चास: बोकारो में पीएसयू (लोक उपक्रम) कंपनियों के आवास पर कब्जे की बात नयी नहीं है. पर चास अनुमंडल कर्मियों के लिए बने करीब 50 आवासों में ज्यादातर आवासों पर दबंग किस्म के लोगों का कब्जा हैरत में डालता है. इन आवासों में रहने के लिए न ही किसी आवंटन की जरूरत है और न ही यह कि आप सरकारी कर्मचारी हों.
बस एक ही फॉमरूला चलता है, ताला तोड़ों और कर लो कब्जा. सरकारी अफसर, कर्मी और प्यून के लिए बने इन आवासों में सालों जमे रहने के लिए सिर्फ दबंगई की जरूरत है. क्योंकि कई बार नोटिस दिये जाने के बाद भी आवासों को खाली नहीं किया गया. ऐसा नहीं है कि इन आवासों पर कब्जा गैर सरकारी कर्मियों का ही है, बल्कि सरकारी कर्मियों ने भी इन आवासों के लिए दबंगई दिखायी है.
यहां ऐसे-ऐसे कर्मी हैं जिनका तबादला तो हो गया है, पर अब तक कब्जा चास अनुमंडल के सरकारी आवास पर है. एक तरफ जहां सरकार को आवास कर के रूप में हजारों का नुकसान हर महीने हो रहा है, वहीं दूसरे ऐसे कर्मी या अधिकारी हैं, जो प्यून के लिए बने आवासों में रहने को विवश हैं. इस ओर प्रशासन कितना फिक्रमंद हैं, इस बात से पता चलता है कि नोटिस के बाद भी कुछ नहीं हुआ.