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दुकानदारों से होती रही है अवैध वसूली
वर्षो से श्रावणी मेला में रंगदारी का आता रहा है मामला देवघर : श्रावणी मेला क्षेत्र में मानसिंघी, शिवगंगा व लक्ष्मीपुर चौक तक सड़क किनारे लगने वाले दुकानदारों से अवैध वसूली कोई नयी बात नहीं है. पूर्व के भी वर्षो में मेला के दौरान बतौर रंगदारी दुकानदारों से अवैध वसूली होती रही है. पूर्व के […]
वर्षो से श्रावणी मेला में रंगदारी का आता रहा है मामला
देवघर : श्रावणी मेला क्षेत्र में मानसिंघी, शिवगंगा व लक्ष्मीपुर चौक तक सड़क किनारे लगने वाले दुकानदारों से अवैध वसूली कोई नयी बात नहीं है. पूर्व के भी वर्षो में मेला के दौरान बतौर रंगदारी दुकानदारों से अवैध वसूली होती रही है. पूर्व के वर्षो में भी वसूली करने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई थी.
उस वक्त भी आरोपित दबोचे गये थे. बावजूद दुकानों से मेला के दौरान होने वाली अवैध वसूली में अंकुश नहीं लग पाया था. प्राथमिकी में तो स्पष्ट हो चुका है कि मंदिर इलाके के रहने वाले प्रदीप नरौने के कहने पर दुकानदारों से बतौर रंगदारी अवैध वसूली की जा रही थी. उक्त वसूली हनुमान टिकरी निवासी सूरज मिश्र के नेतृत्व में की जा रही थी.
हाल ही में जेल से छूटा था सूरज
सूरज मिश्र प्राइवेट बस स्टैंड के समीप पार्लर व्यवसायी कुमार रवि से रंगदारी मांगने के आरोप में जेल गया था. हाल ही में वह जमानत पर बाहर निकला था. फिर श्रावणी मेला में लगे दुकानों से रंगदारी वसूली मामले में हुई प्राथमिकी में सूरज आरोपित बना.
हाल में हुए मामले में भी आरोपित है प्रदीप नरौने
28 जून को शिवगंगा के समीप नेहरु पार्क स्कूल में बिलासी टाउन शिव कुमार पथ निवासी गुड्डू कम्र्हे उर्फ राम जी के साथ हुए मारपीट-छिनतई मामले में प्रदीप नरौने को भी आरोपित बनाया गया था.
गुड्डू को हथियार से लैस आरोपितों ने जबरन पार्क ले जाकर मारपीट किया था. मौके पर से पुलिस ने हथियार के साथ चार आरोपितों को पकड़ा था. नगर पुलिस के अनुसार इस कांड में आरोपित प्रदीप नरौने फरार है.
बाहर से आने वाले खोवा में भी होती है रंगदारी वसूली
सूत्रों की मानें तो श्रावणी मेले में न सिर्फ दुकानों से ही बतौर रंगदारी अवैध वसूली होती है.बल्कि श्रावणी मेला में बाहर से खोवा के खेप लाने वाले व्यवसायियों से भी रंगदारी वसूली की जाती है. खोवा के खेप से रंगदारी वसूली को लेकर करीब छह साल पूर्व ही नगर थाने में प्राथमिकी दर्ज हुई थी.
सूत्रों पर भरोसा करें तो श्रावणी मेला में रेल मार्ग से रोजाना सैकड़ों किलो खोवा की आपूर्ति होती है. खोवा लाने वाले व्यवसायियों को भी इस परेशानी से गुजरना होता है. स्थानीय रंगदारों को बिना चुंगी दिये खोवा व्यवसायियों को काफी मुश्किलें ङोलनी पड़ती है.
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