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जमीन के ले-आउट प्लान की मंजूरी के बिना पास नहीं हाेगा घर का नक्शा

सुधीर सिन्हा, धनबाद : झारखंड में अब कोई भी डेवलपर या ब्राेकर मनमाने ढंग से प्लाॅटिंग कर जमीन की बिक्री नहीं कर सकेगा. इसके लिए उसे ले-आउट प्लान की मंजूरी लेनी हाेगी. जब तक इस प्लान को मंजूरी नहीं मिलेगी, तब तक उस जमीन पर घर का नक्शा पास नहीं हाेगा. सरकार ने इस संबंध […]

सुधीर सिन्हा, धनबाद : झारखंड में अब कोई भी डेवलपर या ब्राेकर मनमाने ढंग से प्लाॅटिंग कर जमीन की बिक्री नहीं कर सकेगा. इसके लिए उसे ले-आउट प्लान की मंजूरी लेनी हाेगी. जब तक इस प्लान को मंजूरी नहीं मिलेगी, तब तक उस जमीन पर घर का नक्शा पास नहीं हाेगा. सरकार ने इस संबंध में गत पांच दिसंबर 2019 को अधिसूचना जारी की है. जब तक बिल्डिंग प्लान सॉफ्टवेयर में जमीन के ले-आउट प्लान का प्रावधान जोड़ा नहीं जाता है, तब तक ऑफ लाइन जमीन के ले-आउट प्लान की स्क्रूटनी होगी.

जमीन के ले आउट प्लान की स्वीकृति के बाद ही घर का नक्शा पास होगा. 31 मार्च 2020 तक ऑफ लाइन पद्धति से जमीन के ले आउट की स्वीकृति दी जायेगी. यह व्यवस्था नगर निगम व माडा दोनो में लागू होगी. ले-आउट प्लान की स्वीकृति का प्रावधान बिल्डिंग प्लान सॉफ्टवेयर में होना जरूरी है. जब तक सॉफ्टवेयर में यह प्रावधान नहीं जोड़ा जाता है, तब तक मैनुअली ही ले-आउट प्लान पास होगा.
बड़े प्रोजेक्ट के लिए है यह प्रावधान
जमाडा के मुताबिक जमीन के ले-आउट प्लान का प्रावधान बड़े प्रोजेक्ट के लिए है. वैसा प्रोजेक्ट जिसका कैंपस बड़ा है और उसमें अलग-अलग प्रोजेक्ट पर काम होना है. इसके लिए जमाडा या नगर निगम से जमीन के ले-आउट प्लान की स्वीकृति लेनी होगी. नगर निगम व जमाडा से स्वीकृति के बाद ही उस प्रोजेक्ट का ऑन लाइन नक्शा पास होगा. 31 मार्च 2020 तक जमीन के ले-आउट की स्वीकृति ऑफ लाइन दी जायेगी.
क्या है ले-आउट प्लान की फीस
जमीन के ले-आउट प्लान की स्वीकृति के लिए डेवलपमेंट परमिट फीस भी तय की गयी है. नगर निगम में 1 हेक्टेयर के लिए 10 हजार, 1 से 2.5 हेक्टेयर के लिए 20 हजार और 2.5 से 5 हेक्टेयर के लिए 30 हजार रुपया फीस निर्धारित है.
क्या है सरकार का आदेश
नगर विकास सचिव अजय कुमार सिंह ने जारी आदेश में कहा है कि अमृत योजना अंतर्गत सुधार कार्यक्रम के तहत भवन निर्माण एवं ले-आउट के लिए सभी शहरी स्थानीय निकायों, खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार (जमाडा) द्वारा भवन नक्शों को प्रदान की जानेवाली स्वीकृति को झारखंड भवन उपविधि 2016 के अनुसार कंप्यूटराइज्ड करते हुए ऑन लाइन पद्धति के रूप में अधिष्ठापित किया गया है. इज ऑफ डूइंग बिजनेस को मूर्त रूप में लाने के लिए (बिल्डिंग प्लान एप्रूवल मैनेजमेंट सिस्टम) 16 दिसंबर 2016 से लागू किया गया है. इसलिए ऑफ लाइन प्रक्रिया से नक्शा स्वीकृति पर पूर्णत: पाबंदी है.
बिल्डिंग प्लान एप्रूवल मैनेजमेंट सिस्टम के कार्यान्वयन के क्रम में यह बात विभिन्न निकाय एवं प्राधिकार द्वारा प्रकाश में लाया गया है कि वर्णित सिस्टम में ऑन लाइन पद्धति से ले-आउट प्लान की स्क्रूटनी का प्रावधान सॉफ्टवेयर में नहीं है, जिसके कारण वर्तमान में ले आउट प्लान स्वीकृति का कार्य ऑनलाइन पद्धति से नहीं किया जा सकता है. उपरोक्त परिस्थिति में वर्तमान में झारखंड भवन उपविधि 2016 तथा संशोधित अध्याय सात, कंडिका 68-75 में ले आउट स्वीकृति संबंधित प्रावधान के अनुसार ऑफ लाइन पद्धति से स्वीकृति दिया जाना ही एकमात्र विकल्प है.
निर्णय लिया गया है कि झारखंड भवन उपविधि 2016 तथा संशोधित में ले-आउट स्वीकृति संबंधी प्रावधान के अनुसार ले-आउट प्लान से संबंधित प्राप्त हुए अभ्यावेदनों का निष्पादन 31.03.2020 तक ऑफ लाइन पद्धति से किया जायेगा.

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