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दिन में रौनक, रात को बारिश बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा

धनबाद : आज दीपावली है. हर घर में मां लक्ष्मी की कृपा बरसेगी. सुख-समृद्धि आयेगी. देश की कोयला राजधानी दीपों से जगमगायेगी. गुरुवार की रात 11.43 बजे तक अमावस्या है. भक्तों को पूजा-अर्चना के लिए काफी समय मिलेगा. भगवान विष्णु और माता बगलामुखी की भी पूजा की जायेगी. देवी लक्ष्मी व भगवान गणेश की पूजा-अर्चना […]

धनबाद : आज दीपावली है. हर घर में मां लक्ष्मी की कृपा बरसेगी. सुख-समृद्धि आयेगी. देश की कोयला राजधानी दीपों से जगमगायेगी. गुरुवार की रात 11.43 बजे तक अमावस्या है. भक्तों को पूजा-अर्चना के लिए काफी समय मिलेगा. भगवान विष्णु और माता बगलामुखी की भी पूजा की जायेगी.
देवी लक्ष्मी व भगवान गणेश की पूजा-अर्चना सूर्यास्त होने के बाद से ही शुरू हो जायेगी. शाम 5.38 बजे से रात 8.14 बजे तक प्रदोष काल रहेगा. पूजन के लिए वृष व सिंह लग्न को सर्वोतम माना गया है. यह दोनों लग्न स्थिर लग्न है. वृष लग्न में गृहस्थ सबसे अधिक पूजा-अर्चना करते हैं. रात 07.15 से 09.11 बजे तक वृष लग्न है. वहीं सिंह लग्न रात 01.44 से 03.57 बजे तक है. इस लग्न में अधिक व्यापारी पूजा करते हैं. यह उनके लिए काफी शुभ लग्न माना गया है. दीपावली महोत्सव के चौथे दिन 20 अक्तूबर को अन्नकूट, गोवर्धन पूजा अौर 21 अक्तूबर को भैया दूज व चित्रगुप्त पूजा है. इसी दिन पांच दिवसीय दीपावली महोत्सव का समापन हो जायेगा. इसके पहले 18 अक्तूबर को छोटी दीपावली मनायी गयी.
ऐसे करें लक्ष्मी-गणेश की पूजा
पूजा शुरू करने से पहले सभी सामग्री एक जगह एकत्रित कर लें. इसके बाद पूजा स्थल पर गंगा जल छींटें. अल्पना आदि देकर पूजा के लिए चौकी, तख्ता या जो सामान उपलब्ध हो उस पर उन्हें स्थापित करें. भगवान की प्रतिमा रखें. उनके आगे कलश रखें. उसके चारों तरफ दीये की राेशनी कर लें. भगवान की प्रतिमा रखने से पहले कपड़ा के अंदर अक्षत अौर चांदी अथवा जो सिक्का उपलब्ध है, उसे रख लें. इसके बाद सभी देवी-देवता की पूजा-अर्चना करें. हवन और आरती कर लें. इसी तरह नवीन खाते, बही व तराजू आदि की पूजा कर लें. पूजा शुरू करने से पहले संकल्प कर लें. संभव हो, तो मां लक्ष्मी व गणेश के विभिन्न नामों का जाप कर लें .
पूजन सामग्री : अक्षत, लाल वस्त्र, फूल, पांच सुपारी, रोली, सिंदूर, नारियल, अक्षत, लाल अौर पीला वस्त्र, फूल, जनेऊ, सुपारी, लौंग, इलायची, पान पत्ता, घी, कलश, आम का पल्लव, चौकी, मौली सूता, हवन के लिए बरतन व हवन सामग्री, कमल गट्टे, पंचामृत, आसन, हल्दी, अगरबत्ती, कुमकुम, इत्र, दीपक, रुई, कुश, रक्त चंदन आदि.
प्रसाद : बताशा, मूढ़ी, पेड़ा, ऋतु फल, मिठाई, खीर.
फूल : कमल,गेंदा, गुलाब आदि
पूजा का मुहूर्त
वृश्चिक – दिवा 10.47 से 12.52 बजे
वृष – रात 07.15 से 09.11 बजे
सिंह- रात 01.44 से 03.57 बजे
कुंभ: दिन में 02.39 से 04.10 बजे तक

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