मिड-डे मील योजना में सुधार का वक्त
-भारत सरकार ने कराया सर्वे-
-कर्नाटक को मिला देश में पहला स्थान-
रांचीः झारखंड में मध्याह्न् भोजन योजना की स्थिति बदहाल है. भारत सरकार द्वारा पहली बार देश के विभिन्न राज्यों में मध्याह्न् भोजन संचालन की स्थिति का सर्वे कराया गया. सर्वे में कुल 15 बिंदुओं के बारे में जानकारी एकत्र की गयी. सर्वे में कर्नाटक पहले स्थान पर रहा. झारखंड को देश में 33वां स्थान मिला. झारखंड को 45.73 फीसदी अंक मिले. दिल्ली की स्थिति सबसे खराब है. सर्वे में बिहार को पांचवां स्थान मिला है. सर्वे में राज्य में कक्षा एक से आठ तक नामांकित बच्चे के अनुपात में मध्याह्न् भोजन खानेवाले बच्चे, स्कूलों में खाना बनाने वाली रसोइयों के मानदेय भुगतान की स्थित, बच्चों के स्वास्थ्य की स्थित, खाना बनाने में स्वच्छता की स्थिति, स्कूलों में किचन शेड समेत अन्य बिंदुओं को शामिल किया गया था.
लक्ष्य से 15 लाख कम बच्चे
झारखंड में निर्धारित लक्ष्य से लगभग 15 लाख बच्चे कम खाना खाते हैं. गत दिनों राज्य के जिला शिक्षा अधीक्षक की शिक्षा मंत्री के साथ हुई बैठक में यह बात सामने आयी कि राज्य में जितने बच्चों को मध्याह्न् भोजन दिया जाना है, उससे लगभग 15 लाख कम बच्चे खाना खाते हैं.
समय पर नहीं देते उपयोगिता पत्र
राज्य में मध्याह्न् भोजन योजना राशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र भी समय पर जमा नहीं किया जाता है. सितंबर तक राज्य के जिला शिक्षा अधीक्षकों ने मध्याहन भोजन योजना के आठ सौ करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं दिया है.
निरीक्षण रिपोर्ट जमा नहीं
राज्य के कई जिले के जिला शिक्षा अधीक्षक निर्देश के अनुरूप स्कूलों का निरीक्षण नहीं करते हैं. सितंबर में हुई बैठक में गुमला, साहेबगंज, सिमडेगा, जामताड़ा, बोकारो के जिला शिक्षा अधीक्षक ने जांच प्रतिवेदन जमा नहीं किया.
डीसी नहीं करते बैठक
जिलों में मध्याह्न् भोजन योजना के प्रबंधन व अनुश्रवण के लिए गठित कमेटी की बैठक नहीं होती. डीसी कमेटी के अध्यक्ष होते हैं. किसी भी जिले में कमेटी की बैठक समय पर नहीं होती.
खाने की राशि से मानदेय का भुगतान
राज्य में स्कूल में खाना बनानेवाली माता समिति के सदस्यों को वर्ष में 10 माह के लिए एक हजार प्रतिमाह की दर से मानदेय का भुगतान किया जाता है. यह राशि भी समय पर नहीं दी जाती. मध्याह्न् भोजन की जांच के लिए झारखंड आयी केंद्रीय टीम ने पाया कि कई स्कूलों में मध्याह्न् भोजन की राशि से माता समिति के सदस्यों को मानदेय का भुगतान कर दिया जाता है.
स्कूलों में किचन शेड नहीं
राज्य के लगभग 42 हजार प्राथमिक व मध्य विद्यालय बच्चों के लिए खाना बनाया जाता है. राज्य के सभी स्कूलों में अब तक खाना बनाने के लिए किचन शेड का निर्माण नहीं हुआ है. राज्य में 7,737 विद्यालयों में किचन शेड का निर्माण वर्ष 2011-12 में शुरू हुआ था. इसमें से 2,824 स्कूलों में अब तक किचन शेड नहीं बना है.