नयी दिल्ली/ रांची: सुप्रीम कोर्ट ने चारा घोटाले (कांड संख्या आरसी 20 ए /96) में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश को बदलने से संबंधित लालू प्रसाद की याचिका मंगलवार को खारिज कर दी. लालू ने मामले की सुनवाई कर रहे सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश पीके सिंह को बदलने की मांग की थी. उनकी याचिका खारिज होने के बाद सितंबर के अंतिम सप्ताह में विशेष न्यायाधीश द्वारा चारा घोटाले में फैसला सुनाये जाने की संभावना जतायी जा रही है.
लालू की आशंका निराधार : सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षतावाली तीन सदस्यीय पीठ ने विशेष न्यायाधीश के खिलाफ लालू प्रसाद की आशंका को निराधार करार दिया, कहा कि याचिकाकर्ता का आरोप तथ्यों से परे है. पर्याप्त आधार के बगैर ट्रायल जज के खिलाफ आपत्तियों पर विचार नहीं किया जा सकता.केवल मंत्री के रिश्तेदार होने के आधार पर किसी जज की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा नहीं किया जा सकता.
26 अगस्त से शुरू होगी सुनवाई
पीठ ने सुनवाई पर अंतरिम रोक को हटाते हुए कहा कि सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश की अदालत सुप्रीम कोर्ट और हाइकोर्ट ने जो कुछ कहा, उससे प्रभावित हुए बिना अपना फैसला सुनाये. इस संबंध में हाइकोर्ट द्वारा जल्द फैसला सुनाने के निर्देश की अनदेखी नहीं की जा सकती. इसके बावजूद लालू प्रसाद को अपने बचाव के लिए 15 दिनों का वक्त दिया जा रहा है. इस अवधि में लालू प्रसाद की ओर से उठाये गये बिंदुओं पर जवाब देने के लिए सीबीआइ को पांच दिनों का समय दिया जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश की अदालत में चारा घोटाले के इस मामले की सुनवाई पूर्व निर्धारित तिथि 26 अगस्त से शुरू होगी.
हाइकोर्ट ने दिया था 10 दिन का समय
हाइकोर्ट ने भी लालू प्रसाद की जज बदलने की मांग को खारिज कर दिया था. उन्हें विशेष अदालत में अपना पक्ष पेश करने के लिए और 10 दिनों का समय दिया था. इसमें से पांच दिन उन्होंने अपना पक्ष पेश करने में खत्म कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में अब वह बचे हुए पांच दिनों का इस्तेमाल नहीं कर पायेंगे. उन्हें नये सिरे से 15 दिनों का समय मिलेगा. लालू प्रसाद की ओर से अपना पक्ष पेश करने के बाद सीबीआइ पांच दिनों तक उनके द्वारा उठाये गये बिंदुओं का जवाब देगी. सुनवाई की न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद विशेष न्यायाधीश की अदालत फैसला सुनाने की तिथि तय कर देगी.
आरसी 20ए/96 का महत्वपूर्ण घटनाक्रम
– विशेष न्यायाधीश पीके सिंह की अदालत ने 20 जून को नोटिस चिपका पर फैसले की तिथि 15 जुलाई निर्धारित की
– 24 जून को लालू प्रसाद ने सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश पर पक्षपात किये जाने का आरोप लगाते हुए न्यायाधीश बदले की मांग की. हाइकोर्ट में याचिका दायर की.
– 28 जून को लालू की याचिका पर सुनवाई हुई. राम जेठमलानी ने लालू का पक्ष रखा. अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा
– एक जुलाई को हाइकोर्ट ने न्यायाधीश बदले जाने की मांग खारिज कर दी. लालू को अपनी बात कहने के लिए 10 दिनों का समय दिया
– पांच जुलाई से लालू प्रसाद की ओर से विशेष न्यायाधीश की अदालत में अपना पक्ष पेश करना शुरू किया गया. इस बीच हाइकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी
– नौ जुलाई को पहली बार सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. राम जेठमलानी की बात सुनने के बाद सीबीआइ कोर्ट में चल रही न्यायिक कार्यवाही स्थगित कर दी गयी
– 23 जुलाई को दूसरी बार इस याचिका पर सुनवाई हुई. अदालत ने ट्रायल पर रोक जारी रखी
– छह अगस्त को तीसरी बार सुनवाई के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया
– 13 अगस्त को फैसला सुनाते हुए अदालत ने लालू प्रसाद की याचिका खारिज कर दी
अरजी खारिज होने के कारण
दलीलों में कानूनी आधार कम था, रिश्तों की दुहाई ज्यादा थी
अन्य आरोपितों ने जज पर सवाल नहीं उठाया
जज की निष्पक्षता पर दो साल बाद सवाल उठाया गया
लालू के लिए विकल्प
सुप्रीम कोर्ट में समीक्षा याचिका दाखिल कर सकते हैं, पर कानूनविदों के अनुसार, इसकी गुंजाइश काफी कम है. उनके वकील राम जेठमलानी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला सर्वोच्च है. लालू को अपना पक्ष रखने के लिए 15 दिनों का वक्त मिला है, ऐसे में वह कानूनी दावं-पेच अपना सकते हैं. यदि अदालत से उन्हें दो साल से अधिक की सजा मिलती है, तो सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के मुताबिक, उनकी संसद सदस्यता और चुनाव लड़ना खतरे में पड़ सकता है.
अब आगे की कानूनी राह
विशेष अदालत दोनों पक्षों की दलील सुनने के लिए तारीख तय करेगी. सुनवाई समाप्त होने के बाद अदालत द्वारा फैसले की तारीख तय की जायेगी.
क्या थी लालू की मांग
विशेष अदालत द्वारा चारा घोटाले में फैसला सुनाने की तारीख 15 जुलाई तय करने के बाद लालू प्रसाद ने झारखंड हाइकोर्ट में याचिका दाखिल कर मामले की सुनवाई कर रहे विशेष न्यायालय के जज को बदलने की मांग की थी.
लालू प्रसाद की दलील थी कि सीबीआइ के विशेष न्यायालय के न्यायाधीश पीके सिंह उनके राजनीतिक विरोधी जदयू नेता और बिहार के शिक्षा मंत्री पीके शाही के रिश्तेदार है. इसलिए विशेष जज राजनीति से प्रेरित हो सकते हैं. हाइकोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था