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ब्रह्मा जी की मूर्ति मिलना प्रतिबंधित स्थल की सुरक्षा की खोल रही है पोल

वैशाली : वैशाली में पुरातात्विक विभाग द्वारा प्रतिबंधित कर चुके स्थल में हो रहे अवैध मिट्टी खनन के दौरान ब्लैक स्टोन का ब्रह्मा जी की मूर्ति का मिलना पुरातात्विक विभाग और प्रशासनिक चौकसी पर कई सवाल खड़े कर दिये है. ऐतिहासिक व पुरातात्विक स्थल पर विगत चार दिनों से हो रहे इस अवैध खनन पर […]

वैशाली : वैशाली में पुरातात्विक विभाग द्वारा प्रतिबंधित कर चुके स्थल में हो रहे अवैध मिट्टी खनन के दौरान ब्लैक स्टोन का ब्रह्मा जी की मूर्ति का मिलना पुरातात्विक विभाग और प्रशासनिक चौकसी पर कई सवाल खड़े कर दिये है. ऐतिहासिक व पुरातात्विक स्थल पर विगत चार दिनों से हो रहे इस अवैध खनन पर रोक लगाने के लिये न ही तो वैशाली प्रशासन आगे आया और न ही पुरतात्विक विभाग की कोई कार्रवाई की. ऐसे में स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस घटना ने इस बात की पोल खोल दी है कि प्रशासन की मिली भगत से संरक्षित स्थल का अवैध खनन आये दिन होते रहते है

. विश्व धरोहर के रूप में अपनी पहचान बनाने वाला राजा विशाल का गढ़ जहां से प्रजातंत्र की उठी गूंज पूरे विश्व में फैली थी. वैसे ऐतिहासिक धरोहरों के प्रति सरकार व सरकार के नुमाइंदे कितने संवेदनशील है, यह इस घटना से साफ जाहिर हो गया. हालांकि यह कोई पहली घटना नहीं है. अवैध खनन के मामले कई बार उजागर हो चुके है. पुरातात्विक विभाग द्वारा धरोहरों की लापरवाही को सामने लाने के लिये यह कहना गलत नहीं होगा कि विभाग भी वैशाली गढ़ को वीआइपी के लिए सुरक्षित स्थल मान रही है. तभी तो वर्ष 2008 में राष्ट्रपति के आगमन पर उनका हेलिकॉप्टर उतारने के लिये इसी राजा विशाल के गढ़ को चुना गया. उस समय सुरक्षा और हेलीपैड बनाने के लिए जेसीबी मशीन से इस जगह की खुदाई की गयी थी.

पुरातात्व विभाग ने ही नियम कायदे की वाट लगा दी थी. नियमों को ताख पर रखकर धरोहरों के साथ छेड़छाड़ की यह परंपरा यही खत्म नहीं हुई. वर्ष 2010 में सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रवास यात्रा के दौरान सजने वाला जनता दरवार के लिये भी इसी जगह को चुना गया.जनतंत्र की इस आदि भूमि पर लगने वाले जनता दरवार को लेकर विभाग ने यहां जम कर खुदाई की. संरक्षित स्थल पर सैकड़ों जगह गड्ढ़ा खोदकर बांस बल्ले गाड़े गए थे. प्रवास यात्रा के पहले ही दिन ज्यों ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उस जगह को देखने पहुचें तो उनकी की संवेदना सामने आयी. उन्होंने इस घटना पर कड़ी आपत्ति जाहिर किया. उन्होंने इस स्थल की महत्ता को भूल चुके पुरातात्विक विभाग के साथ-साथ तमाम अधिकारियों की भी क्लास लगायी थी. जिसके कारण यहां से स्थान्तरित कर जनता दरबार अभिषेक पुष्करणी के समीप लगाया गया था. मुख्यमंत्री के चेतावनी और धरोहर की रक्षा करने के आदेश के बावजूद भी विभाग की नींद नहीं टूटी.

विभाग की कुम्भकर्णी नींद की वजह से यहां माफिया तंत्र हाबी होता चला गया. आय दिन नियम कायदे को ताख पर रख कर मिट्टी खनन का अवैध कारोबार फलता फूलता गया. स्थानीय लोगों की माने तो यह कारोबार स्थानीय प्रशासन की मिली भगत से चल रहा है. जिसकी पोल इस घटना ने खोल कर रख दी. बहरहाल इस घटना से भी सरकार पुरातात्विक विभाग और माफियाओं पर शिकंजा कस पाती है या नही. इस मामले में सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद जलज कुमार तिवारी ने अपनी जिम्मेवारियों से पल्ला झाड़ते हुए स्थानीय प्रशासन को जिम्मेवार ठहरा रहे है.

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