बच्चों की रचनात्मकता को बढ़ाने के लिए यह नये विषय जोड़े जा रहे हैं. यह पढ़ना सबके लिए अनिवार्य होगा. उनका कहना है कि गुणवत्तापरक शिक्षा के जरिये छात्र देश के अच्छे नागरिक बनें, इसको ध्यान में रख कर साइंटिफिक तरीके से पाठयक्रम व अध्यापन पद्धति में संशोधन किया जा रहा है.
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सीआइएससीइ बोर्ड: कक्षा एक से आठवीं तक परफॉर्मिंग आर्ट्स, संस्कृत व योग पढ़ाया जायेगा, आठवीं तक के पाठ्यक्रम में होगा बदलाव
रांची/धनबाद: पढ़ाई में छात्रों की रुचि बढ़ाने के लिए सीआइएससीइ (काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशंस), नयी दिल्ली द्वारा प्री-स्कूल से लेकर कक्षा आठवीं तक के पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया है. बच्चों की सीखने की प्रवृत्ति, शिक्षकों के पढ़ाने की पद्धति को ज्यादा अपग्रेड करने व बच्चों का उत्साह बढ़ाने के लिए पाठ्यक्रम […]
रांची/धनबाद: पढ़ाई में छात्रों की रुचि बढ़ाने के लिए सीआइएससीइ (काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशंस), नयी दिल्ली द्वारा प्री-स्कूल से लेकर कक्षा आठवीं तक के पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया है. बच्चों की सीखने की प्रवृत्ति, शिक्षकों के पढ़ाने की पद्धति को ज्यादा अपग्रेड करने व बच्चों का उत्साह बढ़ाने के लिए पाठ्यक्रम में नये सबजेक्ट जोड़ने के साथ इंटरनल मूल्यांकन टेस्ट प्रक्रिया शुरू की जायेगी. यह नयी प्रणाली 2017 में ही शुरू की गयी है, अब छात्रों के लिए यह नयी पद्धति 2018 से लागू होगी. यह जानकारी बुधवार को काेलकाता में सीआइएससीइ के मुख्य कार्यकारी व काउंसिल के सचिव जी एराथन ने दी.
उन्होंने बताया कि सभी छात्रों के लिए कक्षा एक से आठवीं तक में परफॉर्मंग आर्ट्स, पांचवीं से लेकर आठवीं तक में संस्कृत व कक्षा एक से आठवीं तक सभी छात्रों को फिजिकल एजुकेशन के रूप में योगा सिखाया जायेगा. हालांकि बोर्ड परीक्षा में पहले से ही संस्कृत विषय है. इसको नये रूप में कक्षा पांचवीं से आठवीं तक के बच्चों के लिए शुरू किया जा रहा है.
पांचवीं से आठवीं तक में चार विषयों में छात्रों का इंटरनल असेसमेंट होगा : कक्षा पांचवीं से लेकर आठवीं तक में मुख्य विषयों में बच्चों ने कक्षा में क्या पढ़ा, उनको अपना पाठ कितना समझ में आया, उनकी योग्यता का आकलन करने के लिए अंदरुनी मूल्यांकन प्रक्रिया (इंटरनल असेस्मेंट टेस्ट) शुरू किया गया है. यह टेस्ट इंग्लिश, मैथमेटिक्स, साइंस व सोशल स्टडीज (इतिहास, सिविक्स व जियोग्राफी सहित) जैसे विषयों में लिया जायेगा. इसमें सभी बच्चों को मूल्यांकन के लिए एक टेस्ट देना पड़ेगा. इससे शिक्षकों को भी यह समझ में आयेगा कि बच्चों को उनके द्वारा पढ़ाया गया पाठ कितना समझ में आया है. इस टेस्ट के जरिये छात्रों व टीचर्स दोनों का मूल्यांकन किया जायेगा. हालांकि इस टेस्ट के लिए कोई अंक नहीं दिया जायेगा और न ही इसे रिपोर्ट कार्ड में जोड़ा जायेगा. यह मूल्यांकन कक्षा में बच्चों की नींव मजबूत करने व उनका आकलन करने के लिए लिया जायेगा. इसके लिए प्रथम चरण में ट्रेनिंग टू मास्टर ट्रेनर्स कार्यक्रम किया जायेगा. यह प्रशिक्षण अग्रणी शिक्षण संस्थानों के अनुभवी शिक्षाविदों द्वारा दिया जायेगा. प्रशिक्षण इंगलिश, मैथमेटिक्स, साइंस व सोशल स्टडीज के लिए दिया जायेगा.
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