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शिक्षा में योगदान को भूला नहीं जा सकता

सेक्टर-1. श्रीराम मंदिर में पंडित परमानंद त्रिपाठी को दी गयी श्रद्धांजलि, बोले वक्ता दरिद्र नारायण भोज भंडारा, भजन-कीर्तन व भक्ति संगीत का हुआ कार्यक्रम बोकारो : त्रिपाठी बाबा’ के रूप में श्रीराम मंदिर के संस्थापक पंडित परमानंद त्रिपाठी की 23वीं पुण्यतिथि सोमवार को मंदिर परिसर में मनायी गयी. दरिद्र नारायण भोजन व भंडारा दोपहर 12 […]

सेक्टर-1. श्रीराम मंदिर में पंडित परमानंद त्रिपाठी को दी गयी श्रद्धांजलि, बोले वक्ता

दरिद्र नारायण भोज भंडारा, भजन-कीर्तन व भक्ति संगीत का हुआ कार्यक्रम
बोकारो : त्रिपाठी बाबा’ के रूप में श्रीराम मंदिर के संस्थापक पंडित परमानंद त्रिपाठी की 23वीं पुण्यतिथि सोमवार को मंदिर परिसर में मनायी गयी. दरिद्र नारायण भोजन व भंडारा दोपहर 12 बजे से हुआ. शाम चार बजे से भजन-कीर्तन, शाम पांच बजे से श्रद्धांजलि व शाम छह बजे से भक्ति-संगीत का कार्यक्रम हुआ. कार्यक्रम में मुख्य रूप से स्व चिंता हरण जी के पुत्र शिवजी उपाध्याय-कीर्तन सम्राट (ब्रह्मपुरधाम) शामिल हुए. श्रीराम मंदिर ट्रस्ट के सचिव हरि नारायण त्रिपाठी ने पुण्यतिथि समारोह में उपस्थित लोगों के प्रति आभार प्रकट किया. सबसे पहले शिवजी उपाध्याय सहित अन्य उपस्थित लोगों ने श्रीराम मंदिर परिसर में स्थापित पंडित त्रिपाठी की प्रतिमा पर पुष्पाजंलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. वक्ताओं ने पंडित त्रिपाठी के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला. कहा :
बोकारो में शिक्षा व धर्म के क्षेत्र में उनके योगदान को नहीं भुलाया जा सकता है. भजन-कीर्तन व भक्ति संगीत कार्यक्रम में स्थानीय कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से माहौल को भक्तिमय बना दिया. पंडित त्रिपाठी ने मजदूरों की लड़ाई अंतिम सांस तक लड़ी. यही कारण था कि मजदूरों के बीच उनकी जबरदस्त पकड़ थी. मौके पर श्रीनारायण त्रिपाठी, मुकुल ओझा, पीएन पांडे, भुवनेश्वर पाठक, अनिल त्रिपाठी, आरपी राय, कुंवर जी पांडे सहित चास-बोकारो के दर्जनों गणमान्य लोग उपस्थित थे.
मजदूरों के विकास में लगे रहे : ददई
इंटक (ददई गुट) के अध्यक्ष चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे ने कहा : पार्टी व यूनियन के प्रति पंडित त्रिपाठी का समर्पण भाव देखते ही बनता था. उनका पार्टी व यूनियन से नाता अंतिम सांस तक बना रहा. प्रबंधन और यूनियन के बीच विरोध के बजाय सहयोग के अनुपम उदाहरण के रूप में त्रिपाठी बाबा हमेशा याद किये जायेंगे. 1977 में सेवानिवृत्ति के बाद लगातार मजदूरों व समाज के विकास में लगे रहे.

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