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82 विद्यालयों में मिली गड़बड़ी

अनदेखी. छातापुर में मैनेज सिस्टम से चल रहे हैं सरकारी विद्यालय सूबे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर सरकार की तरफ से तमाम दावे किये जा रहे हैं. इस दिशा में कई कदम भी उठाये गये हैं. लेकिन विभागीय अधिकारियों की उपेक्षा के कारण यह फलीभूत नहीं हो पा रहा है. छातापुर : सरकार द्वारा सूबे […]

अनदेखी. छातापुर में मैनेज सिस्टम से चल रहे हैं सरकारी विद्यालय

सूबे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर सरकार की तरफ से तमाम दावे किये जा रहे हैं. इस दिशा में कई कदम भी उठाये गये हैं. लेकिन विभागीय अधिकारियों की उपेक्षा के कारण यह फलीभूत नहीं हो पा रहा है.
छातापुर : सरकार द्वारा सूबे में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को लेकर तमाम दावे किये जा रहे हैं. इस दिशा में कई कदम भी उठाये गये हैं. लेकिन विभागीय अधिकारियों की उपेक्षा के कारण यह फलीभूत नहीं हो पा रहा है. जिसके कारण सक्षम लोग अपने बच्चों की पढ़ाई निजी विद्यालयों में करवाते हैं और गरीब के बच्चे पढ़-लिख कर भी अशिक्षित ही रह जाते हैं.
इस व्यवस्था में सुधार के लिए जीविका दीदियों को हस्तक्षेप का अधिकार मिलने के बाद प्रखंड क्षेत्र के करीब 82 विद्यालयों में व्यापक गड़बड़ी सामने आयी. संबंधित प्रधानाध्यापक को नोटिस भेज कर स्पष्टीकरण देने को कहा गया और ससमय व संतोषजनक जवाब नहीं मिलने की स्थिति में प्रधानाध्यापकों को विभागीय कार्रवाई की चेतावनी दी गयी. परंतु मैनेज सिस्टम के बल पर दोषी सभी शिक्षक विभागीय कार्रवाई से मुक्त हो गये.
बीइओ के जांच प्रतिवेदन पर भी नहीं होती कार्रवाई : हाल के दिनों की बात करें तो बीइओ छातापुर लल्लू पासवान द्वारा भी लगातार कई विद्यालयों का औचक निरीक्षण किया गया. दोषी प्रधान शिक्षकों के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई के लिए जांच प्रतिवेदन भेजा गया. लेकिन शिक्षा माफियाओं से सांठगांठ कर सभी आरोप मुक्त हो गये. यहां दिलचस्प यह है कि बीईओ द्वारा किये गये निरीक्षण में अधिकांश विद्यालयों का शैक्षणिक माहौल बदतर पाया गया और मध्याह्न भोजन योजना के संचालन में भी अनियमितता पायी गयी. कहीं विद्यालयों के प्रधान तो कहीं सहायक शिक्षक गायब मिले.
निरीक्षण के दौरान सबसे बड़ा खुलासा बच्चों की उपस्थिति को लेकर हुआ है. इस संदर्भ में जब बीइओ छातापुर लल्लू पासवान बताते हैं कि नियमित रूप से विद्यालयों का निरीक्षण कर, जांच प्रतिवेदन वरीय अधिकारियों को सुपुर्द कर दिया जाता है. लेकिन कार्रवाई उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है. वरीय अधिकारियों के स्तर से ही कार्रवाई होनी है.
अभिभावकों की शिकायत भी बेअसर
प्रखंड क्षेत्र स्थित सरकारी विद्यालयों में पठन-पाठन व विद्यालय संचालन में व्यापक पैमाने पर अनियमितता बढ़ती जाती है. ऐसा नहीं है कि पोषक क्षेत्र के अभिभावक या जनप्रतिनिधि विभागीय स्तर पर शिकायत नहीं करते हैं. कई बार बीइओ से लेकर जिला स्तरीय अधिकारियों के समक्ष भी लोगों ने शिकायत की है. लेकिन जांच के नाम पर केवल खानापूर्ति होने के बाद मैनेज पद्धति के बल पर मामले को दबा दिया जाता है. परिणामस्वरूप नियम को ताक पर रख कर प्रखंड क्षेत्र में विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है. अभिभावकों की मानें तो केंद्र या राज्य सरकार शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए भले ही निरंतर प्रयास कर रही है, विभिन्न योजनाओं का संचालन कर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाया जा रहा है, लेकिन मैनेज पद्धति तथा विभागीय स्तर पर निगरानी व निरीक्षण का अभाव रहने के कारण विद्यालय प्रधान व सहायक शिक्षक अपने कर्तव्यों से विमुख होकर सरकार को ठेंगा दिखा रहे हैं. लोगों ने प्रशासन से शिक्षा व्यवस्था में सुधार के मद्देनजर जिला प्रशासन से आवश्यक कार्रवाई की मांग की है.

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