घातक. देवघर में इस कचरे के प्रबंधन की व्यवस्था नहीं
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शहर में बिखरा है मेडिकल कचरा, संक्रमण की आशंका
घातक. देवघर में इस कचरे के प्रबंधन की व्यवस्था नहीं जिले में हैं दो सौ से अधिक सरकारी एवं निजी अस्पताल, क्लिनिक व पैथोलॉजी देवघर : शहर में सरकारी व प्राइवेट अस्पताल, क्लिनिक व पैथोलॉजी से निकलने वाले मेडिकल कचरे का सही से निष्पादन नहीं होता है. नतीजा यह है कि मेडिकल कचरा शहर में […]
जिले में हैं दो सौ से अधिक सरकारी एवं निजी अस्पताल, क्लिनिक व पैथोलॉजी
देवघर : शहर में सरकारी व प्राइवेट अस्पताल, क्लिनिक व पैथोलॉजी से निकलने वाले मेडिकल कचरे का सही से निष्पादन नहीं होता है. नतीजा यह है कि मेडिकल कचरा शहर में जगह-जगह बिखरा पड़ा मिलता है. उपयोग के बाद सिरींज, ग्लूकोज की बोतलें, एक्सपायरी दवाएं, आइवी सेट, ग्लब्स, खून से सनी रूई आदि चौक चौराहे पर बिखरे सामान्य कचरा में देखने को मिलता है. शहर में कचरा चुनने वाले इसे सामान्य कचरा में ले जाकर मिला देते है, जिसे निगम की गाड़ी उठा कर ले जाती है.
निगम कर्मचारी सामान्य कचरे में मिले हुए मेडिकल कचरा को एक ही जगह डंप कर देते है. शहर में मेडिकल कचरा के बिखरे होने के कारण कई संक्रामक व गंभीर बीमारियों का खतरा बना रहता है. मेडिकल कचरा के निष्पादन के लिए इंसीनेटर नहीं है. इंसीनेटर करीब डेढ़ साल पहले गिर गया था, जिसका दोबारा निर्माण नहीं कराया गया. इधर, मेडिकल कचरा के निष्पादन में जिला प्रशासन, अस्पताल प्रबंधन व नगर निगम एक-दूसरे की जिम्मेदारी की बात कह अपना पल्ला झाड़ देते है.
कितने हैं निबंधित: क्लिनिकल स्टेब्लिस्टमेंट एक्ट के तहत जिले में करीब 40 क्लिनिक, प्राइवेट अस्पताल व पैथोलॉजी सेंटर का पंजीकरण कराया गया है. वहीं गैर सरकारी आंकड़े बताते हैं कि जिले में दो सौ से अधिक सरकारी व प्राइवेट अस्पताल, क्लिनिक व पैथोलॉजी संचालित हो रहे हैं. इनमें से किसी भी अस्पताल या पैथोलॉजी में बायो मेडिकल वेस्ट के निष्पादन की व्यवस्था नहीं है. अस्पतालों में कचरा को अलग करने की व्यवस्था भी नहीं है. जबकि मेडिकल कचरा को अलग करने का नियम है.
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