्षकों को भी अहम भूमिका निभानी होगी. प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश सत्येंद्र कुमार सिंह ने आइएसएम के पेनमेन सभागार में शनिवार को ये बातें कही.
वे एंटी रैगिंग जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. आयोजन जिला विधि सेवा प्राधिकार की ओर किया गया.
शांति व भाईचारा स्थापित करने की जिम्मेवारी :एक अच्छे नागरिक होने के नाते शांति व भाईचारा स्थापित करना भी छात्रों की जिम्मेवारी है. रैंगिग रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट की ओर से पहल की गयी है. कोर्ट के निर्देश पर एआइसीटीइ व यूजीसी ने इस दिशा में कड़े कदम उठाये हैं.
कानून की जानकारी जरूरी : रैगिंग को लेकर जो कानून बने हैं, उसकी जानकारी जरूरी है. कानून से रैगिंग करने वालों में डर पैदा होता है. छात्रों को मेरी सलाह है– अगर आप विन्रम हैं तो न आपको मान और न हीं अपमान की चिंता करनी चाहिए. आपका लक्ष्य क्या है, समाज और देश की आपसे क्या अपेक्षा है इसी पर ध्यान देना चाहिए.
यह खुशी की बात है कि आइएसएम की ओर से रैगिंग रोकने के लिए प्रयास किये गये हैं.
ये भी मौजूद थे : बीपीएल दास( एडीएम लॉ एंड आर्डर), अमित कुमार डीएसपी( लॉ एण्ड आर्डर), चंदन भड़ ( डीएसडब्ल्यू), प्रो. आर वेणुगोपाल( डीन आर एण्ड डी), प्रो. वीपी शर्मा, पीके भट्टाचार्या.