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बड़ी दवा कंपनी में अच्छे पद पर पहुंचे

बोकारो: पढ़ाई में कमजोर रहने वाले शंकर कुमार सिंह ने कभी नहीं सोचा था कि वो एक फार्मा कंपनी में सीनियर एरिया मैनेजर के पद पर पहुंच जायेंगे. आज उन्हें भी खुद पर गर्व है. शंकर आसपास के लोगों के लिए निश्चित रूप से प्रेरणा के श्रोत हैं. शंकर की पढ़ाई-लिखाई बोकारो में ही शुरू […]

बोकारो: पढ़ाई में कमजोर रहने वाले शंकर कुमार सिंह ने कभी नहीं सोचा था कि वो एक फार्मा कंपनी में सीनियर एरिया मैनेजर के पद पर पहुंच जायेंगे. आज उन्हें भी खुद पर गर्व है. शंकर आसपास के लोगों के लिए निश्चित रूप से प्रेरणा के श्रोत हैं. शंकर की पढ़ाई-लिखाई बोकारो में ही शुरू हुई. आठवीं तक पढ़ाई औसत रही. नौवीं कक्षा में उन्हें काफी कम नंबर मिला. इतना कम की मनोबल टूटने लगा. शंकर को लगा अब तो पढ़ाई छूटना तय है. पिता का गुस्सा सातवें आसमान पर था. शिक्षकों से तिरस्कार मिल रहा था सो अलग. यह सब देख शंकर के मन में आत्महत्या करने तक का ख्याल आ गया.
ऐसी स्थिति में उनके प्रिय शिक्षक सुधाकर देव व छोटे भाई धर्मेद्र कुमार ने उनका साथ दिया. धीरज बंधाया. आगे तैयारी करने को कहा. जैसे-तैसे मैट्रीक (1995) की पढ़ाई पूरी की. इंटरमीडिएट (1997) में भाई के दबाव पर नामांकन लिया. स्नातक (साइंस-2000) करते ही पिता की मौत हो गयी. पढ़ाई बीच में ही छूट गयी. स्नातकोत्तर सहित अन्य डिग्री लेने का सपना दिल में ही रह गया. इसका कसक आज भी शंकर को है.
घर की जिम्मेवारी उठायी : घर में सबसे बड़ा होने के कारण शंकर के कंधों पर पूरे परिवार की जिम्मेवारी आ गयी. आर्थिक संकट से निबटने के लिए आनन-फानन में शंकर ने कई निजी कंपनी में नौकरी की. वर्ष 2005 में एक दवा कंपनी (मेनकाइंड फार्मा) में बतौर एमआर (मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव) ज्वाइन किया. लगन व मेहनत के बल पर वर्ष 2009 में उसी कंपनी में एरिया मैनेजर बन गया. इसके बाद वर्ष 2012 में शंकर के काम से खुश होकर कंपनी ने सीनियर एरिया मैनेजर रांची (झारखंड) के पद पर बैठाया. आज शंकर दो-दो एमबीए डिग्री धारक युवक को दिशा-निर्देश दे रहे हैं. साथ ही दो बहनों की शादी करायी. भाई को स्नातक के साथ-साथ आइटीआइ कराया. शंकर ने खुद स्नातकोत्तर की पढ़ाई शुरू करने के लिए आवेदन भी डाला है.
असफलताओं का सामना करें : मैं पढ़ाई में कमजोर रहा. कई बार हताश हुआ. पर शिक्षक, भाई व दोस्तों के हौसले ने मेरे जीवन में पुन: एक जोश भर दिया. कल तक पढ़ाई में कमजोर अब खुद को सशक्त महसूस करता हूं. आगे की पढ़ाई के लिए आवेदन भी डाला है. जीवन में कभी भी असफलता के कारण डर कर छूपना नहीं चाहिए, बल्कि डट कर सामना करना चाहिए.

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