रांची: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज यहां कहा कि नोयडा की निलंबित आईएएस अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल के मामले में उनकी सरकार के फैसले को उच्चतम न्यायालय और इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी सही माना है और ऐसे में कुछ टीवी चैनल और अखबारों के उनके खिलाफ मुहिम चलाने से कोई फर्क नहीं पड़ता.
यादव ने आज कहा, ‘‘नोयडा की निलंबित भारतीय प्राशासनिक सेवा की (आईएएस) अधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल के मामले में जब उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने भी उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले को अच्छा माना है.’’ उन्होंने दावा किया, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने तो इस मामले में मीडिया को ही कटघरे में खड़ा किया है कि उसने जानबूझकर सरकार को यह कार्रवाई करने को मजबूर किया.’’यह पूछे जाने पर कि दुर्गा शक्ति के मामले को उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार ने इतना तूल क्या सिर्फ मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए दिया, यादव ने कहा, ‘‘संविधान और कानून से सरकार और अधिकारी दोनों लोग बंधे हुए हैं. चाहे कोई मुख्यमंत्री हो या अधिकारी हो. यहां यह भी महत्वपूर्ण नहीं है कि कोई किस वर्ग का आदमी है.’’ अखिलेश ने कहा, ‘‘एक मुख्यमंत्री और सरकार के दायरे में जो बातें आती हैं उनका निर्णय वह लेंगे. सजा देना और पद पर पहुंचाना, सरकार यह निर्णय अपनी सूझबूझ से लेती है.’’
अखिलेश यादव ने ग्रेटर नोयडा के कादलपुर गांव में एक अवैध निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार गिराये जाने के आरोप में 28 जुलाई को दुर्गा शक्ति नागपाल को निलंबित किये जाने के संदर्भ में कहा, ‘‘अगर वहां कोई निर्माण हो रहा था तो उसको गिराने का भी तरीका है, कानून है.’’अखिलेश यादव ने कहा, ‘‘आप कानून की धज्जियां उड़ायेंगे, कानून की परवाह नहीं करेंगे और उस पर कार्रवाई करेंगे तो सरकार को जो करना था, सरकार जिस तरह कार्रवाई कर सकती थी वैसी कार्रवाई सरकार ने की है.’’यह पूछे जाने पर कि क्या इस मामले में दुर्गा शक्ति के खिलाफ उत्तर प्रदेश की सरकार की कार्रवाई से समाजवादी पार्टी के बारे में आम जनता में गलत धारणा नहीं बनी, मुख्यमंत्री ने गलत धारणा बनने की बात को अंशत: स्वीकार करते हुए कहा, ‘‘जब चर्चा आप बहुत कर दोगे तो लोग हर खबर थोड़े ही पढ़ते हैं. आम जनता में बहुतों को तो उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय का ही नहीं पता.’’ लेकिन उन्होंने साफ किया कि उच्चतम न्यायालय के सरकार के पक्ष को सही मानने से सभी बातें ठीक हो गयीं.