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धनबाद : सरस मेला में दिख रही लघु भारत की झलक

धनबाद : गोल्फ ग्राउंड में चल रहे 10 दिवसीय आजीविका सरस मेला में लघु भारत सिमट आया है. देश के लगभग सभी राज्यों से आयी महिला उद्यमियों ने स्टॉल लगाया है. स्टॉलों पर देश की विविधता भरी संस्कृति के प्रतीक कलाकृतियां मिल रही हैं. मेलामें आयी महिला उद्यमियों को इस बात की खुशी है कि […]

धनबाद : गोल्फ ग्राउंड में चल रहे 10 दिवसीय आजीविका सरस मेला में लघु भारत सिमट आया है. देश के लगभग सभी राज्यों से आयी महिला उद्यमियों ने स्टॉल लगाया है. स्टॉलों पर देश की विविधता भरी संस्कृति के प्रतीक कलाकृतियां मिल रही हैं. मेलामें आयी महिला उद्यमियों को इस बात की खुशी है कि उन्हें यहां एक बड़ा मंच मिला है. लोग उनके हुनर को काफी सराह रहे हैं.
पोषण पर कार्यशाला : सरस मेला में शनिवार को गोल्फ ग्राउंड में पोषण पर कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिला समाज कल्याण पदाधिकारी हेमा प्रसाद ने कहा कि प्रधानमंत्री की सोच है कि सही पोषण से देश रोशन होगा और 2022 तक देश को कुपोषण से मुक्त करना है.
कार्यशाला में कन्यादान, प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना, लक्ष्मी लाडली आदि योजनाओं की जानकारी दी गयी. समारोह में गणेश वंदना, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर नृत्य नाटिका, पोषण पर नुक्कड़ नाटक, राजस्थानी घूमर नृत्य, वन्दे मातरम् नृत्य का आयोजन किया गया. महिला पर्यवेक्षिका द्वारा पोषण पर क्विज का आयोजन किया गया. समारोह में अपर समाहर्ता (आपूर्ति) शशि प्रकाश झा, धनबाद, टुंडी तथा बलियापुर की बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, सेविका, सहायिका, पोषण सखी आदि उपस्थित थे.
मेले में धनबाद के स्टॉल की अलग पहचान बन रही है. सरायढेला के कार्मिक नगर में बनीं चूड़ियां और गोविंदपुर के जंगलपुर की बनी चप्पलें लोगों को खूब आकर्षित कर रही है. जंगलपुर की संजीदा खातून और जमीला बेबी बताती है कि उनके समूह में 15 महिलाएं है. जंगलपुर में ही उनकी चप्पल की फैक्ट्री है. हाथों से वह चप्पल बनाती हैं. उसमें रंग भी वह खुद करती हैं और उसे बाजार में बेचती हैं.
लघु उद्योग होने के कारण वह बाजार में 150 से 200 रुपये में मिलने वाली चप्पलों को 70 से 80 रुपये में बेचती है. उनके स्टॉल पर काफी भीड़ हो रही है. लोगों को यह पंसद भी आ रही है. सरायढेला कार्मिक नगर की नीतू कुमारी बताती हैं कि कार्मिक नगर में में उनका नित्य प्रकाश स्वयं सहायता समूह है. उन्हें सरकार की तरफ से चूड़ियां और फूलदानी बनाने की ट्रेनिंग दी गयी. अभी उनका सैंपल रांची और दिल्ली भी गया हुआ है.
उनके समूह की शुरुआत मात्र चार माह पहले हुई थी. मगर बहुत तेजी से उनके साथ महिलाएं जुड़ रही हैं. स्टॉल में बैठकर ही इस समूह की महिलाएं हाथों से चूड़ियां बना रही है. बताती हैं कि बाजार में मिलने वाली चूड़ियों से यह 30 प्रतिशत सस्ता चूड़ी यहां है. यह भी एक कारण है कि महिलाओं को यह पसंद आ रहा है.
मणिपुर से पहुंची अंगुम
सरस मेला में हिस्सा लेने मणिपुर की राजधानी इंफाल से आयी अंगुम रीना ने सजावट की वस्तुओं का स्टॉल लगाया है. उनके स्टॉल पर खुबसूरत नकली फूल यहां आने वाले लोगों का खासा आकर्षित कर रही हैं.
अधिकतर लोग इसे चीन की मान बैठ रहे हैं. लेकिन अंगुम उन्हें गर्व से बताती हैं कि ये फूल व सजावट के सामान मणिपुर में मिलने वाली प्राकृतिक वस्तुओं से बनायी जाती है. वे लोगों को मणिपुर में मिलने वाली खास तरह की घास से बनी डोलची व थैला दिखाती हुई बताती है कि ये दोनों काफी मजबूत और खुबसूरती में किसी कम नहीं है. उन्हें यहां अच्छा रिस्पांस मिल रहा है. आगे यहां बेहतर कारोबार की उम्मीद है.

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