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World Teacher’s Day: गुरु- शिष्य को समझने का दिन, गुरु समाज को देते नयी दिशा, तो शिष्य लाते हैं उसमें निखार

देश में अलग-अलग तारीख को शिक्षक मनाया जाता है. इसमें गुरु पूर्णिमा पर वेदव्यास जयंती और सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती पर शिक्षक दिवस मनाया जाता है. इसके अलावा 5 अक्टूबर को विश्व शिक्षक दिवस भी मनाया जाता है. इसका उद्देश्य विश्व के शिक्षकों की सराहना, मूल्यांकन व सुधार पर ध्यान केंद्रित करना है.

World Teacher’s Day (अभिषेक पीयूष, चाईबासा) : 1966 में यूनेस्को और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की एक बैठक हुई, जिसमें शिक्षकों के अधिकार, जिम्मेदारियों, रोजगार और आगे की शिक्षा के साथ-साथ इसे लेकर गाइडलाइन बनाने की बात कही गयी, लेकिन आज विभिन्न देशों में अलग-अलग तारीख को शिक्षक दिवस मनाया जाता है. भारत में गुरु पूर्णिमा के दिन ‘वेदव्यास जयंती’ मना कर हम अपने गुरुओं को सम्मान देते है. वहीं, सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती को ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाते हैं, लेकिन बहुत कम लोगों को जानकारी है कि 5 अक्तूबर को ‘विश्व शिक्षक दिवस’ भी मनाया जाता है.

विश्व भर में शिक्षकों को सम्मान और उन्हें मान्यता देने के लिए 5 अक्टूबर को दुनिया भर में ‘अंतरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस’ मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का उद्देश्य विश्व के शिक्षकों की सराहना, शिक्षकों के मूल्यांकन और सुधार पर लोगों का ध्यान केंद्रित करना है. इस दौरान शिक्षण तथा शिक्षकों के मूलभूत मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर मिलता है. इसके अलावा इस दिन दुनिया भर के शिक्षकों की जिम्मेदारी, उनके अधिकार तथा आगे की शिक्षा को लेकर उनकी तैयारी और मानक को भी महत्व दिया जाता है.

आज के परिपेक्ष में महापुरुषों के आदर्शों का पालन करें

प्राचीन काल से ही शिक्षण का उत्तरदायित्व हमारे ऋषियों द्वारा गुरुकुलों के माध्यम से निभाया जाता रहा है. जिसमें विद्यार्थी के व्यक्तित्व को समग्र रूप से विकसित बनाने वाली शिक्षण प्रक्रिया भी सम्मिलित थी. भारतीय जीवन में शिक्षा का स्थान जीवन मूल्यों की संभावित शक्ति के रूप में है. बच्चों की उचित शिक्षा और सही मार्ग दर्शन का संबंध उनके भविष्य के साथ-साथ परिवार, समाज और राष्ट्र के भविष्य से भी जुड़ा हुआ है. आज समय है कि हम अपने महापुरुषों ‘स्वामी विवेकानंद, रविंद्रनाथ टैगोर और महर्षि अरविंद’ के शिक्षा दर्शन को समझें और आज के परिपेक्ष में उन आदर्शों का पालन करें. इन सभी ने मानव जाति को सर्वोच्च आध्यात्मिक विकास का रास्ता दिखाया है.

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विश्व स्तर पर शिक्षक और शिष्य के रिश्तों में दूरी आयी है

विश्व स्तर पर शिक्षक और शिष्य के रिश्तों में आज दूरी आयी है. शिक्षक का महत्व शिष्य की नजरों में बहुत हद तक कम हो गया है. इस कारण शिक्षण समुदाय को भी लगने लगा है कि शिक्षक शिष्य की शिक्षा का नींव मजबूत करने में ज्यादा ध्यान नहीं देते हैं. इस मिथक को तोड़कर यह साबित करने का वक्त है कि सचमुच शिक्षक वह जरिया है, जो शिष्य को उसकी मंजिल तक पहुंचाता है. लिहाजा शिक्षकों पर विश्वास और‌ उनके साथ सहयोग की भावना रखने से शिक्षक और शिष्य के बीच की पुरानी प्रतिष्ठित पुनः कायम हो सकती है.

गुरु को राष्ट्र निर्माता का दर्जा प्राप्त है : एसबी सिंह

चाईबासा स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल के हिंदी विभागाध्यक्ष एसबी सिंह बताते हैं कि संयुक्त राष्ट्र में विश्व शिक्षक दिवस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने को लेकर 1994 में 100 देशों के समर्थन से यूनेस्को की सिफारिश को पारित कर दिया गया था. इसके बाद 5 अक्टूबर, 1994 से अंतरराष्ट्रीय शिक्षक दिवस मनाया जाने लगा. इस साल विश्व शिक्षक दिवस 2021 की थीम ‘शिक्षक : बढ़ते संकट के बीच भविष्य की नयी कल्पना’ है. यह दिवस यूनिसेफ, अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन तथा अंतरराष्ट्रीय शिक्षा के साथ साझेदारी से मनाया जाता है. यह बात तो निर्विवाद है कि गुरु ही समाज को नयी दिशा देते हैं, तभी तो उन्हें ‘राष्ट्र निर्माता’ का दर्जा प्राप्त है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आज गुरु के महत्व को उजागर करने का दिन है, क्योंकि परिवेश और परिवार के अलावे शिक्षार्थी के व्यक्तित्व निर्माण में गुरु की महती भूमिका होती है.

