समिति द्वारा जागरूक किया जाता है कि रक्तदान करने से कोई नुकसान नहीं होता बल्कि इससे किसी की जान बचायी जा सकती है. समिति अक्सर शिविर भी लगाती हैं लेकिन यह एक विडंबना ही है कि तमाम जागरूकता अभियान व संकल्प के बाद भी लोग रक्तदान करने से हिचकते हैं. अमूमन एक संस्था यदि 50 यूनिट रक्त संग्रह का लक्ष्य लेकर शिविर आयोजित करती है तो बमुश्किल 10-15 यूनिट ही रक्त संग्रह हो पाता है. इसके पीछे की वजहें कई है और उन वजहाें के पीछे जाने और समाधान की जरूरत है.
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रक्तदाताओं को प्रेरित कर जरूरतंदों को दे रहे नयी जिंदगी
देवघर: ब्लड बैंक में रक्त की कमी के कारण किसी को अपनी जिंदगी नहीं गंवानी पड़े इसके लिए देवघर में कई सक्रिय संस्थाएं हैं जो आपातकालीन मौके पर किसी मरीज को खून की जरूरत पड़ती है तो ऐसे वक्त में किसी की जिंदगी और मौत के बीच एक कड़ी का काम करती हैं. इसी में […]
देवघर: ब्लड बैंक में रक्त की कमी के कारण किसी को अपनी जिंदगी नहीं गंवानी पड़े इसके लिए देवघर में कई सक्रिय संस्थाएं हैं जो आपातकालीन मौके पर किसी मरीज को खून की जरूरत पड़ती है तो ऐसे वक्त में किसी की जिंदगी और मौत के बीच एक कड़ी का काम करती हैं. इसी में एक है देवघर की महात्मा हैनिमेन सेवा समिति. इसके द्वारा समय-समय पर जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को रक्तदान की अपील की जाती है.
रक्तदाताओं को नहीं मिलती विशेष सुविधा : रक्तदाता जो डोनर भी कहलाते हैं उन्हें रक्तदान के बाद विशेष सुविधाएं नहीं मिल पाती. खास तौर पर किसी रक्तदाता को इलाज या फिर अन्य स्वास्थ्य सेवाओं में विशेष सुविधाएं दी जानी चाहिए ताकि दूसरे लोग भी रक्तदान के लिए आगे बढ़ें. लेकिन देवघर में रक्तदान करने वालों को भी सामान्य श्रेणी में खड़ा कर दिया जाता है जिससे उनके अलावा दूसरों का भी उत्साह कम हो जाता है.
पहले लिया जाता है रक्त, फिर जांच से कई यूनिट रक्त होते बरबाद : देवघर में विभिन्न संस्थाओं द्वारा शिविर लगाकर रक्त संग्रह कर लिया जाता है, फिर रक्तदान से संग्रह रक्त का समूह पता लगाया जाता है और हेमोग्लोबिन टेस्ट, बीपी टेस्ट, शुगर टेस्ट, एचआइवी टेस्ट आदि की जाती है. इसके बाद कोई समस्या हुई तो वह रक्त बेकार हो जाता है. यही वजह है कि रक्तदान करने वाली संस्था धीरे-धीरे डोनेशन से परहेज करने लगी है. अब तो डोनर को जरूरत के समय कॉल कर डोनेशन के लिए बुलाया जाता है.
डोनर का बने पर्सनल कार्ड
संस्था वालों ने डिमांड किया है कि शहर में रक्तदान करने वाले डोनरों का पर्सनल कार्ड बने. इसके लिए सिविल सर्जन के स्तर से प्रयास किया जाना चाहिये. सीएस के स्तर से बने डोनर कार्ड
– डॉ सुनील आर्या, अध्यक्ष, महात्मा हैनिमेन सेवा समिति
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