लकड़ी काटने से वन रक्षक तक, फिर होटल मालिक और अब बेटे को बना रहे डॉक्टर, जानें झारखंड के इस शख्स की दिलचस्प कहानी

Bokaro News: बोकारो का एक शख्स जो एक समय लकड़ी काटकर अपने परिवार का लालन-पोषण करता था, आज वह खुद तो वनरक्षी बना ही साथ ही अन्य लोगों को भी प्रेरित कर रहा है. अब वह एक होटल चलाकर अपना घर चला रहे हैं.

By Dipali Kumari | September 16, 2025 10:58 AM

Bokaro News | ललपनिया, नागेश्वर: बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड के झूमरापहाड़ तलहटी क्षेत्र के नावाडीह गांव में रहने वाले 55 वर्षीय परन महतो कभी जंगल से सूखी लकड़ी काटकर घर-परिवार चलाते थे. आज वही परन महतो न केवल खुद जंगल बचाने की मुहिम में जुट गये हैं, बल्कि दूसरों को भी वनों की अहमियत समझाते हैं. साथ ही अपना घर चलाने के लिए उन्होंने अब एक होटल खोल लिया है, जिससे वह परिवार का भरण-पोषण कर रहे हैं.

वन रक्षियों ने की आर्थिक मदद

हजारीबाग पूर्वी वन प्रमंडल के चतरोचट्टी बीट के वन रक्षियों ने परन महतो को समझाया कि “वन है तो जीवन है” और वनों को बचाने से ही खुशहाली आयेगी. लेकिन आर्थिक मजबूरी के कारण परन महतो ने अपनी विवशता बतायी. इसके बाद वन रक्षियों ने वर्ष 2023-24 में आपस में चंदा जमा कर उन्हें आर्थिक मदद दी. इसी सहयोग से परन महतो ने नावाडीह चौक पर झोपड़ी नुमा होटल शुरू किया.

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रोजाना कमा रहे हजार रुपये

आज परन महतो अपने होटल में खाने-पीने का सामान बेचकर रोजाना एक से डेढ़ हजार रुपये तक की कमाई कर लेते हैं. होटल की आमदनी और खेती-बाड़ी से हुई आय से उन्होंने चतरोचट्टी में पक्का मकान भी बना लिया है. उनकी पत्नी जीतनी देवी भी होटल और परिवार दोनों संभालने में सहयोग करती हैं. होटल से हुई आमदनी से परन महतो अपने बेटे की मेडिकल की पढ़ाई का खर्च उठा रहे हैं. बेटी की स्नातक तक की पढ़ाई पूरी कर उन्होंने उसकी शादी भी कर दी. आज परन महतो अपने परिवार को आर्थिक रूप से मजबूत स्थिति में ले आए हैं.

जंगल के रखवाले बने परन महतो

वन विभाग की मदद से मिली इस नई राह ने परन महतो की सोच बदल दी है. अब वे जंगल की सुरक्षा में खुद भागीदारी निभा रहे हैं. अगर कहीं जंगल में लकड़ी काटने की कोशिश होती है तो वे सबसे पहले पहुंचकर रोकथाम करते हैं. यहां तक कि ग्रामीणों को भी वे बांस, करील और अन्य पेड़ों को नुकसान न पहुंचाने की सलाह देते हैं. परन महतो का कहना है कि वन विभाग ने जो मदद की, उसी से मेरा जीवन बदल गया. अब मेरी जिम्मेदारी है कि जंगल को बचाऊं और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करूं.”

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