शिक्षा नीति अच्छी है, तो देश को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता : अर्पित सुमन टोप्पो

चाईबासा स्थित महिला कॉलेज के बीएड विभाग की सहायक प्रोफेसर अर्पित सुमन टोप्पो कहतीं हैं कि किसी भी राष्ट्र का आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक विकास उस देश की शिक्षा नीति पर निर्भर करता है. अगर देश की शिक्षा नीति अच्छी है तो, उस देश को आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता. अगर राष्ट्र की शिक्षा नीति गलत होगी, तो सबकी प्रतिभा दब कर रह जायेगी. बेशक किसी भी राष्ट्र की शिक्षा नीति बेकार हो, लेकिन एक शिक्षक बेकार शिक्षा नीति को भी अच्छी शिक्षा नीति में बदलने में सक्षम होता है. एक शिक्षार्थी को अपने शिक्षक के प्रति सदा आदर और कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए. किसी भी राष्ट्र का भविष्य निर्माता कहे जाने वाले शिक्षक का महत्व यहीं समाप्त नहीं होता, क्योंकि वह ना सिर्फ हमकों सही आदर्श व मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं, बल्कि प्रत्येक शिक्षार्थी के सफल जीवन की नींव भी उन्हीं के हाथों रखी जाती है.

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मानवीय गरिमा से अपने विद्यार्थियों को सुशोभित करें : शिल्पा गुप्ता

मांगीलाल रुंगटा प्लास टू हाई स्कूल की प्रभारी प्राचार्य शिल्पा गुप्ता कहती हैं कि राष्ट्र निर्माता रूपी शिक्षक को शिक्षा के साथ मूल्यों, आदर्शों, कर्तव्यों आदि की जानकारी एवं प्रेम, सेवा, त्याग, उदारता, साहस तथा विनम्रता जैसे मानवीय गरिमा से अपने विद्यार्थियों को सुशोभित करना चाहिए, क्योंकि ऐसी समग्रता पूर्ण शिक्षा प्राप्त करने वाला विद्यार्थी अपने कर्म आचरण और व्यवहार से स्वयं के व्यक्तित्व को ऊंचा उठाने के साथ-साथ देश समाज और संस्कृति के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह बिल्कुल स्पष्ट है कि शिक्षक बच्चों के साथ-साथ पूरे समाज और राष्ट्र के भविष्य का भी निर्धारण करते हैं. वर्तमान शिक्षा समस्याओं, शिक्षा प्रणाली, अध्ययन एवं मूल्यांकन के बारे में हम सभी मिलकर चिंतन करें. साथ ही हमें विद्यालय में साकारात्मक वातावरण या माहौल बनाने की जरूरत है. यह महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व हम सभी शिक्षकों के कंधे पर है. हमें यह याद रहे कि हम अपने छात्र-छात्राओं के भाग्य के निर्माता है.

शिक्षकों के कार्यों की सराहना, मूल्यांकन व सुधार की आवश्यकता : कृष्णा देवगम

चाईबासा के नीमडीह स्थित मध्य विद्यालय के शिक्षक कृष्णा देवगम बताते हैं कि विश्व स्तर पर ‘गुणवत्तापरक शिक्षा के लिए एकजुट हों’ के नारे के साथ शुरु हुए विश्व शिक्षक दिवस की प्रासंगिकता आज के परिप्रेक्ष्य में काफी बढ़ गयी है. चूंकि वर्तमान में विश्व भर के शिक्षकों के अधिकार एवं जिम्मेदारियों को समझना अति आवश्यक हो गया है. इसलिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षकों के कार्यों की सराहना, मूल्यांकन और सुधार पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है. वर्तमान में शिक्षक-शिष्य के बीच अच्छे और विश्वनीय संबंध बनाकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रति कार्य कर सामाजिक व आर्थिक ढांचा मजबूत किया जा सकता है. इससे शिक्षकों का सम्मान व प्रतिष्ठा वापस लौटेगी. इस दिवस के माध्यम से शिक्षक की भूमिका और उसकी जिम्मेदारियों को समझने का प्रयास किया जाता है. वर्तमान में विश्व स्तर पर शिक्षकों की जिम्मेदारी काफी बढ़ गयी है. आने वाली पीढ़ी को वैश्विक भाई-चारे, पर्यावरण संरक्षण व संतुलित अर्थव्यवस्था पर कार्य करने की बौद्धिक क्षमता बढ़ाने को लेकर जागरूक व प्रोत्साहित करने‌ का वक्त है. इस कार्य में शिष्य का सहयोग स्वतंत्र मनोवृत्ति से ओत-प्रोत शिक्षक ही कर सकता है.

Posted By : Samir Ranjan.

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