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निजी एंबुलेंस की संख्या विभाग को पता नहीं

चैरेटी के नाम पर हो रही कमाईविभाग का नहीं सुनते एंबुलेंस संचालक फोटो : धनबाद (पीएमसीएच में खड़ा कार्डियक एंबुलेंस)वरीय संवाददाता, धनबाद जिले में निजी एंबुलेंस की कितनी संख्या है. कितनी चैरेटी के नाम पर चलायी जा रही हैं. इसका कोई आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं है. इस कारण निजी संचालक मनमानी तरीके से […]

चैरेटी के नाम पर हो रही कमाईविभाग का नहीं सुनते एंबुलेंस संचालक फोटो : धनबाद (पीएमसीएच में खड़ा कार्डियक एंबुलेंस)वरीय संवाददाता, धनबाद जिले में निजी एंबुलेंस की कितनी संख्या है. कितनी चैरेटी के नाम पर चलायी जा रही हैं. इसका कोई आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं है. इस कारण निजी संचालक मनमानी तरीके से मरीजों से किराये वसूल रहे हैं. इसके उलट सरकारी विभागों के पास गिने-चुने ही एंबुलेंस हैं. लेकिन इससे आम लोगों को कोई लाभ नहीं मिलता है. प्राय: सभी अस्पतालों, नर्सिंग होम में निजी एंबुलेंस की कतार देखी जा सकती है. सीएस के आदेशों का पालन नहीं एंबुलेंस संचालकों की मनमानी इसी से लगाया जा सकता है कि छह माह पहले सिविल सर्जन डॉ अरुण कुमार सिन्हा ने चैरेटी के साथ अन्य निजी संचालकों को नोटिस भेज कर एंबुलेंसों की स्थिति की जानकारी मांगी थी. लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया. सरकारी एंबुलेंस की हालत खराब सरकारी एंबुलेंस की जिला में हालत खराब है. सिविल सर्जन कार्यालय के पास एक एंबुलेंस है, लेकिन इसे वीआइपी दौरा के लिए रखा गया है. वहीं पीएमसीएच के पास एक एंबुलेंस हैं, जिसे दवा व कर्मियों को ढोने के लिए बना दिया गया है. वहीं कार्डियक एंबुलेंस लंबे समय से खड़ा रहती है. इसका कोई स्थायी चालक तक नहीं है. केबल राष्ट्रपति के दौरे में ही इसे चलाया गया था. कोट निजी व चैरेटी वाले एंबुलेंस संचालकों को नोटिस भेजा था. लेकिन अभी तक किसी ने जानकारी उपलब्ध नहीं करायी है. ऐसे में ठीक से एंबुलेंस की संख्या नहीं बतायी जा सकती है. फिर से सभी को नोटिस भेजा जायेगा. डॉ एके सिन्हा, सिविल सर्जन, धनबाद.

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