गालूडीह : बंगाल का लालगढ़ कभी भारत के नक्शे पर माओवादियों के लिए मुक्तांचल बन गया था. वर्ष 2010 तक ऐसा ही था. किशन जी के मारे जाने के बाद धीरे-धीरे बंगाल से माओवादियों का दबदवा खत्म होने लगा. बुधवार को लोक सभा चुनाव के दौरान घोर नक्सल प्रभावित माने जाने वाले इलाकों के बूथों में भयमुक्त माहौल देखा गया.
आम वोटर तो घर से निकले ही, माओवादियों का परिवार और परिजन भी बूथ तक पहुंचे और वोट डाले. जामबनी का एरिया कमांडर साहेब राम मुमरू उर्फ जयंत मुमरू अभी फरार है. उसका परिवार बुधवार को दोपहर में आमतोलिया बूथ नंबर 188 में वोट डालने पहुंचा. साहेब मुमरू के पांच भाई, भाभी, पिता और मां लाइन में खड़े होकर वोट दिया. दूसरी ओर पुलिस संत्रस विरोधी जन साधारण कमेटी के अध्यक्ष छत्रधर महतो के परिवार और परिजन भी बुधवार को वोट देने पहुंचे. छत्रधर महतो अभी जेल में बंद है. छत्रधर के परिजन आमलिया बूथ में वोट देने पहुंचे थे. बेलपहाड़ी, बांदवान, बीनपुर थाना क्षेत्र में कई नक्सली समर्थक या फिर फरार नक्सलियों के परिजन बूथ तक पहुंचे और लोकतंत्र के प्रति आस्था जताते हुए वोट दिया.