रांची: बड़ा तालाब में हुई दुर्घटना के 24 घंटे बाद भी रहस्य बरकरार है. जितनी मुंह उतनी बातें हो रही हैं. कोई कह रहा है कि अनट्रेंड बोट ड्राइवर की गलती से यह दुर्घटना हुई, तो कोई यह कह रहा है कि क्षमता से अधिक लोगों के सवार हो जाने के कारण यह दुर्घटना हुई है. प्रभात खबर ने सोमवार को घटनास्थल का निरीक्षण किया और लोगों से बात की. लोगों ने बताया कि चूक कई स्तर पर हुई है.
सुरक्षा नियमों का नहीं हुआ था पालन
संचालक की मानें, तो बोट में लाइफ जैकेट की व्यवस्था थी. परंतु बोट पर सवार अधिकांश ने लाइफ जैकेट नहीं पहनी. उदघाटन का मौका था, सभी खुशी- खुशी बोट में सवार हुए थे. इसलिए हमने भी किसी को जबरन लाइफ जैकेट नहीं पहनाया. जब दुर्घटना हुई, तो जिन्हें तैरना आता था वे तो बच गये, लेकिन जिन्हें तैरना नहीं आता था वे पानी में डूबते चले गये. तालाब में मछली पकड़ने वाले एक मछुआरे की मानें, तो तालाब किनारे भले की पांच से छह फीट गहरा है. परंतु बीच तालाब में जाकर यह गहराई आठ मीटर से लेकर 12 मीटर तक है.
कहीं जाल से उलझ कर तो बोट नहीं पलटी
बोट पलटने की एक वजह तालाब में जाल गिराया जाना भी माना जा रहा है. कहा जा रहा है कि बोट जाल में फंस गयी और पलट गयी. कुछ लोग इस बात को गलत बता रहे हैं. उनका कहना है कि यही बोट पांच-छह राउंड तालाब में घूम चुकी थी, इसलिए अगर जाल लगी रहती, तो पहली बार में ही बोट जाल में फंस जाती.
निगम ने नहीं दिया था बोटिंग का परमिशन
बड़ा तालाब में हादसे के मामले में नगर निगम ने गंभीरता बरती है. सोमवार को नगर निगम के डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय ने निगम के बाजार शाखा प्रभारी के साथ बैठक की.
बैठक के पश्चात डिप्टी मेयर ने कहा कि पार्क संचालक को बोटिंग का परमिशन नगर निगम ने नहीं दिया था. इस तालाब में पार्क संचालक बोटिंग अपनी मरजी से कर रहे थे. उन्होंने कहा कि निगम ने चटर्जी इंटरनेशनल को पार्क संचालन के लिए दिया था. तालाब में बोटिंग कैसे हो रही थी यह जांच की बात है.
23 को होगा फैसला
डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय ने कहा कि पार्क आगे खुला रहेगा या बंद, इस पर निर्णय 23 दिसंबर को बोर्ड की बैठक में लिया जायेगा. श्री विजयवर्गीय ने कहा कि पार्क के संबंध में लोगों का अलग अलग सुझाव आ रहा है.
पूजा की भी थम गयी सांस
बड़ा तालाब में बोटिंग के दौरान बोट पलटने से रविवार को अधिवक्ता सागरमय बनर्जी (36 वर्ष) की मौत के 15 घंटे बाद सोमवार को पत्नी पूजा सिंह बनर्जी (35 वर्ष) की भी मौत हो गयी. बोट पलटने से पूजा भी रविवार को घायल हो गयी थी. उसे गंभीर अवस्था में इलाज के लिए ऑर्किड अस्पताल में भरती कराया गया था. सोमवार को दिन के 10 बजे पूजा ने अंतिम सां के करीब अंतिम सांस ली. इसके बाद परिजन एक बजे के करीब शव को पोस्टमार्टम के लिए लेकर रिम्स पहुंचे. जहां पोस्टमार्टम के बाद चिकित्सकों ने करीब दो बजे शव परिजनों को सौंप दिया. परिजन शव लेकर 2.30 बजे कोकर तिरिल रोड स्थित आवास पहुंचे. शव पहुंचते ही घर में कोहराम मच गया. लोगों की भीड़ वहां जुट गयी. सास भारती बनर्जी और ननद शिल्पी चटर्जी दहाड़ मार कर रोने लगीं. घर का माहौल देख वहां मौजूद लोग भी खुद को नहीं रोक पाये. स्थानीय लोगों के अनुसार दोनों में बेहद प्यार था. दोनों एक दोस्त की तरह हमेशा साथ-साथ रहते थे.
