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खुद बीमार हो गया है सदर अस्पताल

सदर अस्पताल में नहीं है कोई ड्रेसर, केवल 13 चिकित्सकों के पद हैं स्वीकृत अधिकतर पद हैं रिक्त इंट्रो-1972 में वैशाली जिला बनने के बाद इस अनुमंडलीय अस्पताल को जिला अस्पताल का दर्जा तो मिल गया, लेकिन उस हिसाब से न चिकित्सकों और कर्मियों के पद सृजित किये गये और न अन्य सुविधाएं बढ़ाई गयीं. […]

सदर अस्पताल में नहीं है कोई ड्रेसर, केवल 13 चिकित्सकों के पद हैं स्वीकृत

अधिकतर पद हैं रिक्त

इंट्रो-1972 में वैशाली जिला बनने के बाद इस अनुमंडलीय अस्पताल को जिला अस्पताल का दर्जा तो मिल गया, लेकिन उस हिसाब से न चिकित्सकों और कर्मियों के पद सृजित किये गये और न अन्य सुविधाएं बढ़ाई गयीं. सदर अस्पताल में 12 चिकित्सा पदाधिकारियों और एक उपाधीक्षक समेत नियमित चिकित्सकों के कुल 13 पद स्वीकृत हैं. ड्रेसर के तीन पद हैं, जिनमें तीनों खाली हैं. फार्मासिस्ट के तीन पद हैं. मात्र 14 ए ग्रेड नर्स के पद हैं. लंबे समय से नियुक्ति नहीं होने के कारण ड्रेसर, कंपाउंडर, ओटी असिस्टेंट समेत अधिकांश पद खाली पड़े हैं. चिकित्सकों और कर्मियों की कमी के कारण मरीजों का इलाज प्रभावित होता है.

हाजीपुर : हर रोज हजारों मरीजों का इलाज करने वाला जिले का सदर अस्पताल चिकित्सकों और स्वास्थ्यकर्मियों के अभाव में खुद बीमार हो चला है. आधारभूत सरंचना और मैन पावर की कमी के कारण यहां बेहतर इलाज की उम्मीदों पर पानी फिर रहा है. जिले भर से यहां हर रोज जुटने वाले मरीजों की भीड़ को इलाज के नाम पर बस जैसे-तैसे निबटाया जा रहा है. अस्पताल में रोगियों के इलाज का आलम यह है कि चिकित्सक किसी मरीज पर दो मिनट का समय भी नहीं देते.

ओपीडी में लंबी प्रतीक्षा के बाद अपना नंबर आने पर जब परेशान हाल मरीज डॉक्टर के कक्ष में प्रवेश करते हैं, तो कायदे से उसकी तकलीफ भी नहीं सुनी जाती. मरीज अपनी बीमारी और परेशानी की पूरी बात बता भी नहीं पाते हैं कि उसे चलता कर दिया जाता है. रोगियों के इलाज में पेश आने वाली दिक्कतों के बारे में पूछे जाने पर अस्पताल के एक चिकित्सक कहते हैं कि अस्पताल में जो व्यवस्था है, उसमें ढंग से इलाज क्या होगा. बस समझिए कि हम लोग मरीजों का डिस्पोजल करते हैं.

कहने को जिला अस्पताल, पर स्वास्थ्यकर्मी अनुमंडल अस्पताल से भी कम : 1972 में वैशाली जिला बनने के बाद इस अनुमंडलीय अस्पताल को जिला अस्पताल का दर्जा तो मिल गया, लेकिन उस हिसाब से न चिकित्सकों और कर्मियों के पद सृजित किये गये न अन्य सुविधाएं बढ़ायी गयीं. सदर अस्पताल में 12 चिकित्सा पदाधिकारियों और एक उपाधीक्षक समेत नियमित चिकित्सकों के कुल 13 पद स्वीकृत हैं. ड्रेसर के तीन पद हैं, जिनमें तीनों खाली हैं.

फार्मासिस्ट के तीन पद हैं. मात्र 14 ए ग्रेड नर्स के पद हैं. लंबे समय से नियुक्ति नहीं होने के कारण ड्रेसर, कंपाउंडर, ओटी असिस्टेंट समेत अधिकांश पद खाली पड़े हैं. चिकित्सकों और कर्मियों की कमी के कारण मरीजों का इलाज बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. सदर अस्पताल में अभी स्वास्थ्यकर्मियों की जितनी संख्या है, उससे ज्यादा कर्मी महुआ अनुमंडल अस्पताल में कार्यरत हैं.

प्रतिनियुक्ति पर टिकी है अस्पताल की व्यवस्था : सदर अस्पताल में प्रतिनियुक्त चिकित्सकों और कर्मियों को यदि यहां से विरमित कर दिया जाये तो अस्पताल पंगु हो जायेगा. अभी अस्पताल में डिपुटेशन पर लाये चिकित्सकों ओर पारा मेडिकल कर्मियों के सहारे ही यहां की चिकित्सा व्यवस्था टिकी हुई है. इन्हें विरमित होने की सूरत में ओपीडी, प्रसव, ऑपरेशन से लेकर दवा वितरण तक का काम ठप पड़ जायेगा.

ओपीडी के शिशु रोग, नेत्र रोग, चर्म रोग, दंत चिकित्सा आदि विभाग में प्रतिनियुक्त चिकित्सकों द्वारा ही मरीजों का इलाज हो पा रहा है. प्रसूति विभाग में एएनसी लैब, प्रसव ओटी, इमरजेंसी ओटी के सहायक से लेकर बेहोशी के डॉक्टर तक प्रतिनियुक्त पर कार्यरत हैं. नियमित और प्रतिनियुक्त चिकित्सकों को मिला कर सदर अस्पताल में अभी लगभग 30 चिकित्सक मौजूद हैं, लेकिन मरीजों की तादाद और अस्पताल की आवश्यकता के अनुपात में यह संख्या काफी कम पड़ रही है. अस्पताल में डॉक्टरों और पारा मेडिकल स्टाफ की कमी का खामियाजा यहां आने वाले मरीजों को भुगतना पड़ रहा है.

सदर अस्पताल में कार्यरत चिकित्सक व पारा मेडिकल स्टाफ

चिकित्सक -33

ए ग्रेड नर्स-14

एएनएम आर -08

फार्मासिस्ट -03

ड्रेसर-01

ओटी सहायक-02

नेत्र सहायक-03

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