ललपनिया : कोरोना संक्रमण की रोकथाम को ले जारी लॉकडाउन में कामकाज के बंद होने से दिहाड़ी मजदूरों की स्थिति विकट होती जा रही है. गोमिया प्रखंड अंतर्गत तुलबूल पंचायत अवस्थित चैलियाटाड ग्राम में संताली विधवा महिला नुनी मंझियाइन (40) कोरोना की मार से कराहते ऐसे लोगों में ही शामिल है. पांच साल पहले उसके पति का निधन हो गया. मजदूरी से गुजर-बशर करनेवाली नुनी अभी तो दाने-दाने को मोहताज हो गयी है. उसे न विधवा पेंशन मिलती है, न ही उसे कोई सरकारी सहायता मिलती है और न ही उसके पास कोईन राशन कार्ड है.
इधर, छह अप्रैल को सामाजिक कार्यकर्ता ने तथा आठ अप्रैल को मुखिया ने मदद की तो जीने का भरोसा मिल गया. ठोस मदद की दरकार : लॉकडाउन में सुबह चूल्हा जलता है तो दूसरे शाम की चिंता बनी रहती है. कभी-कभार तो सभी भूखों सो जाते हैं. बेटी ट्रेन से अपनी सहेलियों के साथ रांची रोड मजदूरी करने जाती. दस दिनों से काम पर नहीं जा पा रही. खुद भी काम कर लेती थी.
अभी कुछ भी संभव नहीं रहा. राशन कार्ड नहीं रहने से डीलर ने चावल देने से इनकार कर दिया. उक्त जानकारी सामाजिक कार्यकर्ता मोहन साव को मिलने पर उन्होंने ढाई किलो चावल दिया. आठ अप्रैल को मुखिया जलेश्वर हांसदा ने डीलर से उसे पांच किलो अनाज दिलवाया.