सदमे में हैं कोकर के लोग
दोनों की मौत से कोकर के लोग सदमे में हैं. लोग परिवार के लोगों को हिम्मत दिला रहे हैं, ताकि गम कुछ कम हो. इससे पूर्व जिला प्रशासन के अधिकारी उनके घर मुआवजा देने के लिए पहुंचे थे, लेकिन परिजनों ने मुआवजा लेने से इनकार कर दिया. परिजनों का कहना था जिला प्रशासन थोड़ी भी सक्रियता दिखाती तो, शायद उनके जान बच सकती थी. मुआवजा देने से किसी की जिंदगी वापस नहीं लौट सकती.
..तो नहीं होती यह घटना
पूजा बनर्जी का इलाज डॉ एकम कुमार की देखरेख में चल रहा था. मौत की सूचना मिलते ही अस्पताल में मातम का माहौल कायम हो गया. सभी की आंखों में आंसू थे. पूजा की ननद शिल्पी रो-रो कर कह रही थी कि यदि सावधानी बरती गयी होती, तो इतना बड़ा हादसा नहीं होता. अस्पताल में मौत की सूचना मिलते ही लालपुर पुलिस वहां पहुंची. चिकित्सक एवं अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि मरीज को गंभीर अवस्था में अस्पताल में भरती कराया गया था.
पति-पत्नी ही नहीं, दोस्त भी थे दोनों
सागरमय और पूजा की दोस्ती कॉलेज में हुई थी. बाद में दोनों ने विवाह के बंधन में बंधने का निर्णय लिया. पढ़ाई पूरी करने के बाद दोनों ने शादी कर ली थी. दोनों ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर मिनर्वा कल्चरल, एडुकेशनल एंड वेलफेयर सोसाइटी के नाम से एक गैर सरकारी संगठन का गठन किया था. सोसाइटी सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यो से जुड़ कर जरूरतमंदों की मदद भी करती थी. दोनों कला प्रेमी थे. पेशे से वकील सागरमय को बचपन से ही गाने-बजाने का शौक था. संत अलोइस स्कूल से स्कूली शिक्षा लेते समय सागरमय को गीत और कला प्रतियोगिताओं में काफी पुरस्कार मिले थे. उसने कई स्टेज शो भी किया था. पूजा ने मिनर्वा सॉफ्टवेयर सोल्यूशन के नाम से एक कंपनी स्थापित की थी.
अमन की आंखों से थम नहीं रहे थे आंसू
पूजा सिंह बनर्जी के भाई अमन की हालत काफी खराब थी. रह लगातार रोये जा रहा था. किसी से बात करने की स्थिति में नहीं था. परिवार वाले उसे ढाढ़स बंधा रहे थे. उसे रोता देख वहां मौजूद लोग भी अपनी आंखों के आंसू को नहीं रोक पा रहे थे.
पार्क संचालक गौतम चटर्जी थे खामोश
नगर निगम पार्क के संचालक और भारती बनर्जी के भाई गौतम चटर्जी भी सोमवार को पूजा सिंह बनर्जी की मौत की सूचना पर आवास पहुंचे. वह काफी देर तक आवास के बाहर ही खड़े रहे. इस घटना से गौतम भी काफी दुखी हैं. घटना के बाद उनका कहना था कि वह किस मुंह से अपनी बहन के सामने जायेंगे.
प्राथमिकी दर्ज
बड़ा तालाब में बोटिंग के दौरान बोट पलटने से रविवार को हुई घटना को लेकर सोमवार को कोतवाली थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी है. प्राथमिकी मृतक अब्दुल मन्नान के परिजनों के बयान पर पुलिस ने दर्ज की है. इसमें पार्क के संचालक और बोट चलाने वाले अज्ञात को अभियुक्त बनाया गया है. पुलिस के अनुसार अब्दुल के परिजन पार्क संचालक और बोट चलाने वाले को नहीं जानते थे. अनुसंधान के दौरान पुलिस पार्क संचालक और बोट चलाने वाले के संबंध में पता लगा कर आगे कार्रवाई करेगी.