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वार्ड में मरीज से ज्यादा होते परिजन
देवघर : वार्ड में मरीजों के साथ परिजनों की भीड़ के कारण डॉक्टर को इलाज करने में परेशानी तो होती है, अस्पताल प्रबंधन को भी उन्हें संभालने में मशक्कत करनी पड़ती है. अस्पताल प्रबंधन के काफी प्रयास के बाद भी परिजन मानने को तैयार नहीं होते. आम तौर पर किसी अस्पताल में एक मरीज के […]
देवघर : वार्ड में मरीजों के साथ परिजनों की भीड़ के कारण डॉक्टर को इलाज करने में परेशानी तो होती है, अस्पताल प्रबंधन को भी उन्हें संभालने में मशक्कत करनी पड़ती है. अस्पताल प्रबंधन के काफी प्रयास के बाद भी परिजन मानने को तैयार नहीं होते. आम तौर पर किसी अस्पताल में एक मरीज के साथ अधिक से अधिक दो परिजनों के ही साथ रहने की अनुमति होती है.
इससे अस्पताल में शोर-शराबा भी नहीं होता. व्यवस्था भी सुचारु रूप से चलती है और मरीजों के इलाज में भी परेशानी नहीं होती. व्यवस्था में सुधार के लिए आम लोगों को भी पहल करने की जरूरत है. ताकि, उनके साथ आये मरीजों के इलाज पर असर नहीं पड़े. लेकिन, अस्पताल के महिला वार्ड, पुरुष वार्ड, डायरी वार्ड, महिला प्रसूति कक्ष या आइसीयू वार्ड ही नहीं बर्न वार्ड में भी मरीजों से अधिक उनके परिजन होते हैं. जिससे मरीजों को भी परेशानी होती है.
वार्ड में भर्ती एक-एक मरीज के साथ आठ से दस परिजन एक साथ रहते हैं. साथ ही वहीं बैठना-सोना, खाना- पीना लगा रहता है. इससे मरीजों व परिजनों में भी संक्रमण का खतरा बना रहता है.
आइसीयू में भी नहीं बदले हालात : प्रबंधन ने आइसीयू में एक मरीज के साथ एक अटेंडेंट की सुविधा दी. इसके लिए पास कार्ड की शुरुआत की. कार्ड बदल कर दूसरे परिजन भी मरीज के साथ रह सकते थे. शुरू में तो यह सुचारु रूप से चली.
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