देवघर: सदर अस्पताल, देवघर में आपूर्ति की गयी दवा के नमूने जांच में खरा नहीं उतरने को लेकर जीओसीआर केस नंबर 110/13 सीजेएम कोर्ट में दर्ज हुआ है. यह मुकदमा दवा निरीक्षक रजनीश सिंह द्वारा दाखिल प्रतिवेदन के आलोक में किया गया है.
दाखिल प्रतिवेदन के तथ्यों पर सीजेएम वीणा मिश्र ने संज्ञान लिया तथा आरोपितों की उपस्थिति के लिए सम्मन निर्गत करने का आदेश दिया है. दाखिल मुकदमे में खुलासा हुआ है कि कोलकाता की दोनों कंपनी द्वारा सदर अस्पताल, देवघर में मरीजों के लिए नीयोफेक्स-पी सिरप तथा मेट्रोनीडाजोल बेंजोट ऑरल सस्पेंसन नामक दवा की आपूर्ति की गयी थी.
दवा का प्रभाव मरीजों पर न होने का मामला 31 मई 2013 को सदर अस्पताल देवघर में उजागर हुआ था. इसके बाद दवा निरीक्षक ने डीएस डॉ सुरेश प्रसाद सिन्हा की मौजूदगी में अस्पताल के स्टोर से नमूने लिये और विज्ञान प्रयोगशाला धनबाद जांच के लिए भेजा. रिपोर्ट में दवा कसौटी पर सही नहीं उतरी और सही गुणवत्ता वाली नहीं होने की बात सामने आयी.
इन्हें बनाया गया है आरोपित
1. मेसर्स कंसास लेबोरेट्रीज प्राइवेट लिमिटेड, लाल बाजार, कोलकाता
2. निदेशक भरत कुमार साह, कंसास लेबोरेट्रीज, कोलकाता
3. मेसर्स सुवर्णा फर्मासिटीकल प्राइवेट लिमिटेड, फीडर रोड, कोलकाता
4. निदेशक (प्रोडक्शन) सुवर्णा फर्मासिटीकल कंपनी, कोलकाता
लगायी गयी धाराएं : ड्रग एंड केमिस्ट एक्ट 1940 की धारा 18 (ए) (आइ) तथा 17 (बी) लगायी गयी है. इन धाराओं के तहत जुर्माना व सजा का प्रावधान है.
क्या है मामला: मरीजों की शिकायत के बाद डीएस ने सीएस को दवा की गुणवत्ता की जांच कराने का आग्रह किया था. दवा का सैंपल जांच के लिए प्रयोगशाला भेजा गया. सैंपल की जांच में गुणवत्तापूर्ण दवा नहीं होने के प्रमाण सामने आने के बाद मुकदमा दर्ज करने के लिए दवा निरीक्षक ने अनुरोध किया.