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कौन हैं बिहार के नये डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, कैसा रहा है इनका राजनीतिक सफर

इस बार भाजपा ने भूमिहार समुदाय से आने वाले विजय सिन्हा और पिछड़ी जाति से आने वाले सम्राट चौधरी को डिप्टी सीएम बनाए जाने की घोषणा हुई है. बीजेपी नेता सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है.

पटना. बिहार में एनडीए गठबंधन नई सरकार ने शपथ ले लिया है. भाजपा ने इस बार बिहार में बड़ा बदलाव किया है. पिछली बार भाजपा ने पिछड़ी जाति से आने वाले तारकेश्वर प्रसाद और रेणु देवी को डिप्टी बनाया था. वहीं इस बार भूमिहार समुदाय से आने वाले विजय सिन्हा और पिछड़ी जाति से आने वाले सम्राट चौधरी को डिप्टी सीएम बनाए जाने की घोषणा हुई है. बीजेपी नेता सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है.

सम्राट चौधरी का राजनीतिक करियर 1999 में हुआ शुरू

कोइरी (कुशवाहा) समाज से आनेवाले 54 वर्षीय सम्राट चौधरी का राजनीतिक करियर साल 1999 में शुरू हुआ. चौधरी ने 27 मार्च 2023 को औपचारिक रूप से बिहार के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया था. बिहार विधान परिषद में भाजपा के पूर्व नेता प्रतिपक्ष भी रहे हैं. वे बिहार के एक प्रभावशाली राजनीतिक परिवार से हैं. छह साल पहले भाजपा में शामिल हुए थे सम्राट चौधरी बिहार में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करने के कदम को लव (कुर्मी) और कुश (कुशवाहा) वोटों को साधने के प्रयास के रूप में देखा गया.

लालू, नीतीश और मांझी सरकार में रहे मंत्री

सम्राट चौधरी पहले लालू प्रसाद की राजद और नीतीश कुमार की जदयू दोनों से जुड़े रहे. साल 2017 तक वह भाजपा में शामिल हो गए, जो कुछ ही समय बाद नीतीश कुमार के साथ जुड़ गई. चौधरी ने नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पिछली एनडीए सरकार के दौरान पंचायती राज मंत्री के रूप में भी कार्य किया. साल 1999 में शुरू हुआ था सम्राट चौधरी का राजनीतिक करियर परबत्ता से बिहार विधानसभा में उनके दो कार्यकाल रहे हैं. वह राबड़ी देवी सरकार में मंत्री भी रहे.

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पिता और माता दोनों रह चुके हैं विधायक

मुंगेर जिले के तारापर प्रखंड के एक छोटे से गांव लखनपुर में जन्मे सम्राट चौधरी के परिवार का राजनीतिक बैकग्राउंड है. उनके माता-पिता भी एक राजनीतिज्ञ रह चुके हैं. उनके पिता का नाम शकुनी चौधरी बिहार में कई बार सांसद और विधायक के साथ -साथ बिहार विधान सभा के उपाध्यक्ष एवं मंत्री के पद पर रह चुके हैं. उनके के पिता अनुभवी राजनीतिज्ञ शकुनी चौधरी राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के करीबी रहे. वह समता पार्टी के संस्थापक सदस्य भी रहे, जिससे मूल रूप से नीतीश कुमार जुड़े थे. सम्राट चौधरी की मां पार्वती देवी तारापुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुकी हैं. सम्राट चौधरी का विवाह ममता कुमारी के साथ हुआ था. इन्हे एक पुत्र एवं एक पुत्री प्रणम प्रियम और चारु प्रिया है.

तारापुर में ली प्राथमिक शिक्षा

चौधरी ने अपनी प्राथमिक शिक्षा तारापुर से लिया एवं स्कूल की शिक्षा पूरी करने के बाद मदुरै कामराज विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया और वहां से इन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की. सम्राट चौधरी कुशवाहा का दूसरा नाम राकेश कुमार भी हैं. वे राष्ट्रीय जनता दल पार्टी से सरकार में बिहार राज्य में पहली बार माप -तौल एवं बागबानी मंत्री के पद पर रहे .इनको बिहार राज्य में 19 मई 1999 से 16 नवंबर से 1999 तक माप तौल एवं बागबानी मंत्री बनाया गया.

2014 में बने मांझी सरकार में मंत्री

सम्राट चौधरी 2000 और 2010 तक परवत्ता से विधायक रहे. साल 2014 में लोकसभा चुनाव में जेडीयू की हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद सम्राट चौधरी ने राजद छोड़ दिया और जीतन राम मांझी मंत्रिमंडल में शामिल हो गए. सम्राट चौधरी बिहार राज्य में शहरी विकास एवं आवास मंत्री के रूप में 2 जून 2014 से 20 फरवरी 2015 तक इस पद को सुशोभित किये.

भाजपा ने इन्हें पहले उपाध्यक्ष फिर अध्यक्ष बनाया

इनको वर्ष 2018 में भारतीय जनता पार्टी का बिहार राज्य का उपाध्यक्ष बनाया गया.जबकि 2020 में एक बार फिर इन्हे विधान पार्षद बनाया गया.बिहार सरकार में एक बार फिर एनडीए की सरकार में ये पंचायती राज विभाग के मंत्री के पद पर 28 फरवरी 2021 से 9 अगस्त 2022 तक रहे और नीतीश कुमार के द्वारा भाजपा के नाता तोडने के बाद मंत्री पद समाप्त हो गया. फिर एक बार भाजपा ने इनपर विश्वास जताया और 2022 में भाजपा की ओर से बिहार विधान परिषद में विपक्ष के नेता बनाये गये. सम्राट चौधरी को भारतीय जनता पार्टी का बिहार राज्य का अध्यक्ष इसी बर्ष 2023 में बनाया गया.

अशोक एस फाउंडेशन के मुख्य संरक्षक

वर्त्तमान समय में सम्राट चौधरी अशोक एस फाउंडेशन के मुख्य संरक्षक के पद पर हैं .सम्राट चौधरी एवं विजय कुमार सिन्हा दोनो भाजपा के नेता हैं और पहली बार मुंगेर जिला एवं प्रमंडल को बिहार सरकार में उप मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला हैं. तारापुर विधानसभा से अब तक किसी भी राजनीतिक दल के नेता को उपमुख्य मंत्री पद पर आसीन होने का सौभाग्य नहीं प्राप्त हुआ था. पहली बार तारापुर के लाल को बिहार सरकार में उपमुख्यमंत्री बनने का मौका मिलने से तारापुरवासियो के बीच में गजब का उत्साह एवं खुशी देखी जा रही हैं.

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