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बेकार पड़ी है जलमीनार

पाइप लीक होने से सड़क पर जलजमाव की स्थिति राजापाकर : राजापाकर प्रखंड की उत्तरी पंचायत और दक्षिणी पंचायत में करोड़ों की लागत से बनी जल मीनार शोभा की वस्तु की वस्तु बन कर रह गयी. इस भीषण गरमी में लोगों को उक्त दोनों जल मीनार से एक बूंद पानी तक नहीं मिला. उत्तरी पंचायत […]

पाइप लीक होने से सड़क पर जलजमाव की स्थिति
राजापाकर : राजापाकर प्रखंड की उत्तरी पंचायत और दक्षिणी पंचायत में करोड़ों की लागत से बनी जल मीनार शोभा की वस्तु की वस्तु बन कर रह गयी. इस भीषण गरमी में लोगों को उक्त दोनों जल मीनार से एक बूंद पानी तक नहीं मिला. उत्तरी पंचायत स्थित जलमीनार पहले बिजली का रोना रोती थी,
अब जब बिजली मिल गयी फिर भी इसके द्वारा क्षेत्र में बिछाये गये पाइप जगह-जगह लीक करने से पानी सड़क पर जमा हो रहा है. हां लेकिन आम जनता के घरों में एक बूंद पानी नहीं जा रहा है. इसकी शिकायत लोगों ने कई बार वरीय पदाधिकारी से की.
लेकिन, कोई हल नहीं मिला. दूसरी तरफ, दक्षिणी पंचायत की जल मीनार सोलर लाइट से युक्त डेढ़ करोड़ की लागत से बना हुआ है. बने हुए डेढ़ साल हो गये. लेकिन, उसकी कोई उपयोगिता नहीं है. पंचायत में कहीं कहीं पाइप बिछा कर छोड़ दिया गया है. उच्च पदाधिकारी का इस ओर कभी ध्यान नहीं गया. विभाग के मनमानी से लोगों में आक्रोश व्याप्त है कि करोड़ रुपये सरकार को लगाने के बाद भी लोग पानी को तरस रहे हैं.
जबकि दोनों जल मीनार में पीएचडी का कर्मचारी तैनात है और उसका लाखों रुपये खर्च किये जा रहे हैं. लेकिन, आम जनता को इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा है. यह सरकार के विभाग का पोल खोलता है. सरकार में विभाग से उसके पदाधिकारी को कोई मतलब नहीं है. इससे सरकार की कमजोरी साफ झलकती है कि पदाधिकारी उनकी बात नहीं मानते. यदि ऐसे गैर जिम्मेदार पदाधिकारी पर कोई कार्रवाई होती तो वे ऐसा नहीं करते.
ग्रामीणों का कहना है
सरकार इस पर गंभीर नहीं है, प्रखंड मुख्यालय के मुख्य सड़क पर यह दोनों अवस्थित है, लेकिन किसी अधिकारी,पदाधिकारी ने रूक कर देखा नहीं कि यह कार्य रहा है या नहीं .
काशीनाथ सिंह.
सरकार विकास का कार्य करती है, लेकिन इसकी मॉनीटरिंग नहीं करती है कि कार्य जो हुआ उसका फायदा जाम जनता को मिल पा रहा है कि नहीं.
तपसी प्रसाद सिंह.
ठेकेदार की भी मनमानी है. कार्य की खानापूर्ति कर चली जाती है. सही या गलत हुआ इसकी जांच वरीय पदाधिकारी नहीं करते हैं. जो सुशासन का पोल खोलता है.
शिव कुमार मुन्ना.
पदाधिकारी ठेकेदार से मिले होते हैं, तो कार्य क्या होगा.कार्यस्थल पर कार्य को देखे बगैर ही ऑफिस में ले देकर कार्य को दुरुस्त करार दिया जाता है.
ओंकारनाथ गुप्ता.

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