रांची: छत्तीसगढ़ सीमा पर स्थित लातेहार-गढ़वा के बुढ़ा पहाड़ पर नक्सलियों द्वारा चलाये जा रहे अभियान में बूबी ट्रैप से कोबरा जवान परेशान हैं. बूबी ट्रैप में फंसने की वजह से कोबरा व जिला बल के पांच पदाधिकारी और डॉग हैंडलर घायल हो चुके हैं. वहीं एक स्निफर डॉग की मौत हो चुकी है. हालांकि जवानों ने अभियान के दौरान एक ट्रेनिंग कैंप को ध्वस्त करने में सफलता पायी है. बुढ़ा पहाड़ से अब तक 95 बूबी ट्रैप लैंड माइन बरामद किये जा चुके हैं.
बूबी ट्रैप का इस्तेमाल सबसे पहले लिट्टे ने श्रीलंका में किया था. इसमें लैंड माइंस को इस तरह लगाया जाता है कि उसका पता नहीं चलता. लैंड माइन लगाने में पहले से जो तरीके अपनाये जाते रहे हैं, उससे यह तरीका अलग है. हर बार नये-नये तरीके से लैंड माइन प्लांट किये जाते हैं. इसमें विस्फोट कराने के लिए प्रेशर और इलेक्ट्रॉनिक दोनों तरह की तरकीब अपनायी जाती है. इस कारण सुरक्षा बल ट्रैप के जाल में फंस जाते हैं.
सूत्रों के मुताबिक नक्सलियों ने बुढ़ा पहाड़ पर जंगल में बड़ी संख्या में लैंड माइन लगा रखा है. झारखंड में इससे पहले भी बूबी ट्रैप का इस्तेमाल किया गया था. चतरा में एक डीएसपी समेत कई जवानों की मौत हो गयी थी. नक्सलियों ने एक बक्शा बरामद करवा कर और उसमें रुपये होने की बात बता कर पुलिस को फंसाया था. पुलिस ने जैसे ही बक्शा खोला, उसमें ब्लास्ट हो गया था. हजारीबाग के विष्णुगढ़ और चाईबासा में भी नक्सलियों ने बूबी ट्रैप के तहत पुलिस फोर्स को फंसाया था.
स्निफर डाॅग अनिमिका ने जान देकर बचाया जवानों को
बुढ़ा पहाड़ पर विस्फोट में मारी गयी स्निफर डॉग अनिमिका ने अपनी जान देकर जवानों की जान बचायी. लातेहार स्थित सीआरपीएफ के 11 बटालियन कैंप में अधिकारियों व जवानों ने अनिमिका को अंतिम श्रद्धांजलि दी. इसमें लातेहार के एसपी धनंजय सिंह, 214 बटालियन के कमांडेंट अजय सिंह, 11वीं बटालियन के कमांडेंट पंकज कुमार समेत अन्य जवान शामिल थे. जानकारी के मुताबिक अनिमिका 207वीं बटालियन की स्निफर डॉग थी. मंगलवार को अभियान के दौरान उसने एक लैंड माइन का पता लगा लिया था. जवान उसके नजदीक तक पहुंचने वाले थे. लेकिन तभी वहां पर कुछ ऐसा हुआ कि लैंड माइन ब्लास्ट कर गया और अनिमिका शहीद हो गयी. सीआरपीएफ अधिकारियों के मुताबिक अनिमिका लैंड माइन का पता लगाने में एक्सपर्ट थी. बुढ़ा पहाड़ पर चल रहे अभियान के मद्देनजर उसे पश्चिम बंगाल से यहां बुलाया गया था. इससे पहले भी वह कई बार जवानों की जान बचा चुकी थी.