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लॉकडाउन की उड़ी धज्जियां : 11 बसों में भर कर पाकुड़, कोडरमा व साहिबगंज भेजे गये 600 मजदूर

झारखंड सरकार के मंत्री ही लॉकडाउन की धज्जियां उड़ा रहे हैं. संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम और किसी प्रभावशाली व्यक्ति अजीम शेख की अनुशंसा पर रांची जिला प्रशासन ने रविवार रात 600 से अधिक मजदूरों को 11 बसों में भर कर साहिबगंज, पाकुड़ और कोडरमा भेजा.

रांची : कोरोना वायरस के संक्रमण के मद्देनजर उक्त दोनों ही आदेश बेहद अहम हैं. ऐसा माना जा रहा है कि लॉकडाउन का पालन अगर सही तरीके से किया जाये, तो हम निश्चित ही यह लड़ाई जीत लेंगे, लेकिन झारखंड सरकार के मंत्री ही लॉकडाउन की धज्जियां उड़ा रहे हैं. संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम और किसी प्रभावशाली व्यक्ति अजीम शेख की अनुशंसा पर रांची जिला प्रशासन ने रविवार रात 600 से अधिक मजदूरों को 11 बसों में भर कर साहिबगंज, पाकुड़ और कोडरमा भेजा. ये बसें तिरिल (धुर्वा, नया सराय) से रवाना की गयीं. हैरानी की बात यह है कि मजदूरों को बसों में बैठाने के लिए बाकायदा पुलिस के अधिकारी मौके पर मुस्तैद थे.

मंत्री की अनुशंसा पर आठ बसें उपलब्ध करायी गयी थीं. इनमें से चार साहिबगंज, दो पाकुड़ और दो कोडरमा भेजी गयीं. वहीं, अजीम शेख की अनुशंसा पर तीन बसें पाकुड़ भेजी गयीं. उपायुक्त के आदेश के आलोक में गोपनीय शाखा के उपसमाहर्ता ने बसों को चलाने का आदेश जारी किया था. साथ ही आदेश की प्रतिलिपि थाना और संबंधित जिलों के एसपी को भेजी थी. जिला प्रशासन द्वारा जारी आदेश में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि लॉकडाउन की वजह से इन मजदूरों की स्थिति दयनीय हो गयी है और वे अपने घर नहीं जा पा रहे हैं. इसलिए इन मजदूरों को उनके घर भेजने की अनुमति दी जा रही है. सबसे चिंता की बात यह है कि बसों में बैठने वाले किसी व्यक्ति की स्वास्थ्य की जांच नहीं की गयी.

पाकुड़ जानेवाले मजदूरों से 800 रुपये की दर से किराया वसूला गयी. वहीं, पाकुड़ जानेवाली बसों ने पाकुड़ के बदले मजदूरों को महेशपुर और दुमका में ही छोड़ दिया. उधर, मजदूरों को अपने गांव जाने के दौरान ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ा.

कोरोना को लेकर केंद्र और राज्य सरकार का निर्देश

1. केंद्र ने सभी राज्यों को लॉकडाउन का सख्ती से पालन करने को कहा है. रविवार को केंद्रीय कैबिनेट सचिव राजीव गौबा और केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों व पुलिस महानिदेशकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की थी. इसमें कहा था कि यह सुनिश्चित करें कि लॉकडाउन के दौरान शहरों में और राजमार्गों पर आवाजाही नहीं हो. केवल सामान लाने-ले जाने की अनुमति होनी चाहिए. इन निर्देशों का उल्लंघन होने पर संबंधित जिलों के डीएम/डीसी और एसपी व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे.

2. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन लगातार राज्य के लोगों से एहतियात बरतने और सामाजिक दूरी बनाये रखने की अपील कर रहे हैं. साथ ही राज्य के अंदर और बाहर फंसे लोगों को भरोसा दिला रहे हैं कि वे जहां हैं, वहीं रहें. उन तक जरूरी सुविधाएं और दो वक्त का खाना पहुंचता रहेगा. घर जाने की हड़बड़ी में अगर लोग किसी कोरोना संक्रमित मरीज के संपर्क में आ गये, तो स्थिति भयावह हो सकती है. श्री सोरेन ने भी राज्य के उपायुक्तों और पुलिस अधिकारियों को सख्ती के साथ लॉकडाउन का पालने कराने के निर्देश दिये हैं.

मंत्री का मासूम सा जवाब : मैंने िसर्फ आग्रह िकया था

बसें मेरे आदेश से नहीं भेजी गयी हैं. आदेश विभाग देता है. मैंने चिट्ठी लिख कर आग्रह किया था. प्रशासन ने जाने की व्यवस्था की. वैसे, इसे मानवीय दृष्टिकोण से भी देखना चाहिए.

