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देवघर : …..जब 1998 में शिबू के गढ़ में बाबूलाल ने लगायी थी सेंध

संजीत मंडल देवघर : संताल परगना में झामुमो के लिए यदि कोई सीट अभेद्य रहा है, तो वह है दुमका संसदीय सीट. इस सीट पर 1984 के बाद से झामुमो की बादशाहत बरकरार रही है. 1998 और 1999 के चुनाव को छोड़ दें, तो यहां से सर्वाधिक सात बार शिबू सोरेन सांसद चुने गये हैं. […]

संजीत मंडल

देवघर : संताल परगना में झामुमो के लिए यदि कोई सीट अभेद्य रहा है, तो वह है दुमका संसदीय सीट. इस सीट पर 1984 के बाद से झामुमो की बादशाहत बरकरार रही है.

1998 और 1999 के चुनाव को छोड़ दें, तो यहां से सर्वाधिक सात बार शिबू सोरेन सांसद चुने गये हैं. इसमें छह बार झामुमो से और एक बार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीते थे शिबू सोरेन. 1998 और 1999 में हुए दो चुनाव में भाजपा की टिकट पर बाबूलाल मरांडी चुनाव जीते थे. इस तरह से देखा जाये, तो दुमका संसदीय सीट झामुमो का गढ़ रहा है.

1952 से 1971 तक कांग्रेस का था कब्जा : दुमका संसदीय सीट पर 1952 से 1971 तक कांग्रेस का दबदबा रहा था. कांग्रेस से सर्वाधिक तीन बार सत्याचंद्र बेसरा सांसद रहे. दुमका से पहली बार देवी सोरेन जेएचपी से सांसद बने.

1989 के बाद से इस सीट पर झामुमो और भाजपा के बीच टक्कर होती रही है. सर्वाधिक सात बार दुमका लोकसभा सीट से शिबू सोरेन सांसद रहे हैं. 1980 के चुनाव में श्री सोरेन निर्दलीय चुनाव जीते. उसके बाद 1989 से लगातार 1996 तक वे झामुमो से चुनाव लड़े और लगातार सांसद रहे और भाजपा हमेशा झामुमो के पीछे खड़ी रही. लगभग सभी चुनाव में झामुमो की सीधी टक्कर भाजपा से हुई है.

लेकिन 1998 में भाजपा ने पहली बार इस किले को फतह किया. लगातार दो चुनाव में (1998 और 1999) भाजपा ने बाबूलाल मरांडी को दुमका से चुनाव लड़ाया. इस चुनाव में भाजपा सफल हुई. लेकिन 2004, 2009 और 2014 में श्री सोरेन ने पुन: अपनी खोयी सीट हासिल ली. शुरुआत में दुमका सीट पर कांग्रेस का दबदबा था. 1977 के चुनाव में दुमका सीट से बीएलडी के बटेश्वर हेंब्रम चुनाव जीते.

इसके अलावा 1984 के चुनाव में पृथ्वी चंद किस्कू कांग्रेस से चुनाव जीते. इस तरह दुमका संसदीय सीट पर छह बार झामुमो, दो बार भाजपा, कांग्रेस चार, एक बार निर्दलीय (शिबू सोरेन) और एक-एक बार जेएचपी व बीएलडी उम्मीदवार चुनाव जीते थे.

2009 में 24.19 फीसदी घटा था झामुमो का वोट प्रतिशत : दुमका लोकसभा सीट पर वोटों के प्रतिशत का रुझान देखें, तो पिछले जितने भी चुनाव हुए हैं, झामुमो का वोट प्रतिशत बढ़ता ही रहा है. यहां दिलचस्प है कि जब बाबूलाल को भाजपा ने शिबू सोरेन के मुकाबले खड़ा किया, तो 1998 के चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत काफी ऊंंचा रहा.

भाजपा को इस चुनाव में 63.23% वोट मिले. जबकि 1999 के चुनाव में भाजपा का वोट प्रतिशत घटा इस बार श्री मरांडी को 58.26 % वोट मिले. वहीं 1999 के चुनाव में शिबू सोरेन की पत्नी रूपी सोरेन किस्कू झामुमो की टिकट पर चुनाव लड़ी थीं. 2009 के चुनाव में अचानक झामुमो का ग्राफ गिरा. इस चुनाव में श्री सोरेन को महज 33.52% वोट ही मिले. हालांकि वे जीत गये, लेकिन भाजपा के सुनील सोरेन ने उन्हें टक्कर दी. भाजपा को इस चुनाव में 30.50% वोट मिले.

कब, कौन जीता दुमका लोकसभा सीट

वर्ष दल विजयी प्रत्याशी

1957 जेएचपी देवी सोरेन

1962 कांग्रेस सत्याचंद्र बेसरा

1967 कांग्रेस सत्याचंद्र बेसरा

1971 कांग्रेस सत्याचंद्र बेसरा

1977 बीएलडी बटेश्वर हेंब्रम

1980 निर्दलीय शिबू सोरेन

1984 कांग्रेस पृथ्वीचंद किस्कू

1989 झामुमो शिबू सोरेन

1991 झामुमो शिबू सोरेन

1996 झामुमो शिबू सोरेन

1998 भाजपा बाबूलाल मरांडी

1999 भाजपा बाबूलाल मरांडी

2004 झामुमो शिबू सोरेन

2009 झामुमो शिबू सोरेन

2014 झामुमो शिबू सोरेन

झामुमो के वोटों का प्रतिशत कैसे बढ़ा और अचानक गिरा

वर्ष % वोट

1989 47.9

1991 52.16

1996 55.66

2004 57.71

2009 33.52

2014 37.19

Prabhat Khabar Digital Desk
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