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हाइटेक में धनबाद पीछे: 26 महीने में 2036 शिकायतें, 122 मामले में प्राथमिकी हुई दर्ज, ऑनलाइन एफआइआर की सुस्त रफ्तार

धनबाद: जिले में ऑनलाइन एफआइआर की संख्या ऑफलाइन के मुकाबले काफी कम है. जिला पुलिस ने 20 मई 2015 से ऑन लाइन शिकायत की व्यवस्था शुरू की. लेकिन तब से 31 जुलाई 2017 तक (कुल 26 महीने में) मात्र 2036 ऑन लाइन शिकायत हुई. इसमें भी 122 शिकायतों में एफआइआर दर्ज की गयी. बाकी को […]

धनबाद: जिले में ऑनलाइन एफआइआर की संख्या ऑफलाइन के मुकाबले काफी कम है. जिला पुलिस ने 20 मई 2015 से ऑन लाइन शिकायत की व्यवस्था शुरू की. लेकिन तब से 31 जुलाई 2017 तक (कुल 26 महीने में) मात्र 2036 ऑन लाइन शिकायत हुई. इसमें भी 122 शिकायतों में एफआइआर दर्ज की गयी. बाकी को एफआइआर के लायक नहीं पाया गया. जबकि ऑफलाइन शिकायतों की संख्या इससे कहीं ज्यादा है. आमतौर पर जिले के थानों में एक साल में साढ़े चार से पांच हजार प्राथमिकी दर्ज होती है.
अॉफलाइन दर्ज होते हैं ज्यादा मामले : एक जनवरी 2017 से 31 जुलाई 2017 तक 967 ऑन लाइन शिकायत हुई. इसमें मात्र 33 मामले में केस दर्ज किये गये. जबकि इसी अवधि में जिले के 56 ओपी-थाना में ऑफलाइन 2916 केस दर्ज किये गये. पुलिस बताती है कि ऑनलाइन सबसे ज्यादा शिकायत मोबाइल- सीम गुमशुदगी की आती है, जिसमें केस नहीं किया जा सकता है.
पूरा विवरण दें, नहीं होगी परेशानी : पुलिस की सलाह है कि शिकायत करते समय अपना पूरा विवरण, घटनास्थल, घटना का समय, अपराधियों व उस समय की परिस्थिति, अपना मोबाइल नंबर, यदि अपराधी है तो उसका पूरा हुलिया, घटना का तरीका और पूरी जानकारी देनी चाहिए. लेकिन लोग सिर्फ शिकायत करते हैं और पूरा विवरण नहीं देते हैं. इस कारण शिकायतकर्ता को बुलाना पड़ता है और जांचोपरांत कार्रवाई की जाती है.
हस्ताक्षर के लिए आना पड़ता है थाना : ऑन लाइन शिकायत करने के बाद भी शिकायतकर्ता को एक बार थाना जाना ही पड़ेगा. क्योंकि नियम के अनुसार मूल आवेदन पर शिकायतकर्ता का हस्ताक्षर अनिवार्य है. संबंधित आवेदन कोर्ट को भेजा जाता है. हालांकि पुलिस की कार्रवाई आवेदन के साथ शुरू हो जाती है. लेकिन प्राथमिकी दर्ज तभी होती है जब मूल आवेदन पर हस्ताक्षर होगा.
कैसे करें ऑन लाइन शिकायत
jofs.jhpolice.gov.in को खोलें. कई तरह के कॉलम आयेंगे. पहला कॉलम नाम का है. उसके बाद लिंग, आयु, पता, पिन नंबर, मोबाइल नंबर, ई मेल, फोन नंबर, परिचय पत्र, घटना स्थल, जिला, घटना का थाना क्षेत्र का नाम, शिकायत का पूरा विवरण, विषय वस्तु सहित अन्य जानकारी डालनी होगी. उसके बाद इसे संलग्न करना होगा और आपको एक ओटीपी नंबर जारी किया जायेगा. जिससे आप घर बैठे इसकी पूरी जानकारी प्राप्त कर लेंगे.
थानों के बदले हैं माहौल : एसएसपी
एसएसपी मनोज रतन चोथे का कहना है कि अब सभी थाना में पीड़ितों से अच्छे से बरताव किया जा रहा है. उनकी शिकायत ली जा रही है. शिकायत के लिए रजिस्टर भी रखा गया है. इन कारणों से भी ऑन लाइन शिकायत कम हो रही है. मैं और अन्य पुलिस अधिकारी भी आम लोगों से प्रतिदिन मिलते हैं और उनकी समस्या सुनते हैं. ज्यादातर लोग जमीन विवाद, मोबाइल गुम, पासपोर्ट वेरिफिकेशन, कैरेक्टकर सार्टिफिकेट जैसे मामलों को ऑनलाइन डालते हैं, इस कारण केस नहीं होता. जबकि सही मामला रहने पर अपने आप ही थाना में केस दर्ज होता है. ऑन लाइन शिकायत करते ही जो ओटीपी नंबर जारी होता है उसका मैसेज मुझे और हेड क्वार्टर डीएसपी व थाना प्रभारी के मोबाइल में आता है तो हम लोग कार्यवाही करते हैं.

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