मुश्किल. नहीं रुक रहा जाम का सिलसिला, जानलेवा गरमी में जाम से लोगों की परेशानियां बढ़ीं
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महात्मा गांधी सेतु के जाम से सब परेशान
मुश्किल. नहीं रुक रहा जाम का सिलसिला, जानलेवा गरमी में जाम से लोगों की परेशानियां बढ़ीं सारी प्रशासनिक तैयारी के बावजूद महात्मा गांधी सेतु की जाम पर अंकुश नहीं लग पा रहा है. हाजीपुर से पटना जानेवाले वाहन गांधी सेतु पर बुरी तरह फंस जा रहे हैं. ऐसे में बीमार मरीजों, बुजुर्गों व महिलाओं को […]
सारी प्रशासनिक तैयारी के बावजूद महात्मा गांधी सेतु की जाम पर अंकुश नहीं लग पा रहा है. हाजीपुर से पटना जानेवाले वाहन गांधी सेतु पर बुरी तरह फंस जा रहे हैं. ऐसे में बीमार मरीजों, बुजुर्गों व महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. एक तो जानलेवा गरमी और ऊपर से महात्मा सेतु का जाम लोगों पर कहर ढाह रहा है. सुबह से लेकर शाम तक यह सिलसिला जारी रहता है.
हाजीपुर : एक तो जानलेवा गरमी और ऊपर से महात्मा सेतु का जाम लोगों पर कहर ढाह रहा है. सुबह से लेकर शाम तक यह सिलसिला जारी रहता है. प्रशासन भी विवश नजर आता है. लग्न को लेकर शादी समारोह में शामिल होनेवाले बराती से लेकर आम लोग इस जाम से परेशान हैं. सारी प्रशासनिक तैयारी के बावजूद जाम पर अंकुश नहीं लग पा रहा है. हाजीपुर से पटना जाने वाले वाहन गांधी सेतु पर बुरी तरह फंस जा रहे हैं. ऐसे में बीमार मरीजों, बुजुर्गों व महिलाओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
क्या है जाम का कारण : गांधी सेतु का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त है. इसके कारण लगभग साल भर से वन वे है. इस कारण से दोनों साइड के वाहन बारी-बारी से एक ही हिस्से से गुजरते हैं. इस दौरान अगर कोई गाड़ी ओवरटेक करती है, तो जाम लग जाता है. जाम से पूरा सेतु डिस्टर्ब हो जाता है. हाल के वर्षो में गाड़ियों की संख्या में भी लगातार वृद्धि हुई है. भारी वाहन एवं माल वाहक छोटी गाड़ियां भी परेशानी पैदा करती हैं. ऑटो चालकों की मनमानी भी जाम को बढ़ावा देती है.
वर्ष 2008 से ही है सेतु का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त : वर्ष 2008 में ही पिलर संख्या 44 में सबसे पहले दरार दिखी थी, जिसके बाद इसे काट कर अलग कर दिया गया. इसकी जगह नया पिलर बनाया जाना था, लेकिन अब तक निर्माण नहीं हो सका है. वाहन वन वे चलते हैं. नौ किलोमीटर सेतु को पार करने में डेढ़ से दो घंटे का समय लग जाता है. जढुआ से सेतु के रास्ते में आमलोग जाम झेलने के लिए विवश हो जाते हैं.
बाइकसवार खतरा उठा पार करते हैं सेतु : सवारी और मालक वाहक वाहन के जाम में फंसने के कारण बाइक सवार खतरा उठा कर सेतु को पार करते हैं. पुल पर बने पैदल पथ पर वह बाइक को चढ़ा कर पुल पार करते हैं. थोड़ी-सी भी असावधानी उन्हें मौत के मुंह में ढकेल सकती है, पर वे विवश हैं. एक तो चिलचिलाती धूप और काम पर समय पर पहुंचने की जल्दबाजी, उन्हें ऐसा करने पर विवश करती है. पैदल पथ पर भी कई जगह व्यवधान है, जिसके कारण कभी वे ऊपर तो कभी नीचे से यात्रा करते हैं. ऐसे में दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है.
सुरक्षा के लिए तैनात हैं जवान :
पुल पर जाम होने के कारण पुलिस और प्रशासन की सारी व्यवस्था धरी-की-धरी रह गयी है. हालांकि पुलिस के जवानों की तैनाती की गयी है. जाम से बचने के लिए कई उपाय किये गये हैं. औद्यौगिक थाना और गंगाब्रिज थाने की पुलिस की निगरानी बनी रहती है, लेकिन पर्याप्त संख्या में पुलिस जवान नहीं रहने के कारण वाहन चालक निर्देश का पालन नहीं करते हैं. ड्यूटी पर तैनात एक पुलिसकर्मी ने बताया कि अब 24 घंटे हर डेग पर वाहनों की निगरानी रखना तो संभव नहीं है. यात्री व माल वाहक वाहनों की अलग-अलग लाइन की व्यवस्था है, लेकिन रास्ते में वे इसका ही नहीं करते और जाम लगा देते हैं. अगर सभी वाहन नियमों को पालन करे तो कोई समस्या ही नहीं होगी. समय जरूर लगेगा लेकिन जाम की समस्या नहीं होगी. पहले यात्री वाहन को पास कराया जाता है. उसके बाद माल वाहकों की.
प्याऊ की नहीं है व्यवस्था : जाम के कारण कई यात्रियों को प्यास हलक सूख रहे थे. पुल पर पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं रहने वे परेशान थे. ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों से यात्रियों ने प्याऊ की व्यवस्था के बारे में पूछ-ताछ करते नजर आये, लेकिन वे भी विवश थे. इस तरह की सेतु पर कोई व्यवस्था नहीं है.
बोतल पानी बेचने वालों की चांदी कटी. 15 रुपये पानी की बोतल के उन्होंने 20 और 25 रुपये वसूले. बच्चों और महिलाओं को प्यास से बुरा हाल था. जबकि बुजुर्ग भी खासे परेशान थे. ऐसे यात्रियों को सह-यात्रियों ने मदद की और पास में उपलब्ध पानी से उनकी प्यास बुझायी.
क्या कहते हैं लोग
मुजफ्फरपुर से आ रहा हूं. पटना जाना है सुबह सात बजे गाड़ी पकड़नी है. 10 बज गये हैं. जाम के कारण समय पर नहीं पहुंच पाऊंगा. अभी संभवत: एक से डेढ़ घंटा से फंसा हूं. देखिये कब तक पहुंचता हूं.
राजेश सिंह
पानी की भारी समस्या है. सेतु पर प्याऊ की व्यवस्था होनी चाहिए. सह यात्री ने मदद की, तो गला तर किया हूं. बच्चे साथ में हैं समझ में नहीं आ रहा है, क्या करूं. वाहन चालकों को निर्देश का पालन करना चाहिए.
धर्मजीत प्रसाद
चिलचिलाती गरमी ने बेदम कर रखा है और उस पर जाम. छपरा से सुबह पांच बजे ही गाड़ी पकड़ी थी, सोचा था समय से पटना पहुंच जाऊंगी. लेकिन जाम से सारी योजना धरी-की-धरी रह गयी है. बोतल बंद पानी बेचने वालों की मनमानी है. अधिक पैसे वसूल रहे हैं.
आसमां खातून
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