राष्ट्रपति ने अजय पाल की दया याचिका खारिज कर दी है. अजय को भारतीय वन सेवा के अधिकारी धीरेंद्र कुमार के पारिवारिक सदस्यों की हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुनायी गयी थी. बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा के अधीक्षक दिलीप प्रधान ने इससे संबंधित सूचना (पत्रंक 773, दिनांक 6-2-2014) सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश की अदालत को दे दी है.
दया याचिका रद्द होने की सूचना मुजरिम अजय पाल को भी दे दी गयी है. वह धीरेंद्र कुमार के घर नौकर था. एक जून 2003 को अजय पाल ने धीरेंद्र कुमार की पत्नी अमिता (41 वर्ष), पुत्र हर्षित (17 वर्ष) और आयन (आठ वर्ष), रिश्तेदार की बेटी अनमोल (10 वर्ष) व नौकर किट्ट की हत्या कर दी थी. हत्या के बाद उसने घर में आग लगा दी थी और खुद घर के पास स्थित कुएं में छिप गया था.
इस हत्याकांड के सिलसिले में बरियातू थाना में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. पुलिस की जांच के बाद इस मामले को सीबीआइ के हवाले किया गया था. सीबीआइ ने मामले की जांच के बाद नौकर के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था.
21 अप्रैल 2005 को आरोप गठन के बाद मामले की सुनवाई शुरू हुई. सीबीआइ के तत्कालीन विशेष न्यायाधीश मो एन अली की अदालत ने पांच अप्रैल 2007 को अपना फैसला सुनाते हुए अजय पाल को दोषी करार दिया. अदालत ने नौ अप्रैल को उसे फांसी की सजा सुनायी. सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक शिव कुमार काका ने कहा कि पांच लोगों की नृशंस हत्या हुई थी. यह मामला रेयरेस्ट ऑफ रेयर की श्रेणी में था, इसलिए इसमें दया की गुंजाइश नहीं थी.
चर्चित सामूहिक हत्याकांड पर संक्षिप्त ब्योरा : किस दिन क्या हुआ
2 जून 2003 : घरेलू नौकर अजय पाल ने बरियातू, रांची निवासी आइएफएस अधिकारी धीरेंद्र कुमार की पत्नी, पुत्र समेत चार परिजनों व एक अन्य नौकर को जला कर मार डाला.
3 जून 2003 : नौकर कुएं में छिपा मिला. बाद में जांच के दौरान पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया.
13 नवंबर 2003 : जांच की जिम्मेदारी सीबीआइ को सौंपने की अनुशंसा की. 30 नवंबर को केस सीबीआइ को सौंपने का आदेश हुआ.
21 जनवरी 2004 : सीबीआइ ने जांच शुरू की. अप्रैल 04 में अजय का ब्रेन इलेक्ट्रिकल एक्टीवेशन टेस्ट, फिंगर प्रिंट टेस्ट, लाइ डिटेक्टर टेस्ट व नारको-एनालिसिस टेस्ट कराया गया. इसमें अजय ने हत्या की बात स्वीकार की थी. तब सीबीआइ ने अजय के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया.
चार मई 2005 : सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश की अदालत ने आरोप गठित किया.
5 अप्रैल 2007 : अदालत ने अजय को हत्या करने के लिए दोषी करार दिया.
वर्ष 2003 में बरियातू की घटना, आइएफएस अफसर के परिवार को जिंदा जला दिया था
बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में बंद है अजय पाल
जेल अधीक्षक ने दया खारिज होने की सूचना दी
सीबीआइ अदालत ने इस कांड को रेयरेस्ट ऑफ रेयर की श्रेणी में रखा था यह मामला
पांच अप्रैल 2007 को अदालत ने दोषी करार दिया था और नौ अप्रैल 2007 को फांसी की सजा सुनायी थी
अदालत ने मुजरिम को भारतीय दंड विधान की धारा 302, 326, 436 और 201 के तहत सजा-ए-मौत सुनाने के बाद इसकी संपुष्टि के लिए आवश्यक दस्तावेज हाइकोर्ट में भेज दिया.