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Jharkhand News: अंग्रेजों के जमाने में बना हाईस्कूल कभी भी हो सकता है जमींदोज, जोखिम में बच्चों की जान

Jharkhand News: देवघर में श्यामा प्रसाद मुखर्जी उच्च विद्यालय के ऊपरी तल के सभी 14 कमरों में महीनों से पढ़ाई पूरी तरह से बंद कर दी गयी है. नीचे के 9 कमरों में 5 कमरों में कंप्यूटर कक्षा, प्रधानाध्यापक का कक्ष, पुस्तकालय व शिक्षकों का कक्ष है, जबकि चार कमरों में कक्षा 9 व 10 के 600 बच्चे पढ़ते हैं.

Jharkhand News: झारखंड के देवघर जिले के मधुपुर शहर के थाना मोड़ स्थित अंग्रेजों के जमाने में बना श्यामा प्रसाद मुखर्जी उच्च विद्यालय कभी भी जमींदोज हो सकता है. ये विद्यालय 110 वर्ष पुराना है. इसके भवन काफी जर्जर हैं. इससे बच्चों की जान जोखिम में है. मजबूरी में चार कमरों में करीब 600 बच्चे पढ़ाई करने पर विवश हैं. प्रधानाध्यापक ने अधिकारियों व स्थानीय विधायक सह मंत्री हफीजुल हसन से भी आग्रह किया, लेकिन कोई पहल नहीं की गयी. इस स्कूल का नाम पहले ऐडवर्ड जार्ज उच्च विद्यालय था, लेकिन झारखंड गठन के बाद इसका नाम जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर रखा गया.

कभी भी हो सकता है बड़ा हादसा

बताया जाता है कि मधुपुर में श्यामा प्रसाद की आलीशान कोठी थी और उनका मधुपुर से लगाव को ध्यान में रखते हुए उनके नाम पर विद्यालय का नाम रखा गया. यह ऐतिहासिक विद्यालय का भवन इतना अधिक जर्जर हो गया है कि कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है. हालांकि विद्यालय प्रबंधन ने दो मंजिले भवन के ऊपरी तल को पूरी तरह से बंद कर दिया है और छात्रों के आवागमन पर रोक है, लेकिन ऊपरी तल गिरेगा तो नीचे तल के प्रभावित होने की आशंका है. फिलहाल नीचे तल में ही छात्रों की पढ़ाई होती है. विद्यालय के निचले तल पर 9 कमरा व एक हॉल है, जबकि प्रथम तल पर 14 कमरे हैं.

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4 कमरों में 600 बच्चे

विद्यालय की छत टूट-टूट कर जब तब गिरती रहती है, जिसके कारण ऊपरी तल के सभी 14 कमरों में महीनों से पढ़ाई पूरी तरह से बंद कर दी गयी है. नीचे के 9 कमरों में 5 कमरों में कंप्यूटर कक्षा, प्रधानाध्यापक का कक्ष, पुस्तकालय व शिक्षकों का कक्ष आदि हैं, जबकि चार कमरे ही पठन-पाठन योग्य हैं. इन्हीं चार कमरों में बैठकर कक्षा 9 व 10 के 600 बच्चे पढ़ने को विवश हैं. इसको लेकर प्रधानाध्यापक कार्तिक तिवारी ने पत्र लिखकर डीईओ को त्राहिमाम संदेश भेजा है और कहा है कि अविलंब विद्यालय भवन की जांच कराई जाए क्योंकि भवन कभी भी गिर सकता है. भवन बनाने के बाद कभी भी रंग-रोगन को छोड़कर आज तक मरम्मत नहीं करायी गयी है.

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क्या कहते हैं प्रधानाध्यापक

प्रधानाध्यापक कार्तिक तिवारी ने कहा कि विद्यालय का भवन 100 वर्ष से भी अधिक पुराना है. भवन की स्थिति काफी जर्जर हो गई है. जब तब टूट कर छत गिरती रहती है. इसको लेकर कई बार वरीय अधिकारियों को अवगत कराया गया है. पत्राचार व मौखिक रूप से विद्यालय भवन निर्माण के लिए कहा गया, लेकिन अब तक इस दिशा में विभाग द्वारा कोई भी पहल नहीं की गयी है. इन समस्याओं को लेकर स्थानीय विधायक सह मंत्री हाफिजुल हसन से भी वे लोग मिलने गए थे. इसके बाद भी कोई पहल नहीं की गयी है.

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रिपोर्ट : बलराम, देवघर

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