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झारखंड में रोज चार दुष्कर्म

रांची:राज्य सरकार ने गुरुवार को हाइकोर्ट में इस साल जनवरी से अगस्त तक हुए दुष्कर्म के मामलों की जानकारी दी. सरकार की ओर से जिलावार आंकड़े दिये गये. आंकड़ों के मुताबिक, आठ माह में राज्य में दुष्कर्म के 917 मामले दर्ज किये गये हैं. इसमें से 451 मामलों में पुलिस ने अदालत में चाजर्शीट दाखिल […]

रांची:राज्य सरकार ने गुरुवार को हाइकोर्ट में इस साल जनवरी से अगस्त तक हुए दुष्कर्म के मामलों की जानकारी दी. सरकार की ओर से जिलावार आंकड़े दिये गये. आंकड़ों के मुताबिक, आठ माह में राज्य में दुष्कर्म के 917 मामले दर्ज किये गये हैं. इसमें से 451 मामलों में पुलिस ने अदालत में चाजर्शीट दाखिल कर दी है. 73 मामलों में अंतिम रिपोर्ट दी गयी. 393 मामले अभी अनुसंधान के लिए लंबित हैं. 207 मामलों में ट्रायल शुरू करा दिया गया है. आंकड़ों के आधार पर एक अनुमान के अनुसार, राज्य में प्रतिदिन दुष्कर्म की चार घटनाएं हो रही हैं. सबसे अधिक 116 मामले साहेबगंज में दर्ज हैं. रांची समेत जमशेदपुर, पलामू, धनबाद, देवघर, जामताड़ा, रेल धनबाद व रेल जिला में किसी भी मामले में ट्रायल शुरू नहीं हुआ है.


हर जिले में हो फास्ट ट्रैक कोर्ट

रांची:हाइकोर्ट ने गुरुवार को डोरंडा व पाकुड़ दुष्कर्म-हत्या को लेकर स्वत : संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मामलों का अनुसंधान तेज करने का निर्देश दिया. अदालतों में प्रतिदिन व तेजी से मामलों की सुनवाई के लिए पर्याप्त संख्या में अपर लोक अभियोजक (एपीपी) बहाल करने को कहा गया. इस संबंध में कोर्ट ने राज्य सरकार को शपथ पत्र दायर कर यह बताने का निर्देश दिया कि राज्य में एपीपी के कितने पद हैं, कितने रिक्त हैं व आवश्यकता संबंधी जानकारी दी जाये. एक्टिंग चीफ जस्टिस डीएन पटेल व जस्टिस अमिताभ कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए सरकार से पूछा कि राज्य में बढ़ रही दुष्कर्म की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाये गये हैं.

क्या उठाये गये कदमों से दुष्कर्म की घटनाएं कम हुई है. मौखिक रूप से कहा कि हर जिले में दुष्कर्म मामले की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक होना चाहिए. अभियोजन पक्ष के गवाह समय पर कोर्ट में नहीं आते हैं. मामले की अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने 21 सितंबर की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से एमीकस क्यूरी अधिवक्ता राजीव कुमार ने पैरवी की, जबकि सरकार की ओर से अधिवक्ता रंगन मुखोपाध्याय ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि डोरंडा में बच्ची की दुष्कर्म व हत्या की घटना को हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.

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