देवघर: मोहनपुर बाजार के समीप ऐतिहासिक रानी तालाब का अस्तित्व धीरे-धीरे समाप्ति की ओर है. कभी त्रिकुट के झरने से लबालब पानी से भरा रानी तालाब लगभग 100 एकड़ जमीन पर सालों भर फसल व सब्जी उत्पादन के सिंचाई का साधन था, आज खुद प्यासी है.
रानी तालाब से कई गांव के लोग अपने खेतों में पटवन करते थे, मगर 15 वर्ष पूर्व आयी बाढ़ से तालाब में मिट्टी भर गयी. इसके बाद से त्रिकुट के झरने का पानी भी अब तालाब नहीं ठहरने लगा. तालाब में मिट्टी भर जाने के कारण झरने का पानी ने भी दिशा बदल ली है. रानी तालाब के जीर्णोद्धार की मांग वर्षो से हो रही है. तालाब का अगर जीर्णोद्धार हुआ तो वर्तमान में 60 एकड़ से भी अधिक जमीन का पटवन हो सकता है. क्षेत्र में हरियाली छा सकती है.
सिंचाई का सबसे बड़ा साधन
जिप सदस्य भूतनाथ यादव ने कहा कि रानी तालाब सिंचाई का सबसे बढ़ा साधन हो सकता है, मगर इस क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के उदासीनता के कारण तालाब हमेशा उपेक्षित रहा. बांक गांव में आधे किलोमीटर के दायरे में दो तालाब का जीर्णोद्धार लाखों की लागत से हो रहा है, लेकिन रानी तालाब पर कोई ध्यान नहीं हैं.
मैंने जिप की बैठक में इसकी मरम्मत का प्रस्ताव दिया है. पूर्व बीस सूत्री अध्यक्ष संजय गुप्ता ने कहा कि इस ऐतिहासिक तालाब का जीर्णोद्धार 20 से 25 लाख रुपये में हो सकता है, मगर इसमें पंचायतीराज के जनप्रतिनिधि मोहनपुर क्षेत्र से सौतेला व्यवहार कर रहे हैं. सिंहरायडीह निवासी नंदलाल यादव ने कहा कि इन दिनों नौ पंचायत छोड़ केवल बांक गांव में विकास कार्य चल रहा है. बांक में आसपास में ही दो बड़े तालाब बने रहे हैं, जबकि अतिआवश्यक रानी तालाब को कोई देखने वाला नहीं है. जेवीएम नेत्री निर्मला भारती ने कहा कि रानी तालाब सिंचाई के साधन बन इस क्षेत्र में बेरोजगारी दूर कर सकती है.