बेरमो : सीसीएल के बीएंडके एरिया अंतर्गत सौ साल पुरानी बोकारो कोलियरी आज बदहाली के दौर से गुजर रही है. कभी यहां 10-15 हजार मैन पावर था, लेकिन आज करीब साढ़े पांच सौ रह गया है. कभी सालाना 15 से 20 लाख एमटी कोल प्रोडक्शन होता था और आज मात्र 70-80 हजार टन. पिछले डेढ़ दशक से यह कोलियरी शिफ्टिंग समस्या से जूझ रही है, जिसके कारण माइंस का विस्तार बाधित है. वर्ष 2000 के आसपास बीएंडके एरिया के तत्कालीन महाप्रबंधक एमके सिंह के कार्यकाल में श्रमिक नेता स्व. रामाधार सिंह व अन्य नेताओं के सहयोग से शिफ्टिंग कार्य ने काफी गति पकड़ी थी.
लेकिन इसके बाद से क्षेत्रीय व मुख्यालय प्रबंधन के अलावा एसीसी व यूसीसी सदस्यों ने इस कोलियरी को बचाने की दिशा में गंभीरता नहीं दिखायी. बीएंडके एरिया के महाप्रबंधक रामविनय सिंह बोकारो कोलियरी डीडी माइंस के विस्तार को लेकर सक्रिय हैं. कुछ दिन पूर्व उन्होंने बोकारो कोलियरी गेस्ट हाउस में एसीसी व यूसीसी सदस्यों के साथ शिफ्टिंग को लेकर बैठक की. इसके बाद लगातार खुद एसीसी व यूसीसी सदस्यों के साथ शिफ्टिंग स्थलों का दौरा कर लोगों से माइंस के विस्तारीकरण को लेकर क्वार्टर छोड़ कर आवंटित क्वार्टर में जाने का आग्रह कर रहे हैं.
इधर, शिफ्टिंग स्थल का दौरा के क्रम में क्वार्टरों को लेकर किये गये घालमेल का भी खुलासा हो रहा है. प्रबंधकीय सूत्रों के अनुसार इस घालमेल में शामिल करीब चार कर्मियों सहित हाउसिंग व सिक्यूरिटी विभाग के लोगों पर कार्रवाई होनी थी, लेकिन बाद में रोक दिया गया. जीएम ने कह दिया है कि अगर शिफ्टिंग कार्य में तेजी नहीं आयी तो इस माइंस को बंद कर मशीनें दूसरी माइंस भेज दी जायेगी.
क्वार्टर नहीं छोड़ना चाहते हैं लोग : बोकारो कोलियरी के पीओ एसके सिंह कहते हैं कि बोकारो कोलियरी के माइंस विस्तारीकरण में इसलिए बाधा आ रही है कि लोग क्वार्टर ही छोड़ना नहीं चाहते है. कई कामगारों ने आवेदन दिया है कि परिवार बड़ा होने के कारण दूसरे जगह क्वार्टर आवंटित किया जाये तभी वो शिफ्ट कर सकते हैं. जब प्रबंधन ने इसी कोलियरी में वैसे लोगों को दूसरे जगह क्वार्टर आवंटन कर दिया तो कामगार नये आवंटित क्वार्टर में जाना नहीं चाहते हैं
तथा पहले वाले ही क्वार्टर में रह रहे हैं. जबकि दूसरे आवंटित क्वार्टर में दूसरे लोग रह रहे हैं. यानि पुराना व नया दोनों क्वार्टरों में उनका कब्जा है. दूसरी ओर इसी कोलियरी में कई ऐसे कामगार हैं जो जैसे-तैसे सर्व ऑफ क्वार्टर में रहते हैं. लेकिन कई दंबगों का दर्जनों क्वार्टरों पर कब्जा है.
एकेके में मर्ज कर दिया गया है बोकारो कोलियरी को
बोकारो कोलियरी को बदहाल स्थिति से ऊबारने के लिए एक साल पहले इसे एकेके (अमलगमेटेड कोनार व खासमहल) परियोजना में इसे मर्ज कर दिया गया है. इसके परियोजना पदाधिकारी एक ही है. एकेके के पीओ एसके सिंह कहते हैं कि चालू वित्तीय वर्ष में इस कोलियरी से एक लाख एमटी कोल प्रोडक्शन हो जायेगा. अगले वित्तीय वर्ष 2017-18 में दो लाख एमटी उत्पादन का लक्ष्य है. इसलिए बोकारो कोलियरी के डीडी माइंस का विस्तारीकरण अति आवश्यक है.
कोलियरी से प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े सभी लोगों को यह समझना होगा. मालूम हो कि बीएंडके एरिया वर्तमान में एकेके व कारो परियोजना पर निर्भर है. करगली कोलियरी से भी पिछले तीन साल से शिफ्टिंग समस्या के कारण एक छंटाक कोयला उत्पादन नहीं हो पा रहा है. बड़ी कारो परियोजना के माइंस विस्तारीकरण के लिए फोरेस्ट क्लीयरेंस का मामला लटका हुआ है.