रांची: संताल परगना का चुनाव परिणाम आनेवाले दिनों में प्रदेश की राजनीति पर भी असर डालेगा. संताल परगना में पार्टियों के धुरंधरों ने दावं लगा कर राजनीतिक बिसात पर गोटियां चलीं हैं. आनेवाले दिनों में संताल परगना विधानसभा में सियासी गणित बदलेगा. दुमका में शिबू सोरेन चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन यहां हेमंत सोरेन की प्रतिष्ठा भी दावं पर है. हेमंत सोरेन संसदीय चुनाव में शिबू को आगे कर सेमी फाइनल खेल रहे हैं.
विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन का फाइनल होगा. दुमका में वोटरों के करवट पर हेमंत का राजनीतिक कैरियर भी दावं पर लगा है. शिबू ने सीट बचा ली, तो आने वाले दिनों में झामुमो पूरे उत्साह से हेमंत के लिए जुटेगा. वहीं बाबूलाल मरांडी ने दुमका में खूंटा गाड़ा, तो झामुमो की परेशानी बढ़ेगी. झाविमो ने बाजी पलट दी, तो फिर इसी के सहारे बाबूलाल आदिवासी वोट की गोलबंदी करेंगे.
दुमका सहित दूसरी सीट पर झामुमो के सामने चुनौती पेश करेंगे. वहीं संताल परगना के तीन सीटों पर कमल खिला, तो फिर विधानसभा में भाजपा फसल काटने के लिए दम लगायेगी. चुनावी हवा का रुख आनेवाले दिनों में लोकसभा का परिणाम तय करेगा.
फिलहाल 18 में 10 झामुमो की झोली में है
संताल परगना झामुमो का गढ़ रहा है. संताल परगना के 18 सीटों में से 10 झामुमो के पास है. दुमका संसदीय सीट की छह विधानसभा सीटों में से पांच झामुमो के पास है. वहीं राजमहल की छह सीटों में से चार झामुमो के पास है. संताल परगना में भाजपा, झाविमो और राजद के पास दो-दो सीटें हैं. कांग्रेस के पास 18 में महज एक महगामा की सीट है. जरमुंडी में निर्दलीय हरिनारायण राय जीत कर आते रहे हैं.
झामुमो के गढ़ में सेंधमारी का प्रयास
झाविमो के बाबूलाल मरांडी ने दुमका से झामुमो के गढ़ में सेंधमारी की रणनीति के तहत दावं लगाया है. वह लोकसभा चुनावी समर में उतर कर अपने कार्यकर्ताओं को गोलबंद करने में जुटे रहे. वहीं भाजपा ने भी संताल परगना में कोण बनाने की कोशिश की है. यहां भाजपा कामयाब रही, तो विधानसभा चुनाव में भी उलट फेर हो सकता है.