पति-पत्नी दोनों ने अपने जीवन काल में ही देहदान की घोषणा कर दी थी. कुसुम के पुत्र कुंतल चक्रवर्ती ने बताया कि मां-पिता मानते थे कि मरने के बाद यदि यह शरीर किसी के काम आ जाये, तो इससे अच्छा और क्या हो सकता है. देहदान में बंगाली वेलफेयर सोसाइटी के सदस्यों गोपाल भट्टाचार्य, अतनु गुप्ता, तन्मय, कंचन दा आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा.
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रिटायर रेलकर्मी का मरणोपरांत देहदान
धनबाद : बरमसिया फुटबॉल ग्राउंड निवासी सेवानिवृत्त रेलकर्मी कुसुम कुमार चक्रवर्ती (90) का मरणोपरांत पीएमसीएच में नेत्र व देह दान किया गया. कुसुम ने पहले ही देह दान के लिए एफिडेविट भरा था. उन्होंने कार्मिक नगर स्थित जिम्स अस्पताल में रविवार की सुबह छह बजे अंतिम सांसें ली. वर्ष 2013 में कुसुम की पत्नी फूलो […]
धनबाद : बरमसिया फुटबॉल ग्राउंड निवासी सेवानिवृत्त रेलकर्मी कुसुम कुमार चक्रवर्ती (90) का मरणोपरांत पीएमसीएच में नेत्र व देह दान किया गया. कुसुम ने पहले ही देह दान के लिए एफिडेविट भरा था. उन्होंने कार्मिक नगर स्थित जिम्स अस्पताल में रविवार की सुबह छह बजे अंतिम सांसें ली. वर्ष 2013 में कुसुम की पत्नी फूलो रानी चक्रवर्ती की मौत के बाद देहदान किया गया था.
दो घंटे में हो गयी प्रक्रिया पूरी : सुबह छह बजे निधन के बाद पुत्र कुंतल ने इसकी सूचना सोसाइटी के सदस्यों को दी. सोसाइटी के गोपाल भट्टाचार्य आदि ने पीएमसीएच के चिकित्सकों से संपर्क किया गया. परिजनों ने पहले नेत्र दान की बात कही. सुबह आठ बजे पीएमसीएच की एक टीम आकर कार्निया को अपने साथ आइ बैंक ले गयी. कागजी प्रक्रिया पूरी होने के बाद लगभग ढाई बजे शरीर को अस्पताल के हवाले कर दिया.
चार बेटा, एक बेटी सहित भरा पूरा परिवार : कुसुम अपने पीछे चार बेटे व एक बेटी, नाती-पोतो सहित सहित भरा-पूरा परिवार छोड़ गये हैं. बेटी बाहर रहती है. निधन की खबर पर परिजनों ने अस्पताल में आकर अंतिम दर्शन किया.
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