भगवानपुर : प्रखंड क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्र अपने उद्देश्य से भटके नजर आ रहे हैं. आंगनबाड़ी केंद्रों के अपने पोषक क्षेत्र के 6 वर्ष उम्र तक के 40 बच्चों को पढ़ाना एवं पौष्टिक आहार देना है.
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आंगनबाड़ी केंद्रों में नहीं मिल रहा नियमित पोषाहार
भगवानपुर : प्रखंड क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्र अपने उद्देश्य से भटके नजर आ रहे हैं. आंगनबाड़ी केंद्रों के अपने पोषक क्षेत्र के 6 वर्ष उम्र तक के 40 बच्चों को पढ़ाना एवं पौष्टिक आहार देना है. लाखों रुपये प्रत्येक माह पानी की तरह बहाने के बावजूद हालात जस के जस बने हैं. प्रखंड क्षेत्र के […]
लाखों रुपये प्रत्येक माह पानी की तरह बहाने के बावजूद हालात जस के जस बने हैं. प्रखंड क्षेत्र के आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों की उपस्थिति देख साफ झलकता है कि कहीं न कहीं बाल विकास परियोजना पदाधिारकी एवं सेविकाओं के मन में सरकार के उद्देश्य के प्रति खोट है. प्रखंड क्षेत्र के 160 में से एक भी ऐसा केंद्र नहीं है,
जहां 40 बच्चों की उपस्थिति होती है, शायद ही किसी केंद्र पर एक दर्जन से अधिक बच्चों की उपस्थिति होती है. और सेविकाओं द्वारा उपस्थिति पंजी पर 40 बच्चों की उपस्थिति दर्ज कर पोषाहार राशि का बंदरबांट की जाती है. इस संबंध में बाल विकास परियोजना पदाधिकारी भगवानपुर से पूछे जाने पर खुद स्वीकार करती है कि केंद्रों का अपना इंफ्रास्ट्रचर दुरूस्त नहीं होने के कारण बच्चों की उपस्थिति कम रहता है.
सेविकाओं द्वारा पोषाहार में अनियमितता बरते जाने की बात पर सीडीपीओ कहती है कि सरकार द्वारा खाद्यान का रेट और बाजार मूल्य में काफी अंतर है. इसलिए लाभार्थी को पोषाहार कम देना स्वभाविक है. प्रखंड का एक ऐसी भी केंद्र है जहां सेविका कभी नहीं रहती है, सेविका के बदले दूसरी महिला द्वारा केंद्र का संचालन करती है. इस संबंध में सीडीपीओ का कहना है कि अभी मेरे द्वारा प्रखंड क्षेत्र के सभी केंद्रों का विजिट नहीं कर पाई हूं, इसलिए ऐसी गड़बड़ी पकड़ में नहीं आयी है.
जबकि सीडीपीओ भगवानपुर कार्यालय में योगदान किये लगभग छह माह बीत गये. इससे साफ झलकता है कि सेविकाओं को सीडीपीओ का सहयोग प्राप्त है. इधर कार्यालय में प्रांगण में प्रखंड क्षेत्र के लगभग आधा दर्जन सेविका पति कार्यालय कर्मी के तरह कार्यालय में आने वाली सेविकाओं से कार्यालय संबंधी कागजात को चेक करते है तथा उस कागजात पर उनके कोडिंग के हिसाब से ही उनका कार्य कार्यालय में संपन्न होती है यानी सीडीपीओ कार्यालय दलालों का अखाड़ा बन गया है.
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