लोग कमाने आये थे. लॉकडाउन के बाद यहां उनके मालिकों ने भी हाथ खींच लिया. वह वापस जाना चाहते थे. मैंने उनकी परेशानियों को देख कर उनके वापसी का प्रबंधन करने का निवेदन किया था. सभी लोगों को जांच के बाद बसों में बैठाया गया है. साहिबगंज के उपायुक्त को भी लोगों की जांच के बाद ही घर जाने देने के लिए कहा गया है. और एक बात कि साहिबगंज जानेवाली बसों की संख्या 11 नहीं थी. मुश्किल से पांच-छह बसों में ही लोग गये थे.

– मंत्री आलमगीर आलम, संसदीय कार्य मंत्री, झारखंड सरकार

पाकुड़ जिला प्रशासन ने मजदूरों की जांच का दावा किया, क्वारेंटाइन सेंटर में रखा गया

पाकुड़ के उपायुक्त कुलदीप चौधरी ने कहा है कि रांची से आनेवाले प्रवासी मजदूरों को जिला प्रशासन ने बॉर्डर पर ही रोका. क्रमवार सभी मजदूरों की मेडिकल जांच करायी गयी. उनको क्वारेंटाइन सेंटर में रखा गया है.

अगले 14 दिनों तक वह सभी उन सेंटरों में ही रहेंगे. उनके स्वास्थ्य की नियमित निगरानी की जायेगी. सेंटरों में दंडाधिकारी व पुलिस बल को भी प्रतिनियुक्त किया गया है. जिले के लिट्टीपाड़ा थाना क्षेत्र के धर्मपुर मोड़ के पास करीब 300 लोगों की स्वास्थ्य जांच व खाने-पीने की व्यवस्था का निर्देश दिया गया है. वहीं महेशपुर थाना क्षेत्र में सैकड़ों लोगों को रोका गया है, जहां सभी मजदूरों की स्वास्थ्य जांच की जा रही है और उनके लिए खाने-पीने की व्यवस्था की जा रही है.

सीएम ने रांची उपायुक्त को किया शोकॉज

रांची में फंसे सैंकड़ों मजदूरों को लेकर रांची डीसी द्वारा बीते दिन 11 बसों को पाकुड़ जाने की अनुमति दिये जाने के मामला का मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गंभीरता से लिया है. मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को डीसी से जवाब मांगने का निर्देश दिया है. उन्होंने जानना चाहा है कि किन परिस्थितियों में बस भेजने की नौबत आयी? वरीय अधिकारियों से सलाह क्यों नहीं ली गयी?

दो किलो चावल के लिए बच्चों के जीवन से खिलवाड़ : सिल्ली. कोरोना वायरस के प्रकोप के मद्देनजर लागू लॉकडाउन के बाद से ही राज्य के कई जिलों के सरकारी स्कूलों में रोजाना ऐसे ही दृश्य देखने को मिल रहे हैं. तस्वीर राजकीय कृत मध्य विद्यालय सिल्ली बोर्ड की है. सोमवार को यहां बच्चों को एमडीएम का चावल देने के लिए बुलाया. कोरोना संक्रमण की परवाह किये बिना बच्चे बाकायदा स्कूली पोशाक में थैला लेकर स्कूल पहुंच थे. बच्चे एक-दूसरे के साथ सट कर खड़े थे. भीड़ में कुछ अभिभावक भी थे.

वहीं मौजूद प्रधानाध्यापक सभी को एक जगह जमा कर गिनती करते नजर आ रहे थे. जैसे ही उन्होंने पत्रकारों को तस्वीर लेते देखा, तो बच्चों को घर जाने के लिए कहने लगे. पूछने पर कहा कि चावल लेने के लिए अभिभावकों को बुलाया गया था, लेकिन अभिभावक खुद बच्चों को अपने साथ लेकर आये हैं. प्रखंड के लोटा, किता, हरिजन स्कूल, बंता, पतराहातू, अजयगढ़, तुनकु, टुटकी, सिंगपुर समेत दर्जनों स्कूलों में भी सोमवार को चावल बांटने की सूचना है. इस मामले में बीइइओ सुदामा मिश्रा ने कहा कि किसी भी हाल में बच्चों को स्कूल में नहीं बुलाना है. उनके घरों में जाकर चावल पहुंचाना है. जितने भी स्कूलों ने आदेश का उल्लंघन किया है, उन पर कार्रवाई होगी.

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